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एंबुलेंस होती तो बच सकती थी दामोदर की जान!

दो माह से एंबुलेंस का है टायर खराबएंबुलेंस की उपलब्धता पर उठ रहे सवालकल्याणपुर. स्थाीनय पीएचसी में फिलवक्त दो एंबुलेंस उपलब्ध है. दोनों एंबुलेंस के पिछले कई महीनों से खराब होने के कारण मरीजों को इसका लाभ नहीं मिल पा रहा है. रविवार की सुबह सड़क दुर्घटना में जख्मी लोगों को बेहतर इलाज की जरूरत […]

दो माह से एंबुलेंस का है टायर खराबएंबुलेंस की उपलब्धता पर उठ रहे सवालकल्याणपुर. स्थाीनय पीएचसी में फिलवक्त दो एंबुलेंस उपलब्ध है. दोनों एंबुलेंस के पिछले कई महीनों से खराब होने के कारण मरीजों को इसका लाभ नहीं मिल पा रहा है. रविवार की सुबह सड़क दुर्घटना में जख्मी लोगों को बेहतर इलाज की जरूरत थी. लेकिन उन्हें डीएमसीएच ले जाने के लिये कोई एंम्बुलेंस उपलब्ध नहीं था. लोगों का कहना है कि अगर एंबुलेंस उपलब्ध होता तो दामोदर महतो की जान बच सकती थी. लेकिन ऐसा हुआ नहीं. बाद में सदर अस्पताल के डीएस श्याम मोहन दास की सक्रियता के बाद समस्तीपुर से एंबुलेंस आयी और घायलों को दरभंगा भेजा जा सका. बता दें कि कल्याणपुर पीएचसी में तत्कालीन सांसद आलोक मेहता ने अपने फंड से एक एंबुलेंस उपलब्ध कराया था. जिसे एक वर्ष पूर्व रोगी कल्याण समिति से अव्यवहृत करार देते हुए इसका परित्याग कर दिया था. वही दूसरा एंबुलेंस का टायर मार्च महीने में खराब हो गया. जो दो माह बाद भी ठीक नहीं हुआ. इस कारण वह भी पीएचसी परिसर में शोभा की वस्तु बनी है. इस बाबत स्वास्थ्य प्रबंधक रंजीत कुमार का कहना है कि इसकी सूचना सिविल सर्जन को कई बार दी जा चुकी है, मार्गदर्शन एवं राशि के प्राप्त होने के बाद उसको ठीक कराने के लिये कदम उठाया जायेगा. होते ही समुचित कदम उठाया जायेगा.

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