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University Guide Line: नामांकन, परीक्षा व परिणाम के लिए तैयार करें अपना सिस्टम, पढ़िए कुलाधिपति ने क्यों ये कहा

University Guide Line कुलाधिपति ने कहा कि यूएमआइएस पर हर वर्ष करीब 16 करोड़ रुपये खर्च करने से बेहतर है कि विश्वविद्यालय एक करोड़ खर्च कर अपना सॉफ्टवेयर विकसित करें.

University Guide Line बीआरए बिहार विश्वविद्यालय सहित राज्य के सभी विश्वविद्यालय नामांकन, परीक्षा और परिणाम के लिए अपना सिस्टम तैयार करेंगे. अभी विश्वविद्यालयों में सत्र विलंब होने का मुख्य कारण आउटसोर्सिंग एजेंसियां है, जो परिणाम जारी करने के साथ ही डिग्री देने में मनमानी करती हैं. उनसे छुटकारा पाना जरूरी है. यह बातें कुलाधिपति सह राज्यपाल राजेंद्र विश्वनाथ आर्लेकर ने गुरुवार को सीनेट की बैठक में कही. कुलाधिपति ने कहा कि पिछले दिनों उन्हें बताया गया कि लखनऊ की एक एजेंसी विश्वविद्यालयों को लगातार धमकी देती हैं.


कुलाधिपति ने कहा कि बिहार के विश्वविद्यालयों में नामांकन, परीक्षा और परिणाम में देरी की वजह यूएमआइएस (यूनिवर्सिटी मैनेजमेंट इंफार्मेशन सिस्टम) है. एजेंसियां विश्वविद्यालयों को ब्लैकमेल करती हैं. वे समय पर मूल्यांकन के अंक उपलब्ध नहीं कराते. सर्टिफिकेट समय पर छाप कर नहीं दिया जाता है. पिछले दिनों उन्होंने तीन- चार विश्वविद्यालयों की समस्याओं का अध्ययन करने के लिए कुलपति और कुलसचिव से बात की, तो यह बात सामने आयी. कुलाधिपति ने कहा कि यूएमआइएस पर हर वर्ष करीब 16 करोड़ रुपये खर्च करने से बेहतर है कि विश्वविद्यालय एक करोड़ खर्च कर अपना सॉफ्टवेयर विकसित करें. इससे छात्र – छात्राओं का पूरा डाटा विश्वविद्यालय के पास ही रहेगा.

जो अधिकार विश्वविद्यालय का है, उसे दूसरे को दे देते हैं

हम किसी आउटसोर्सिंग एजेंसी को बच्चों का भविष्य क्यों दे देंगे.कुलाधिपति ने राजभवन में पिछले दिनों आयोजित बैठक का हवाला देते हुए कहा कि सभी कुलपतियों को एक प्रजेंटेशन दिखाया गया है. इसमें विश्वविद्यालय के लिए एक स्वतंत्र सिस्टम विकसित करने का निर्देश दिया गया है. अपना स्वतंत्र सिस्टम विकसित करने में 50 लाख से एक करोड़ रुपये तक का खर्च हो सकता है. नयी व्यवस्था में विश्वविद्यालय नामांकन और परीक्षा खुद करायेंगे. अंकपत्र बनायेंगे. अंकपत्र सीधे डिजीलॉकर में भेजा जायेगा, जिससे बच्चे ऑनलाइन इसे देख सकेंगे. उन्होंने कहा कि बच्चों के भविष्य के लिए तकनीक का इस्तेमाल होगा. अपने बच्चों के लिए हम ही कुछ कर सकते हैं और इसकी शुरुआत आज से ही करनी होगी. उन्होंने साल में दो बार सीनेट की बैठक कराने और कैंपस में शोध व नवाचार का माहौल बनाने का भी आश्वासन दिया.

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