मसौढ़ी : हालत व परिस्थितियों से मजबूर होकर बहुत से अभिभावक चाह कर भी अपने बच्चों को अच्छी शिक्षा नहीं दिला पाते हैं. ऐसे में धनरूआ के तेतरीचक गांव के रिटायर्ड दिव्यांग शिक्षक रामनरेश सिंह ने गरीब बच्चों को निःशुल्क शिक्षा देकर उन्हें समाज की मुख्य धारा से जोड़ने की जिम्मेदारी उठा रखी है.
वे वर्ष 2013 से लगातार गांव के गरीब बच्चों को निःशुल्क शिक्षा दे रहे हैं. उनके द्वारा शिक्षित करीब दो दर्जन से अधिक शिष्य आज विभिन्न सरकारी सेवाओं में हैं. रामनरेश सिंह ने 2013 में अपने गांव के पास ही स्थित प्राथमिक विद्यालय लोदीपुर से रिटायर्ड होने के बाद गरीब व असहाय बच्चों को अपने घर पर बुलाकर पढ़ाना शुरू किया.
उनकी सोच को लोगों ने सराहा और इनका कारवां बढ़ता गया. आज तेतरीचक गांव समेत आसपास के 60 से 80 लड़के रोज सुबह इनके पास आकर पढ़ाई करते हैं. ये बच्चे नर्सरी से चौथी कक्षा के हैं. इससे गरीब परिवारों के बच्चों को पढ़ाई करने में मदद मिल रही है साथ ही उनका जीवन संवर रहा है.
पढ़ाई के तरीके से गुरुकुल की याद हाे जाती है ताजा
उनकी व्यवस्था देखने से गुरुकुल की याद ताजा हो जाती है.इन बच्चों को पढ़ाने के बाद वे अपने गांव के प्राथमिक विद्यालय में प्रतिदिन जाकर वहां छात्रों के बीच एक-दो घंटे समय देकर शिक्षा के प्रति जागरूक करते हैं.
रामनरेश सिंह ने बताया कि गुरु-शिष्य परंपरा भारतीय संस्कृति का अहम व पवित्र हिस्सा है .वर्तमान परिवेश में कई ऐसे शिक्षक हैं ,जो धनोपार्जन के कारण इस परंपरा पर आघात कर रहे हैं . शिक्षा को अब व्यापार समझकर बेचा जाने लगा है . ऐसे में उनके द्वारा बच्चों को निःशुल्क शिक्षा देना बहुत लोगों को खटकता है .
इसकी परवाह किये बिना बच्चों को निःशुल्क शिक्षा देकर वे खुद अपने को गौरवान्वित महसूस करते हैं. उन्होंने कहा कि गरीबी में पला- बढ़ा हूं. शिक्षक रहा हूं. इसलिए गरीब बच्चों को शिक्षा ग्रहण करने में आनेवाली कठिनाइयों को बहुत नजदीक से समझता हूं. दिव्यांगता आड़े नहीं आती, तो आसपास खुद जाकर वैसे बच्चों को शिक्षा के प्रति जागरूक करने से बाज नहीं आता.
शिक्षक रामनरेश सिंह द्वारा शिक्षित कई छात्र आज विभिन्न जगहों पर सरकारी सेवा में कार्यरत हैं. इनमें तेतरीचक के पास सूर्यगढ़ा के रहने वाले दिलीप कुमार जमशेदपुर में टिस्को में इंजीनियर हैं. तेतरीचक गांव के ही मनोज पंडित नालंदा के थरथरी प्रखंड में प्रोग्राम अधिकारी हैं ,जबकि विकास कुमार मुंबई में रेलवे में टेक्निशियन व शैलेश कुमार जबलपुर में लोको पायलट हैं.