बक्सर / चौगाईं : गर्भपात के दौरान नवजात की हुई मौत के बाद आक्रोशित लोगों ने अस्पताल में जमकर बवाल काटा. इस दौरान अस्पताल की कुव्यवस्था और डॉक्टरों की मनमानी का आरोप लगाते हुए चौगाई पीएचसी को निशाना बनाते हुए नाराज ग्रामीणों ने तोड़फोड़ भी की. आक्रोशित लोगों ने स्वास्थ्य कर्मियों के पर पथराव भी किया. चौगाईं पीएचसी पर करीब पांच घंटे तक प्रदर्शन होता रहा.
बताया जाता है कि बुधवार देर रात मुरार थाना क्षेत्र के फफदर गांव के रहनेवाले राकेश कुमार पासवान की पत्नी निशा कुमारी को छह माह का गर्भ था. रात में उसके पेट में दर्द हुआ. परिजनों ने आनन-फानन में उसे चौगाईं पीएचसी में भरती कराया. यहां एएनएम बीना कुमारी मौजूद थी. एएनएम ने निशा देवी की जांच की और उसे दर्द का इंजेक्शन लगा दिया. इंजेक्शन लगाने के करीब आधे घंटे बाद ही निशा को शौच लगा. वहीं, शौच के दौरान पेट से बच्चा गिर गया और उसकी मौके पर ही मौत हो गयी.
परिजनों को घटना की सूचना मिली, तो परिजन आक्रोशित हो उठे. परिजनों ने इसकी सूचना अपने गांव के लोगों को दी. सूचना मिलते ही गांव के लोग सुबह में इकट्ठा हो गये और स्वास्थ्य कर्मियों के खिलाफ जमकर नारेबाजी करने लगे. बच्चे के मौत के बाद लोगों में आक्रोश फूट पड़ा और उग्र रूप लेते हुए पहले पीएचसी केंद्र को निशाना बनाते हुए तोड़फोड़ करने लगे. इसके बाद उपस्थित कर्मियों के साथ अभ्रद्र व्यवहार भी किया. लोगों के आक्रोश को देखकर स्वास्थ्य कर्मी भागने लगे. आक्रोशित लोगों ने कर्मियों और पीएचसी पर पथराव करना शुरू किया. इसमें आधा दर्जन लोग जख्मी हो गये. आक्रोशित लोगों ने पीएचसी के सामने जाम कर प्रदर्शन कर हंगामा भी किया.
आक्रोशित लोगों ने पीएचसी के सामने सड़क जाम कर प्रदर्शन भी किया. हंगामा की सूचना मिलते ही मुरार थाने की पुलिस मौके पर पहुंच कर मामले को शांत कराने लगी, लेकिन असफल रहे. इसके बाद मुरार थाने की पुलिस ने इसकी सूचना वरीय अधिकारी को दी. घटना की की सूचना सिविल सर्जन को मिलने पर वह मौके पर पहुंचे और लोगों को शांत कराया. वहीं, मौके पर सूचना मिलने पर चार थानों ब्रह्मपुर, कोरानसराय, बगेन और मुरार थाने की पुलिस पहुंची. अब भी पुलिस गांव में कैंप कर रही है.
डॉक्टर पर लगाया लापरवाही का आरोप
गर्भपात के दौरान हुई बच्चे की मौत के बाद डॉक्टर विनोद सिंह पर लापरवाही का आरोप लगाया जा रहा है. हंगामा करनेवालों लोगों ने बताया कि डॉक्टर साहब कह रहे थे कि पेट में बच्चा नहीं है. अगर डॉक्टर समय पर जांच कर दवा देते, तो शायद वह बच्चे की जान बच सकता था. लेकिन, डॉक्टर विनोद सिंह की लापरवाही से बच्चे की जान गयी है. डॉक्टर ने गलत इंजेक्शन के चलते उसकी मौत हुई है. जब तक डॉक्टर विनोद सिंह के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं की जाती है, तब तक प्रदर्शन जारी रहेगा.