सहरसा: वर्ष 2014 का प्रबोध साहित्य सम्मान मैथिली के प्रसिद्ध गीतकार-गायक जोड़ी रविंद्र-महेंद्र के रविंद्र नाथ ठाकुर को दिया जायेगा. मैथिली साहित्य के क्षेत्र में प्रत्येक वर्ष स्वस्ति फाउंडेशन द्वारा दिवंगत साहित्यकार प्रबोध नारायण सिंह के नाम पर विभिन्न विधा के लोगों को सम्मान दिया जाता है.
सम्मान समारोह आगामी 15 फरवरी को सहरसा में आयोजित किया जायेगा. पूर्णिया जिले के धमदाहा में जन्मे रविंद्र द्वारा रचित गीतों को भारत व नेपाल के मंचों पर काफी पसंद किया जाता रहा है. पाश्र्वगायक उदित नारायण झा ने भी सर्वप्रथम गीतों की रिकार्डिग रविंद्र के गीत सुन-सुन सुन पनभरनी गे.. से की थी.
मैथिली के बड़े पुरस्कारों में गिना जाता है सम्मान : निर्णायक मंडल, मिथिला दर्शन (कोलकाता से प्रकाशित पत्रिका) के पाठकों के साथ ही ई-मेल/सोशल साइट पर भेजे गये अभिमत के आधार पर इस वर्ष सम्मान के लिए रवींद्रनाथ ठाकुर का चयन किया गया है. यह पुरस्कार मैथिली के बड़े पुरस्कारों में गिना जाता है. मैथिली आंदोलन के अगुआ, विख्यात लेखक, कोलकाता विश्वविद्यालय के प्रोफेसर प्रबोध नारायण सिंह के स्मृति में स्वस्ति फाउंडेशन द्वारा 2004 से एक लाख, स्मृति चिह्न् व प्रशिस्तपत्र के साथ यह पुरस्कार दिया जाता है. इनको मिल चुका है सम्मान : लीली रे (सिक्किम), महेंद्र मलंगिया (नेपाल), गोविंद झा (मधुबनी), मायानंद मिश्र (सहरसा), मोहन भारद्वाज (पटना), राजमोहन झा (पटना), जीवकांत (मधुबनी), सोमदेव (दरभंगा), चंद्रभानु सिंह (दरभंगा), रामलोचन ठाकुर (कोलकाता), सुभाष चंद्र यादव (सहरसा) व भीमनाथ झा (दरभंगा)को यह पुरस्कार प्रदान किया गया है.