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पिछले वित्तीय वर्ष की तुलना में इस बार खर्च का प्रतिशत काफी बेहतर, मौजूदा बजट की 53% राशि हुई खर्च केंद्र ने कई योजनाओं में दिये कम पैसे

पटना : राज्य के मौजूदा बजट के खर्च की रफ्तार बहुत अच्छी नहीं है, लेकिन पिछले वित्तीय वर्ष की तुलना में यह बेहतर है. अब तक एक लाख 76 हजार करोड़ के वर्तमान बजट में करीब 93 हजार करोड़ रुपये खर्च हो चुके हैं, जो कुल बजट का करीब 53 फीसदी है. इसमें स्थापना एवं […]

पटना : राज्य के मौजूदा बजट के खर्च की रफ्तार बहुत अच्छी नहीं है, लेकिन पिछले वित्तीय वर्ष की तुलना में यह बेहतर है. अब तक एक लाख 76 हजार करोड़ के वर्तमान बजट में करीब 93 हजार करोड़ रुपये खर्च हो चुके हैं, जो कुल बजट का करीब 53 फीसदी है.

इसमें स्थापना एवं प्रतिबद्ध व्यय (गैर-योजना) में 50 हजार करोड़ और पूंजीगत व्यय (योजना) में 43 हजार करोड़ रुपये खर्च हो चुके हैं. चालू वित्तीय वर्ष समाप्त होने में महज तीन महीने ही बचे हैं और अभी बजट का 47 फीसदी हिस्सा खर्च होना बाकी है. बजट का एक बड़ा हिस्सा अभी खर्च नहीं हुआ है.
हालांकि, पिछले वित्तीय वर्ष 2018-19 की तुलना में अब तक 14 हजार करोड़ रुपये ज्यादा खर्च हुए हैं. बीते वित्तीय वर्ष में इस समय तक 79 करोड़ रुपये ही खर्च हुए थे. इसमें योजना मद में 34 हजार और गैर-योजना में 45 हजार करोड़ खर्च हुए थे.
वर्तमान में करीब एक दर्जन विभाग ऐसे हैं, जिनके खर्च का प्रतिशत 40 फीसदी भी नहीं पहुंचा है. जबकि, कुछ के खर्च की गति अच्छी है.
चालू वित्तीय वर्ष 2018-19 के बजट आकार 1.76 लाख करोड़ में अब तक करीब 93 हजार करोड़ हुए खर्च
स्थापना एवं प्रतिबद्ध व्यय या गैर-योजना में 50 हजार करोड़ और पूंजीगत व्यय या योजना मद में 43 हजार करोड़ हुए खर्च
सभी केंद्र प्रायोजित योजनाओं में 37 हजार करोड़ की जगह मिले करीब 14 हजार करोड़ रुपये ही
आंतरिक टैक्स स्रोतों से कम मिली राशि
अब तक बजट राशि खर्च कम होने के पीछे प्रमुख कारणों में राज्य के कुछ विभागों में योजनाओं के प्रति खर्च की रफ्तार धीमी होने के अलावा केंद्र प्रायोजित योजनाओं में पैसे कम आना भी है. राज्य के आंतरिक टैक्स स्रोतों से संग्रह की स्थिति पिछले वर्ष की तुलना में 32 फीसदी ज्यादा है, लेकिन यह अब तक 50 फीसदी लक्ष्य को भी हासिल नहीं कर पाया है.
राज्य के सभी टैक्स स्रोतों से 31 हजार करोड़ टैक्स संग्रह का लक्ष्य रखा गया है, जिसमें अब तक 13 हजार करोड़ ही जमा हो पाये हैं. वहीं, सभी केंद्र प्रायोजित योजनाओं में इस बार राज्य को 37 हजार करोड़ रुपये मिलने का प्रावधान है, जिसमें अब तक करीब 14 हजार करोड़ ही प्राप्त हुए हैं.
हालांकि, केंद्रीय टैक्स पुल से प्रत्येक महीने मिलने वाली किस्त की रफ्तार अच्छी
है. इसके तहत 14 किस्तों में 21 हजार करोड़ मिलने हैं. इसी तरह वित्त आयोग से दो किस्तों में मिलने वाले अनुदान की एक किस्त ही मिली है. पांच हजार 746 करोड़ में दो हजार 337 करोड़ मिले हैं.
कई योजनाओं में मिले कम पैसे
कुछ केंद्र प्रायोजित योजनाओं में पैसे की आवक धीमी है, तो कुछ में अच्छी. बैकवर्ड रीजन ग्रांट फंड में पिछले वर्ष तीन हजार करोड़ आये थे. इस बार दो हजार 13 करोड़ मिलने के प्रावधान में अब तक एक रुपये भी नहीं आये. वहीं, स्वच्छ भारत अभियान (ग्रामीण) में सबसे अच्छी 2088 करोड़ राशि आयी है. सर्व शिक्षा अभियान में 6600 करोड़ में 2121 करोड़ आये.
राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन में 1300 में 852, पीएम आवास योजना 4155 में 2384, पीएमजीएसवाइ 3300 में 1450, मध्याह्न भोजन 1578 में 636, मनरेगा में मिले 562 करोड़, राष्ट्रीय कृषि योजना 140 में 82 करोड़, आईसीडीएस 2157 में 944 करोड़, राष्ट्रीय ग्रामीण पेयजल योजना 400 में 234 करोड़, पीएम सिंचाई योजना में आठ करोड़, स्मार्ट सिटी योजना में 320 में 184 करोड़, पुलिस आधुनिकीकरण में 247 में 97 करोड़ और वृद्धावस्था पेंशन में 1057 में 852 करोड़ आये हैं.

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