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Patna News : पटना हाइकोर्ट व सरकारी विभागों की फर्जी वेबसाइट बना कर कई लोगों से की थी पांच करोड़ की ठगी, दो गिरफ्तार

पटना हाइकोर्ट व विभागों की फर्जी वेबसाइट बना कर नौकरी देने का झांसा देकर पांच करोड़ की ठगी कर चुके दो बदमाशों को पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया. इसके पास से एक लैपटॉप, दो मोबाइल फोन और हाइकोर्ट का फर्जी आइकार्ड बरामद किया गया है.

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संवाददाता, पटना : पटना हाइकोर्ट और बिहार सरकार के विभागों की फर्जी वेबसाइट बना कर क्लर्क और चपरासी की नौकरी देने का झांसा देकर करीब पांच करोड़ की ठगी कर चुके दो बदमाशों को साइबर थाने की पुलिस ने बोरिंग रोड के गोरखनाथ कॉम्प्लेक्स से गिरफ्तार कर लिया. इनमें बेगूसराय के तेघड़ा का अविनाश कुमार और गर्दनीबाग का पवन शामिल हैं. अविनाश ने गोरखनाथ कॉम्प्लेक्स में ऑफिस बना रखा था. इसके पास से एक लैपटॉप, दो मोबाइल फोन और हाइकोर्ट का फर्जी आइकार्ड बरामद किया गया है. साथ ही पुलिस टीम ने हाइकोर्ट के डॉक्यूमेंट का डिजिटलाइजेशन करने का काम करने वाली कंपनी कार्यालय में भी छापेमारी की. लेकिन, जालसाज सतीश फरार हो गया. यह गिरोह उसी कंपनी के कार्यालय में लोगों को ट्रेनिंग भी दिलवाता था. कंपनी की योगदान पंजी पुलिस ने जब्त कर ली है. अविनाश एमसीए कर चुका है, जबकि पवन प्लस टू पास है. हालांकि, इस गिरोह में शामिल आठ अन्य बदमाश फिलहाल फरार हैं. नौकरी दिलाने के नाम पर ठगी करने वाला यह गिरोह करीब दो सालों से सक्रिय है. इन लोगों ने अब तक दर्जनों लोगों से करीब पांच करोड़ की ठगी की है. एक उम्मीदवार से यह गिरोह आठ से दस लाख रुपये की ठगी करता था. गिरफ्तार पवन को पुलिस की छापेमारी होने की भनक लग गयी थी, जिसके कारण वह नेपाल भाग गया था और पत्नी को लेने के लिए पटना आया था. इसी दौरान पुलिस ने उसे पकड़ लिया.

इमेल आइडी से भेजते थे ज्वाइनिंग लेटर, वेबसाइट पर जारी करते थे रिजल्ट

इस गिरोह ने पटना हाइकोर्ट और सचिवालय की फर्जी वेबसाइट बना ली थी और उस पर ही नियुक्ति के लिए विज्ञापन निकालने के साथ ही रिजल्ट भी जारी करता था. लोग उस वेबसाइट को सही मान कर फंस जाते थे. इसके बाद इमेल से उन्हें ज्वाइनिंग लेटर भी भेज दिया जाता था. साइबर थाने के प्रभारी व डीएसपी राघवेंद्र मणि त्रिपाठी ने बताया कि इस मामले में दो को गिरफ्तार कर लिया गया है. अन्य के नाम भी सामने आये हैं, जिन्हें पकड़ने के लिए छापेमारी की जा रही है. इस मामले में एक अधिवक्ता की भी संलिप्तता सामने आयी है. सत्यापन किया जा रहा है.

फर्जी वेबसाइट को लेकर दर्ज करायी गयी थी प्राथमिकी

पटना हाइकोर्ट की फर्जी वेबसाइट बनाने के को लेकर दो जनवरी, 2025 को रजिस्ट्रार प्रदीप कुमार मलिक ने साइबर थाने में केस दर्ज कराया था, जबकि सरकारी विभागों की फर्जी वेबसाइट बनाने के मामले में आइपीआरडी के आइटी मैनेजर जीतेंद्र कुणाल ने 20 मार्च को केस दर्ज कराया था. इसके बाद 18 अप्रैल को भोजपुर निवासी सोनू व पालीगंज के दीपक ने साइबर थाने में पटना हाइकोर्ट में नौकरी लगाने का झांसा देकर लाखों रुपये ठगी करने का आरोप लगाते हुए केस दर्ज कराया था. इन दोनों ने पुलिस को जानकारी दी थी कि आठ-दस लोगों से इस गिरोह ने करीब 50 लाख की ठगी की है.

बेंगलुरु में नौकरी करता था अविनाश, कोरोना के दौरान छूट गयी थी नौकरी

अविनाश एमसीए करने के बाद बेंगलुरु में नौकरी करता था. लेकिन, कोरोना के दौरान उसकी नौकरी छूट गयी. इसके बाद उसने अपनी कंपनी बनायी और बोरिंग रोड के गोरखनाथ कॉम्प्लेक्स में ऑफिस खोल कर ठगी में शामिल हो गया. इसने हाइकोर्ट व सरकारी विभागों की फर्जी वेबसाइट बनायी और जालसाजी का खेल खेलने लगा. हाइकोर्ट की फर्जी वेबसाइट बनाने के मामले में पुलिस ने अप्रैल माह में ही सीवान के रामबाबू यादव को गिरफ्तार कर जेल भेजा था. रामबाबू से मिली जानकारी और आइपी एड्रेस के माध्यम से अविनाश को साइबर थाने की पुलिस ने गिरफ्तार करने में सफलता पायी.

डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है

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