छपरा (नगर) : जेपी विवि में कुलपति प्रो द्विजेंद्र गुप्ता के योगदान के बाद से ही विवि के पुराने पदाधिकारियों को हटा कर नये पदाधिकारियों की नियुक्ति का जो सिलसिला शुरू हुआ, वह लगातार जारी है. सबसे ज्यादा बदलाव विवि के कुलसचिव के पद के लिए देखने को मिल रहा है.
बहरहाल स्थिति यह है कि राजभवन द्वारा अनुमोदित कुलसचिव डॉ अनिल कुमार को छोड़ दें, तो अभी तक विवि के लगभग आधा दर्जन पदाधिकारी कुलसचिव के पद पर काम कर चुके हैं.
कुलपति प्रो गुप्ता के योगदान के बाद विवि में पूर्व के कुलपति द्वारा कुलसचिव के पद पर नियुक्त प्रो विजय प्रताप कुमार को कुछ समय के बाद ही हटा कर उनकी जगह पर डॉ अनिल कुमार को विवि का कुलसचिव बना दिया गया. उधर, बाद में पुन: राजभवन द्वारा उन्हें कुलसचिव के पद से हटाने के बाद आनन-फानन में तत्कालीन सीसीडीसी डॉ आरपी बबलू द्वारा अपने हस्ताक्षर से ही खुद को कुलसचिव घोषित कर लिया गया.
मामला सुर्खियों में आने के बाद राजभवन के निर्देश के बाद विवि प्रशासन ने जहां डॉ बबलू का स्थानांतरण उनके पैतृक कॉलेज आरबी जीआर कॉलेज, महाराजगंज कर दिया. वहीं, उनकी जगह पर कॉलेज निरीक्षक डॉ अच्युतानंद सिंह को कुलसचिव बना दिया गया. इस बीच प्रो महेंद्र सिंह, डॉ सरोज कुमार वर्मा आदि भी कुछ सप्ताह व दिन के लिए कार्यकारी कुलसचिव के रूप में काम कर चुके हैं.
पुन: डॉ बबलू बने कुलसचिव
उधर, तत्कालीन कुलसचिव डॉ अच्युतानंद सिंह को भी कुलपति के अनुकूल काम नहीं करने की कीमत चुकानी पड़ी.
वर्तमान स्थिति यह है कि 22 मई को ही विवि के कार्यकारी कुलसचिव डॉ
महेंद्र सिंह द्वारा कुलसचिव के पद पर तैनात डॉ अच्युतानंद सिंह को हटाना विवि के सीसीडीसी प्रो आरपी बबलू को विवि का कुलसचिव बनाते हुए इसकी अधिसूचना जारी कर दी गयी.
अब सवाल यह है कि राजभवन ने जिस व्यक्ति को पूर्व में ही कुलसचिव बनने के लिए किये गये नियम विरुद्ध कार्य के कारण पद से हटाते हुए सजा के तौर पर पैतृक कॉलेज में भेज दिया था. क्या राजभवन दुबारा उनके नाम का अनुमोदन करेगी.
आइओ का हो गया ट्रांसफर दूसरे को अब तक प्रभार नहीं
11 माह पहले राजधानी एक्सप्रेस के 12 डिब्बे पटरी से उतर गये थे. करीब आधा दर्जन लोगों की मौत और दो दर्जन लोग घायल हुए. इतनी बड़ी घटना होने पर भी न रेल प्रशासन और न ही जिला प्रशासन के अधिकारी अपनी-अपनी जिम्मेवारी से पल्ला झाड़ रहे हैं. जांच भी हो गयी.
फिर भी आखिर घटना क्यों हुई, यह बिहार ही नहीं पूरे देश के लोग जानना चाह रहे हैं. खासकर जिनके परिजन अब इस दुनिया में नहीं हैं और जो घायल हुए थे. उनके मन में उठ रहे सवालों का जवाब कौन देगा रेल प्रशासन या जिला प्रशासन.