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पटना : अब तक नहीं विकसित हो पाया है सिस्टम

आनंद तिवारी पटना : पटना सहित पूरे बिहार में ऐसे हजारों लोग हैं, जिन्हें किडनी और लिवर जैसे अंगों की जरूरत है. लेकिन, प्रदेश में अंगदान का कोई सिस्टम अब तक सही मायने में विकसित नहीं हो पाया है. नतीजा जरूरतमंदों को अंग नहीं मिल पा रहे हैं. जानकारी के अनुसार प्रतिवर्ष सूबे में लगभग […]

आनंद तिवारी
पटना : पटना सहित पूरे बिहार में ऐसे हजारों लोग हैं, जिन्हें किडनी और लिवर जैसे अंगों की जरूरत है. लेकिन, प्रदेश में अंगदान का कोई सिस्टम अब तक सही मायने में विकसित नहीं हो पाया है. नतीजा जरूरतमंदों को अंग नहीं मिल पा रहे हैं.
जानकारी के अनुसार प्रतिवर्ष सूबे में लगभग 35 हजार मामलों में अंग प्रत्यारोपण की जरूरत पड़ती है. इसमें करीब 27 हजार लिवर, 1750 के करीब किडनी और शेष में सबसे अधिक नेत्र की जरूरत पड़ती है. वहीं डॉक्टरों की मानें, तो जरूरत के 11 फीसदी अंग ही उपलब्ध हो पाते हैं.
सिर्फ एक ब्रेन डेड मरीज : प्रदेश में अब तक सिर्फ एक ब्रेन डेड मरीज से दूसरे मरीजों को अंग देने में डॉक्टरों को सफलता मिली है आइजीआइएमएस में एक बच्चे की मौत के बाद परिजनों ने अंगदान किया था. 2018 में दान किये गये अंग से दिल्ली व कोलकाता के दो मरीजों में लिवर व किडनी प्रत्यारोपण किया गया था.
बुरा हाल : आइजीआइएमएस छोड़ बाकी मेडिकल कॉलेजों में अब तक किडनी, लिवर, हृदय आदि प्रत्यारोपण की सुविधा अभी तक नहीं हो पायी है. पीएमसीएच में सिर्फ नेत्र प्रत्यारोपण की सुविधा है. आइजीआइएमएस के लिवर ट्रांसप्लांट यूनिट को एक भी लिवर नहीं मिल पाया है.
अब तक नहीं बना सोटो : बिहार में स्टेट आर्गन डोनेशन एंड टिश्यू ट्रांसप्लांट ऑर्गेनाइजेशन (सोटो) का गठन नहीं हो पाया है. इसी संस्था की मदद से जरूरतमंद और अंगदान करने वालों का रजिस्ट्रेशन होता है. इसके लिए स्वास्थ्य विभाग की तरफ से कोई पहल नहीं की जा रही है.

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