Patna Book Fair 2025: गांधी मैदान में चल रहे 41वें पटना पुस्तक मेला में रविवार को कला, साहित्य, शिक्षा, संगीत और किस्सागोई से भरा विविधताओं वाला दिन रहा. तीसरे दिन मेले में करीब 70 से 80 हजार दर्शक पहुंचे. जैसे-जैसे दिन बढ़ते जा रहे हैं, मेला परिसर में साहित्य, कला और विज्ञान के प्रति लोगों का उत्साह भी बढ़ता जा रहा है. तीन दिन में पुस्तक प्रेमियों के पहुंचने का आंकड़ा एक को पार कर गयी है. मेला परिसर में नई किताबों पर चर्चा, स्वास्थ्य संवाद, नाटक आदि का का आयोजन किया जा रहा है. पेश है इसपर आधारित रिपोर्ट..
किस्सागो डॉ विमलेंदु ने अंग्रेज कवि की कविता सुनायी
मेले में कश्यप मंच पर आयोजित ‘किताब के शब्द उच्चरित हुए’ कार्यक्रम में प्रभात रंजन, अंचित और निसार अहमद ने भाग लिया. वक्ताओं ने कहा कि अनुवाद केवल भाषा नहीं, बल्कि विचारों और संस्कृति का सेतु है, जो रचनाओं को वैश्विक पाठक तक पहुंचाता है. वहीं, किस्सागो डॉ विमलेन्दु (dr vimlendu) ने ‘इओस और टिथोनस’ की प्रेमकथा को अंग्रेज कवि टेनिसन की कविता के आधार पर अपने शब्दों में प्रस्तुत किया.
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संतुलित दिनचर्या से डाइबिटीज किया जा सकता है नियंत्रित
पटना पुस्तक मेला में आयोजित स्वास्थ्य संवाद में डॉ आनंद शंकर, डॉ रवि प्रकाश, डॉ अमित कुमार दास और ऑर्थोपेडिक सर्जन डॉ ऋषभ ने मधुमेह और उसके प्रभावों पर विस्तार से चर्चा की. त्वचा रोग विशेषज्ञ डॉ विकास शंकर (Dr Vikas Shankar) ने उनसे संवाद किया. विशेषज्ञों ने बताया कि पैदल चलना, पर्याप्त नींद और संयमित आहार डायबिटीज नियंत्रण की कुंजी है. डॉ आनंद ने कहा कि शरीर में इंसुलिन का असंतुलन गलत जीवनशैली से बढ़ता है. डॉ रवि ने स्पष्ट किया कि यह रोग पतले-मोटे किसी को भी हो सकता है. डॉ ऋषभ ने सलाह दी कि डाइबिटीज (diabetes) मरीज चोट से बचें और अच्छा फुटवियर पहनें.
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ग्रंथ ‘मैं रत्नेश्वर’ स्थितप्रज्ञ अवस्था और 19 कलाओं का विस्तृत वर्णन
मेले परिसर में लोकार्पण के बाद दुनिया की पहली ग्रंथ ‘मैं रत्नेश्वर’ (Main Ratneshwar) को लेकर मेला अध्यक्ष और लेखक रत्नेश्वर (Ratneshwar) ने कहा कि यह पुस्तक ज्ञान की परम अवस्था के बारे में बताती है, जिसे अब तक किसी योगी ने भी नहीं बताया. वे कहते हैं कि यह ज्ञान एक विशेष अनुभव से प्राप्त किया, जो उन्हें 3 घंटे 24 मिनट में हुआ. इस ग्रंथ में स्थितप्रज्ञ अवस्था और 19 कलाओं का विस्तृत वर्णन किया गया है, जबकि पहले 16 कलाओं पर चर्चा होती रही थी.

इस ग्रंथ की 16 प्रतियां तैयार की गई हैं, जिनमें से 11 प्रतियां प्रसिद्ध विद्वानों और मार्गदर्शकों को भेंट की जाएंगी. तीन प्रतियां मेला में उपस्थित लोगों को दी गई हैं, जबकि शेष 8 ग्रंथ लोगों में बांटे जाएंगे. इसके अलावा, तीन पुस्तकें ऑनलाइन प्लेटफॉर्म पर बिक्री के लिए उपलब्ध हैं, और दो ग्रंथ देश के प्रमुख स्थलों पर प्रदर्शित किए जाएंगे. प्रदर्शित स्थलों पर इसका ऑडियो और विजुअल माध्यम से भी ज्ञान साझा किया जाएगा. इस ग्रंथ की कीमत 15 करोड़ रुपये है. इससे यह दुनिया की सबसे महंगी किताब बनी है.
हानूश’ और ‘माधवी’ पर केंद्रित महत्वपूर्ण नाट्य-संकलन का हुआ विमोचन
पटना पुस्तक मेला में सेतु प्रकाशन द्वारा रंगकर्मी अनीश अंकुर (Anish Ankur) संपादित पुस्तक ‘भीष्मसाहनी’ का लोकार्पण हुआ. इस पुस्तक में भीष्म साहनी के दो चर्चित नाटक ‘हानूश’ और ‘माधवी’ पर केंद्रित आलोचनात्मक आलेख संकलित हैं. श्रृंखला संपादन देवेंद्र राज अंकुर और महेश आनंद ने किया है. साथ ही, मृत्युञ्जय प्रभाकर संपादित असगर वजाहत के प्रसिद्ध नाटक ‘जिन्ने लाहौर नहीं वेख्या..’ का भी विमोचन किया गया. समारोह में उर्दू प्रो सफदर इमाम कादरी, प्रो कलानाथ मिश्र, आईपीएस सुशील कुमार, एनके झा, कुमार वरुण, अनिल अंशुमन, कवि चंद्रबिंद सिंह, चंदन और बृजम पांडे सहित अनेक बुद्धिजीवी उपस्थित थे.
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लेखन की अलग-अलग विधाओं पर आधारित पुस्तक की डिमांड
मेले (Patna Book Fair) में साहित्य, राजनीति, विज्ञान, दर्शन, तकनीकी और बाल पुस्तकों का संसार सजा है. एनबीटी स्टॉल पर रामधारी सिंह दिनकर, हमारा संविधान, न्यायपालिका से जुड़ी पुस्तकों की मांग है. स्टॉल संचालक बीरेंद्र प्रसाद ने बताया कि पुस्तकों पर विशेष छूट दिया जा रहा है. सौ रुपये देकर मेंबरशिप बनने के बाद आजीवन पुस्तकों पर छूट पाठक प्राप्त कर सकते हैं. एनबीटी पर अरुण कुमार भगत द्वारा लिखित पत्रकारिता की पुस्तक की अच्छी बिक्री हो रही है. स्टॉल पर उनकी चार पुस्तक उपलब्ध है. इसमें ‘पत्रकारिता : सर्जनात्मक लेखन और रचना-प्रक्रिया’ पुस्तक डिमांड में है. इसमें लेखन की अलग-अलग विधाओं को बताया गया है.
मंटों और गालिब से जुड़ी रचना पर 20 से 75 फीसदी की छूट
राष्ट्रीय उर्दू भाषा परिषद की ओर से मंटों और गालिब से जुड़ी रचनाएं पाठकों को आकर्षित कर रहा है. स्टॉल संचालक संजय सिंह ने कहा कि पाठकों को 20 से लेकर 75 प्रतिशत की छूट दी जा रही है. भारतीय ज्ञान पीठ स्टाल पर सुरेंद्र वर्मा की पुस्तक मुझे चांद चाहिए, सुभाष चंद्र बोस के जीवन पर आधारित पुस्तक महानायक को लोग पसंद कर रहे हैं. साहित्य अकादमी की ओर से बाबरनामा और प्रेमचंद की पुस्तकों की अधिक बिक्री हो रही है. मैथिली लोक गीतों की पुस्तक पाठकों की पसंद है.
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बिहार की कला, संस्कृति, धरोहर और पर्यटन पर आधारित पुस्तकों की डिमांड
भारत सरकार के सूचना और प्रसारण मंत्रालय द्वारा प्रकाशित गांधी के जीवन पर आधारित पुस्तक से लेकर भगत सिंह की पुस्तक की अच्छी बिक्री हो रही है. इसके अलावे भारत के संविधान पर आधारित पुस्तक भी डिमांड में है. उधर वाणी प्रकाशन के स्टॉल पर इस साल भी गुनाहों का देवता, दीवार में एक खिड़की रहती थी आदि की बिक्री अधिक है. वहीं, प्रभात प्रकाशन से प्रकाशित सुबोध कुमार नंदन (Subodh Kumar Nandan) की बिहार की कला, संस्कृति, धरोहर और पर्यटन पर आधारित पुस्तकों को प्रतियोगी छात्र-छात्राओं के बीच बड़ी लोकप्रियता मिल रही है. राजकमल प्रकाशन पर अशोक राजपथ, ठुमरी, मैला आंचल को युवा खरीद रहे हैं. नयी वाली हिंदी के स्टॉल पर युवा लेखकों की उपस्थिति भी लोगों को आकर्षित कर रही है.
मां के लिए पटना पुस्तक मेला हमेशा विशेष रहा: अंशुमान
पटना पुस्तक मेला (Patna Book Fair) बिहार की साहित्यिक और सांस्कृतिक पहचान का प्रतीक है. मेले में रविवार को प्रभात खबर से बातचीत में स्व लोकगायिका शारदा सिन्हा (Sharda Sinha) के पुत्र अंशुमान ने कहा कि यह आयोजन न सिर्फ राजधानी, बल्कि पूरे राज्य के साहित्यिक बोध को सामने लाताहै. उन्होंने बताया कि उनकी मां के लिए पटना पुस्तक मेला हमेशा विशेष रहा. हर साल उनका यहां आना लगभग तय होता था.
साल 2023 में तो उनके नाम से ‘शारदा सिन्हा थिएटर’ बनाया गया था. मंच पर आकर अपनी यादें साझा करना उन्हें बेहद प्रिय था. उन्होंने कहा कि डिजिटल युग में युवाओं को किताबों से जोड़ना जरूरी है, क्योंकि कागज की किताब पकड़कर पढ़ने का एहसास कभी खत्म नहीं होना चाहिए. अब के युवा किताबों को मोबाइल में पढ़ना ज्यादा पसंद करते हैं. उन्होंने उम्मीद जताई कि पटना पुस्तक मेला आगे भी युवाओं को प्रेरित करता रहेगा और साहित्यिक परंपरा को मजबूत बनाए रखेगा.

पुस्तक प्रेमी मंगल ग्रह की भी कर रहे सैर
मेले में विभागीय स्टॉल भी लगे हैं. इसमें विज्ञान, प्रौद्योगिकी एवं तकनीकी शिक्षा विभाग के स्टॉल पर बड़ी संख्या में दर्शक पहुंच रहे हैं. यहां दर्शकों को वीआर (Virtual Reality) के जरिए मंगल ग्रह की सैर करायी जा रही है. रितेश रोशन ने बताया कि करीब 360 लोग अब तक देख चुके हैं. इसी तरह आपदा प्रबंधन विभाग के स्टॉल पर आपदा के दौरान कैसे खुद को सुरक्षित रख सकते हैं और कैसे उससे लड़ें इसपर आधारित फिल्म दिखायी जा रही है. सचिव वारिश खान ने कहा कि करीब 600 लोग फिल्म देख चुके हैं. वहीं, विभाग के दो लोग जोकर की वेशभूषा पहन लोगों का मनोरंजन करते हुए इससे अवगत करा रहे हैं.
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सोशल मीडिया पर केंद्रित नुक्कड़ नाटक प्रस्तुत किया
रंग उमंग संस्था ने सोशल मीडिया पर केंद्रित नुक्कड़ नाटक प्रस्तुत किया, जिसमें बताया गया कि डिजिटल लत कैसे रचनात्मकता और सामाजिक व्यवहार को प्रभावित कर रही है. कार्यक्रम में रंगकर्मी रवि मिश्रा को प्रथम दर्शक ज्योति परिहार (Jyoti Parihar) द्वारा सम्मानित किया गया. ज्ञान और गुरुकुल में प्रो कलानाथ मिश्र और डॉ वरुण कुमार के बीच ‘साहित्य लेखन की परंपरा’ विषय पर सारगर्भित संवाद हुआ. वहीं, निजी स्कूल के बच्चों ने स्वास्थ्य और स्वच्छता पर आधारित रंगारंग प्रस्तुति दी, जिसे दर्शकों ने खूब सराहा. अतिथि के रूप में डॉ विपिन सिंह मौजूद रहे.
रीना सोपम ने रखे दिलचस्प तथ्य
सिनेमा उनेमा के दूसरे दिन वरिष्ठ पत्रकार रीना सोपम ने ‘सिनेमा और संगीत’ विषय पर वक्तव्य दिया. उन्होंने बताया कि फिल्मों में संगीत की परंपरा इतनी पुरानी है कि मूक फिल्मों के समय भी प्रदर्शन के दौरान वाद्य यंत्रों से संगीत बजाया जाता था. 1930 के दशक में भारतीय सिनेमा की पहली प्रमुख महिला संगीतकार सरस्वती देवी थीं, जिन्होंने कई लोकप्रिय धुनें दीं. कार्यक्रम के दौरान लोक गायिका ऋचा चौबे को सम्मानित किया गया. इस अवसर पर पुस्तक मेला संयोजक अमित झा, प्रथम दर्शक डॉ सुनील कुमार और शिक्षाविद विपिन कुमार सिंह उपस्थित रहे. दर्शक दीर्घा में बड़ी संख्या में साहित्य और सिनेमा प्रेमी मौजूद थे.
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नये कवियों की प्रस्तुति ने दर्शकों को खूब प्रभावित किया
कश्यप मंच पर आयोजित युवा मुशायरे में नए कवियों की प्रस्तुति ने दर्शकों को खूब प्रभावित किया. निशांत पांडेय के शेर “क्या बताऊं उस दफा क्या क्या चला गया..” पर दर्शकों ने खूब दाद दी. लक्की सिंह ने बचपन की स्मृतियों से भरी कविता पढ़ी, जबकि अनिल कुमार सुमन की दहेज पर आधारित रचना ने श्रोताओं को भावुक किया. अटल कर्ण की प्रेम-कविता और दिव्या श्री की सामाजिक चेतना से भरी पंक्तियों को भी सराहना मिली. कार्यक्रम में अमरेश शुभम, प्रगति वर्मा, अमन प्रकाश सहित कई युवा कवियों ने भाग लिया और अपनी कविताओं से अलग-अलग भाव–विश्व प्रस्तुत किए.
युवा पुस्तक प्रेमियों ने क्या कहा?
1. किताबें पढ़ने का शौक है.डिजिटली एहसास नहीं मिलता है. मेले में आने के बाद साहित्य के प्रति रुचि और भी अधिक बढ़ जाती है. अपनी सहेली के साथ राजकमल प्रकाशन से दिनकर और प्रेमचंद की किताबें खरीदी. नयी वाली हिंदी से भी किताबें खरीदी है. दिव्य प्रकाश दूबे व सत्यव्यास की किताबें प्रिय है.
– अनुप्रिया
2. कविता और शायरी का शौक रखता हूं. पन्नों का एहसास अलग होता है, यही वजह है कि मेले में खींचा चला आया. मेले का माहौल आपके प्रति साहित्य के प्रति रूचि पैदा कर देता है. हमारे जेनेरेशन के लोग अब ऐसे जगहों पर आने के बजाय पार्टी-फंक्शन में जाना ज्यादा पसंद करते हैं. धर्मवीर भारती व विनोद कुमार शुल्क की किताबों को पढ़ता हूं. अब हिंद युग्म की किताबें भी ट्राय कर रहा हूं.
– हर्षित

