Bihar News: बिहार के गया जिले में कुख्यात नक्सली और 18 लाख के इनामी विवेक यादव की सोमवार रात गोली मारकर हत्या कर दी गई. मंगलवार सुबह डुमरिया थाना क्षेत्र के टेकरा खुर्द गांव के पास उसका शव मिला. विवेक प्रतिबंधित संगठन भाकपा माले (दक्षिण बिहार) का जोनल कमांडर था और झारखंड-बिहार पुलिस के लिए मोस्ट वांटेड अपराधियों में शामिल था. उस पर हत्या, अपहरण और लेवी वसूली समेत 12 संगीन मामले दर्ज थे.
घर में अन्न का दाना तक नहीं, परिवार ने मांगा मुआवजा
बुधवार को पोस्टमॉर्टम के बाद विवेक का शव उसकी पत्नी, भतीजे और ग्रामीणों को सौंपा गया. विवेक के भाई सरयू यादव ने बताया कि उसके चेहरे और पीठ में दो गोलियां मारी गई थीं. वहीं, मृतक की पत्नी के भाई ने सरकार से मुआवजे की मांग की. उन्होंने कहा, “घर की हालत बहुत खराब है, छोटे-छोटे बच्चे हैं, खाने तक के लाले पड़े हैं.”
नक्सली कमांडर से गैंगस्टर बनने की राह और अय्याशी
जानकारों के मुताबिक, विवेक यादव पिछले तीन सालों से जोनल कमांडर था, लेकिन उसने नक्सली संगठन के नाम पर निजी गैंग बना ली थी. सरकारी कंपनियों और ठेकेदारों से लेवी के नाम पर लूट करता था. खास बात यह थी कि उसने नक्सली कमांडर से ज्यादा गैंगस्टर वाली लाइफ जीनी शुरू कर दी थी.
सूत्रों के मुताबिक, वह विधानसभा चुनाव 2025 के बाद सरेंडर करने की तैयारी कर रहा था. इसके लिए अंदरखाने बातचीत भी चल रही थी. उसने अपनी लाइफस्टाइल पूरी तरह बदल ली थी. सोने की मोटी चेन पहनता था और महंगे कपड़े पहनने लगा था.
प्रेमिका से मिलने पहुंचा था, वहीं मिली मौत?
विवेक यादव की मौत के पीछे उसके अवैध संबंधों को भी वजह माना जा रहा है. बताया जाता है कि उसका एक महिला से संबंध था, जो गर्भवती हो गई थी. विवेक ने उसे धमकाकर मामला दबा दिया, लेकिन बाद में वह दूसरी महिला के चक्कर में पड़ गया. आशंका है कि सोमवार रात जब वह अपनी प्रेमिका से मिलने गया, तभी उसे गोली मार दी गई.
लेवी वसूली, अपहरण और 30 लाख की फिरौती की मांग
दिसंबर 2023 में विवेक यादव ने गया में पुल निर्माण कंपनी के मुंशी समेत तीन लोगों का अपहरण किया था. दो को छोड़ दिया गया, लेकिन एक के बदले 30 लाख की फिरौती मांगी गई. पुलिस ने विवेक की जानकारी देने वाले को 3 लाख का इनाम घोषित किया था. आखिरकार, बढ़ते दबाव के कारण 29 दिसंबर को रात के अंधेरे में बंधक को छोड़ दिया गया.
छह नामों से जाना जाता था, 12 संगीन मामले थे दर्ज
विवेक यादव सिर्फ एक नाम नहीं था, वह सुनील, कारा जी, ब्रेट जी, राजेंद्र यादव और बूटी यादव नाम से भी जाना जाता था. गया के अलग-अलग थानों में उसके खिलाफ 12 केस दर्ज थे. इनमें पुलिस पर हमला, हत्या, अपहरण, फिरौती, लेवी वसूली और कंस्ट्रक्शन कंपनियों के सामान जलाने के मामले शामिल थे.
अपराध का अंत, किसने कराई हत्या?
अब सबसे बड़ा सवाल यह है कि विवेक यादव की हत्या के पीछे कौन है? क्या यह नक्सली संगठन की साजिश थी या फिर गैंगवार का नतीजा? क्या सरेंडर की योजना उसकी मौत की वजह बनी? फिलहाल पुलिस मामले की जांच कर रही है, लेकिन एक बात साफ है. विवेक यादव का खौफ हमेशा के लिए खत्म हो गया है.
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