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पटना : राष्ट्रीय औसत के लिए 50 हजार पुलिसकर्मियों की करनी होगी भर्ती

अनुज शर्मा पटना : पुलिस के मामले मेें राष्ट्रीय औसत तक पहुंचने के लिए राज्य में अभी कम से कम 50 हजार पुलिसकर्मियों की नियुक्ति करनी होगी. अभी राज्य में एक लाख लोगों पर 118 पुलिस हैं. राष्ट्रीय औसत एक लाख की आबादी पर 137 पुलिसकर्मियों की है. अदालतें 2020 तक खाली पदों को भरे […]

अनुज शर्मा
पटना : पुलिस के मामले मेें राष्ट्रीय औसत तक पहुंचने के लिए राज्य में अभी कम से कम 50 हजार पुलिसकर्मियों की नियुक्ति करनी होगी. अभी राज्य में एक लाख लोगों पर 118 पुलिस हैं. राष्ट्रीय औसत एक लाख की आबादी पर 137 पुलिसकर्मियों की है. अदालतें 2020 तक खाली पदों को भरे जाने काे कह रही है. पुलिस महकमा इसके लिए राजी हो जाता है, तो आने वाले दिनों में बड़ी संख्या में युवाओं को पुलिस की नौकरियां मिल सकेंगी.
युवाओं की शिकायत रही है कि समय पर विज्ञापन जारी नहीं होने से हर साल हजारों युवा रोजगार से वंचित हो जा रहे हैं. साथ ही वैकेंसी निकलने के इंतजार में सैकड़ों युवाओं की उम्र भी खत्म हो जा रही है. दूसरी ओर रिटायर्ड लोगों को सेवा का मौका देकर राज्य का आर्थिक बोझ बढ़ रहा है.
सरकार पुलिस पर बजट का करीब चार फीसदी खर्च कर रही है. पुलिस में डीएसपी, दारोगा और सिपाही के पदों पर सीधी बहाली होती है. डीएसपी को छोड़कर किसी भी पद पर नियमित बहाली नहीं हुई. सरकार ने नियमित बहाली के लिए 2016 में बिहार पुलिस अवर सेवा आयोग और 2008 में केंद्रीय चयन पर्षद (सिपाही भर्ती) का गठन किया.
केंद्रीय चयन पर्षद ने 11 साल में विभिन्न कोटि के सिपाही के करीब 55 हजार पदों पर वैकेंसी निकाली, लेकिन यह हर साल नहीं निकली. 2009 व 2018 में दो – दो वैकेंसी आयी. वर्ष 2010, 2011 और 2013 में कोई रिक्तियां नहीं आयी. 2015 और 2016 में वैकेंसी आयी भी तो एसटी की महिला बटालियन और चालक सिपाही के लिए. 2018 में सिपाही के 9900 और फायरमैन के 1965 पदों पर बहाली शुरू हुई.
मुख्य परीक्षा होती उससे पहले ही बहाली रद्द कर दी गयी. वहीं, बिहार पुलिस अवर सेवा आयोग ने तीन साल में दारोगा के 1717 पदों पर बहाली किया है. दारोगा (उत्पाद) के 126 पदों के लिए पीटी हो चुका है. स्टैनो सब इंस्पेक्टर 174 पदों के लिए मुख्य परीक्षा का रिजल्ट आ गया है.
29 हजार 240 रिक्तियां भरने के बाद भी 21745 पुलिसकर्मी करने होंगे बहाल
प्रोमोशन और बहाली के प्रयास तेज
सरकार पदोन्नति और बहाली से रिक्त पद भरने को तेजी से काम कर रही है. एक साल में 120 डीएसपी, 240 दारोगा 9845 सिपाही के पद सीधी भर्ती से भरे गये. इंस्पेक्टर के 162 पद, दारोगा के 1469 तथा जमादार के 1647 पदों को प्रोन्नति के जरिये भरा गया है. दस हजार सिपाहियों व दारोगा के 1500 से अधिक पदों का विज्ञापन आने वाला है.
गुड पुलिसिंग के लिए चाहिए 21745 पुलिसकर्मी और पांच साल : एक साल में 50985 पदों पर बहाली भी कर ली जाये तो उनकी ट्रेनिंग में ही करीब पांच साल लगेंगे.
सिपाही की ट्रेनिंग एक साल की होती है और पुलिस ट्रेनिंग सेंटर की एक साल में दस हजार सिपाहियों को ही ट्रेंड करने की क्षमता है. दारोगा की ट्रेनिंग तीन साल की होती है. अनौपचारिक बातचीत में एडीजी सीआइडी विनय कुमार बताते हैं कि सरकार ने बहुत काम किया है. बहाली शुरू होने से लेकर सेवा लेने तक में करीब पांच साल का वक्त लगता है.
सरकार को रिक्तियों की समीक्षा करनी चाहिए. पुलिसकर्मियों की बहाली से ज्यादा महत्वपूर्ण है पुलिस की बहाली में लोग कैसे आ रहे हैं. उनको ट्रेनिंग किस प्रकार दी जा रही है. विधि व्यवस्था एवं अपराध नियंत्रण में संख्या नहीं, बल की मंशा काम करती है. सिपाही को शारीरिक परीक्षा के साथ -साथ मनोविज्ञान की कसौटी पर भी परखना होगा.
अभयानंद , पूर्व डीजीपी, िबहार
इन पदों का हुआ सृजन
दारोगा (विधि व्यवस्था एवं अनुसंधान) – 5244, जमादार (विधि व्यवस्था एवं अनुसंधान) – 2603, विशेष शाखा- 437, सीआइडी- 132, सीसीएसएमयू- 740

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