पटना सिटी. श्री गुरु गोविंद सिंह सदर अस्पताल में विगत दो दिनों में दो नवजात शिशुओं की मौत से हड़कंप मच गया है. आरोप है कि बुधवार को जहां नजराना की मांग के कारण नवजात को परिजनों को सौंपने में देरी हुई और इस दौरान बच्चे की तबीयत बिगड़ गयी और उसकी मौत हो गयी, वहीं गुरुवार को पांच दिन से भर्ती एक माह के नवजात की इलाज में लापरवाही के कारण मौत हो गयी. दोनों मामलों की गंभीरता के मद्देनजर डीएम डॉ चंद्रशेखर के द्वारा तीन सदस्यीय जांच दल का गठन किया है, और दो दिनों में रिपोर्ट सौंपने का निर्देश दिया है. इससे पहले अस्पताल अधीक्षक डॉ योगेंद्र प्रसाद मंडल ने भी चार सदस्यीय जांच कमेटी गठित की है.
डीएम की ओर से गठित कमेटी:
उप विकास आयुक्त, सिविल सर्जन व एसडीओ, पटना सिटीअस्पताल अधीक्षक की ओर से गठित कमेटी:
गायनी और शिशु रोग विभाग के चिकित्सक, अस्पताल के स्वास्थ्य प्रबंधक और लिपिक.घटना-1
सदर अस्पताल स्थित एसएनसीयू में पांच दिनों से भर्ती नवजात बच्ची की तबीयत बिगड़ने के बाद उसे एनएमसीएच रेफर किया गया. जहां उसे मृत घोषित कर दिया. इससे नाराज परिजनों ने गुरुवार की शाम सदर अस्पताल में हंगामा किया. परिजनों का आरोप है कि उपचार में लापरवाही से बच्ची की मौत हुई है. खाजेकलां थाना के छोटी बाजार रौशन कॉलोनी निवासी परिजनों ने बताया कि एक माह पहले बच्ची हुई थी. पांच दिन पहले उसकी तबीयत बिगड़ गयी और उसे भर्ती कराया गया था. दूसरी ओर, अस्पताल प्रबंधक शब्बीर खान का कहना है कि उपचार में कोताही नहीं बरती गयी, बल्कि स्थिति गंभीर होने पर रेफर किया गया था.घटना-2
बुधवार को तड़के चार बजे अस्पताल में प्रसव कराने के लिए मालसलामी के सहादरा निवासी कन्हाई कुमार की पत्नी अंशु कुमारी पहुंची थी. लगभग आठ बजे ममता व अन्य कर्मी मिल कर प्रसव कराया गया. इसके बाद नवजात को सौंपने के एवज में नजराना की मांग होती रही. जबरन नजराना वसूलने के बाद नवजात को दिया गया. इसी बीच नवजात काफी सीरियस हो गया. अस्पताल में ही जब शिशु रोग विभाग में दिखाया, तो चिकित्सक ने एनमसीएच रेफर किया. जहां चिकित्सकों ने उसे मृत घोषित कर दिया. नवजात की मौत की जांच कराने और दोषी की कार्रवाई की मांग परिजनों ने अधीक्षक से की थी.डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है