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नीतीश की यात्राएं-6 : खेतों में लगता था मुख्यमंत्री का टेंट, गांव की गलियों में करते थे सुबह की सैर

Nitish Kumar Yatra: बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार एक बार फिर प्रदेश की यात्रा पर हैं. 2005 में नवंबर महीने में मुख्यमंत्री बनने के पूर्व वे जुलाई महीने में न्याय यात्रा पर निकले थे. विकास यात्रा उनकी दूसरी यात्रा थी. नीतीश कुमार की अब तक 15 से अधिक यात्राएं हो चुकी हैं. आइये पढ़ते हैं इन यात्राओं के उद्देश्य और परिणाम के बारे में प्रभात खबर पटना के राजनीतिक संपादक मिथिलेश कुमार की खास रिपोर्ट की छठी कड़ी..

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Nitish Kumar Yatra: विकास यात्रा के दौरान खेतों में बने टेंट में मुख्यमंत्री नीतीश कुमार रात्रि विश्राम करते थे. बतौर मुख्यमंत्री यह उनकी पहली यात्रा थी. विकास यात्रा के दौरान उन्होंने प्रदेश के एक-एक जिलों की समस्याओं को सुना, समझा और उसके निराकरण के रास्ते निकाले. कई फैसले तो यात्रा के दौरान ही लिये गये. अनुमंडलों में डिग्री कॉलेज खुलने का फैसला हो या कटिहार को नगर निगम का दर्जा, यह सब विकास यात्रा के दौरान ही उन्होंने घोषणा की. विकास यात्रा में पूरी सरकार गांव में रहती थी. गांव को इतने करीब से देखने का मौका शायद ही पटना के अधिकारियों और पत्रकारों को फिर कभी मिला..

पूस की ठंड और सीएम की चौपाल

विकास यात्रा के दौरान मुख्यमंत्री गांवों में टेंट लगा कर रात्रि विश्राम करते. अगली सुबह पड़ोस के गांव में सुबह की सैर करते. दिन में जनता दरबार और इसके बाद अधिकारियों के संग बैठक होती. फिर देर शाम तक दूसरे जिले का पड़ाव. पूस की ठंड और सीएम का चौपाल. इस पर गांवों में खुले में बने टेंट में रात्रि विश्राम. यह सब अनोखा था. एक पत्रकार के रूप में खबरों को देखने, परखने और आन स्पाट निबटारे की सीएम की कार्यर्शैली से खूब मजा भी आ रहा था. यों तो मेरा भी गांवों से पुराना रिश्ता रहा था. पर इतने करीब से गांवों का जीवन और उनकी समस्याओं से रू-ब-रू होने का पहला मौका था.

सुबह की सैर के दौरान बनती थी कई खबरें

शहर से दूर होने के कारण हम सभी मुख्यमंत्री के ठहरने की जगह के करीब के किसी गांव में ठौर खोजते. कारण था कि मुख्यमंत्री की सुबह की सैर के दौरान भी कई खबरें बन जाती थी. हमें याद आ रहा है कि पूर्वी चंपारण के किसी गांव में मुख्यमंत्री का टेंट लगा था. हमलोगों को कहीं ठहरने की जगह नहीं मिली. एक समाचार चैनल के स्ट्रींगर ने रास्ता निकाला. उनके परिचित के गांव में एक अति साधारण किसान के बथान, जहां गायों को रखा जाता था, थोड़ी-बहुत जगह मिली.

सरकारी व्यवस्था से दूर रहे पत्रकार

हम तीन चार लोग थे. हम सभी ने वहीं रात्रि विश्राम करने का फैसला किया. जिनके घर हम अतिथि बने, उन्होंने बहुत ही आदर और प्रेम से हम सबों को भोजन कराया. मकसद था कि सीएम के निकलते ही खबर मिल जाये और हम सब उनके साथ खबर बटोर सके. ऐसे कई वाकये थे. जो जमीनी पत्रकारिता का अनुभव दिला रहे थे. यात्रा के दौरान एक बार किसी विधायक के परिचित के घर भी ठहरने का मौका मिला. वहां जाहिर है कि अच्छा भोजन नसीब हुआ. एक-दो बार हमलोगों ने मुख्यमंत्री से बात भी की, उनकी पहल पर उनके टेंट के बगल में ही पत्रकारों के ठहरने की भी व्यवस्था हुई, पर सुरक्षा और अन्य मसलों से यह व्यावहारिक नहीं हो पाया.

Also Read: नीतीश की यात्राएं-5 : विकास यात्रा के दौरान टेंट में गुजरी थी रातें, खेत में की थी कैबिनेट की बैठक

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