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पटना : टॉप 100 मेडिकल कॉलेजों में बिहार से भी नाम हो

राज्यपाल लालजी टंडन ने की मेडिकल कॉलेज अस्पतालों की स्वास्थ्य सुविधाओं की समीक्षा पटना : राज्यपाल सह कुलाधिपति लालजी टंडन ने कहा कि देश में 450 मेडिकल कॉलेज हैं. बिहार के मेडिकल कॉलेजों की गुणवत्ता ऐसी हो कि टॉप 100 मेडिकल कॉलेजों की सूची में शामिल हों. उन्होंने कहा कि राज्य में नये खुल रहे […]

राज्यपाल लालजी टंडन ने की मेडिकल कॉलेज अस्पतालों की स्वास्थ्य सुविधाओं की समीक्षा

पटना : राज्यपाल सह कुलाधिपति लालजी टंडन ने कहा कि देश में 450 मेडिकल कॉलेज हैं. बिहार के मेडिकल कॉलेजों की गुणवत्ता ऐसी हो कि टॉप 100 मेडिकल कॉलेजों की सूची में शामिल हों. उन्होंने कहा कि राज्य में नये खुल रहे 11 सरकारी मेडिकल कॉलेजों की स्थापना के बाद कुल सरकारी मेडिकल कॉलेजों की संख्या 20 हो जायेगी.

इसमें आधारभूत संरचना विकसित करने के साथ-साथ, यह भी जरूरी है कि उपलब्ध संसाधनों का समुचित इस्तेमाल एवं गुणवत्तापूर्ण विकास किया जाये. राजभवन में बुधवार को राज्यपाल सह कुलाधिपति लाल जी टंडन की अध्यक्षता में राज्य के मेडिकल कॉलेजों में शिक्षण व्यवस्था की स्थिति एवं मेडिकल अस्पतालों में स्वास्थ्य सुविधाओं की उपलब्धता की समीक्षा की गयी.

विशेषज्ञों की राय लें : कुलाधिपति ने कहा कि चिकित्सा शिक्षा एवं स्वास्थ्य सुविधाओं के विकास के लिए विशेषज्ञों की राय प्राप्त करने के लिए लोकसभा चुनाव के बाद एवं बड़े स्तर पर राष्ट्रीय परिसंवाद सम्मेलन आयोजित किया जाना चाहिए.

इसमें दिल्ली, लखनऊ, चेन्नई, कोलकाता आदि देश के प्रमुख मेडिकल संस्थानों से विशेषज्ञों को आमंत्रित किया जाये. चुनाव पूर्व भी बैठक कर चिकित्सा शिक्षा एवं स्वास्थ्य सुविधाओं के विकास पर तात्कालिक आवश्यकताओं के लिहाज से सुझाव लिया जा सकता है.

अकादमिक कैलेंडर का पालन हो

राज्यपाल ने कहा कि पीपीपी मोड में अन्य संस्थाओं को भी सुदृढ़ करने की आवश्यकता है. उन्होंने एकेयू के कुलपति को मेडिकल कॉलेजों में परीक्षा कैलेंडर और अकादमिक कैलेंडर का शत-प्रतिशत पालन हो.

मेडिकल पाठ्यक्रमों की परीक्षा में पारदर्शिता और पूरी नियमितता बरतने का निर्देश दिया. राज्यपाल के प्रधान सचिव विवेक कुमार सिंह ने कहा कि मेडिकल कॉलेजों में गुणवत्तापूर्ण शिक्षण व्यवस्था सुनिश्चित करने के लिए हर संभव प्रयास किये जायेंगे. स्वास्थ्य विभाग के प्रधान सचिव संजय कुमार ने कहा कि राज्य में प्रत्येक वर्ष 27 लाख नवजात शिशुओं में लगभग 2.70 लाख मामलों में सिजेरियन ऑपरेशन की आशंका बनी रहती है. सरकारी अस्पतालों में सिजेरियन की सुविधा उपलब्ध कराना बहुत बड़ी चुनौती है, इसका समाधान किया जायेगा.

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