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एसटीएफ के हत्थे चढ़ा मुकेश पाठक का गुर्गा विकास

मुजफ्फरपुर के कांटी से हुई गिरफ्तारी मुजफ्फरपुर/शिवहर : एसटीएफ ने शुक्रवार की देर रात मुकेश पाठक के गुर्गे विकास कुमार को कांटी से गिरफ्तार धर दबोचा. विकास मुकेश पाठक का नेपाल का काम देखता है. गिरफ्तारी के बाद कुछ देर के लिए कांटी थाने में रख एसटीएफ ने विकास से पूछताछ की. इसमें उसने अजीत […]

मुजफ्फरपुर के कांटी से हुई गिरफ्तारी

मुजफ्फरपुर/शिवहर : एसटीएफ ने शुक्रवार की देर रात मुकेश पाठक के गुर्गे विकास कुमार को कांटी से गिरफ्तार धर दबोचा. विकास मुकेश पाठक का नेपाल का काम देखता है. गिरफ्तारी के बाद कुछ देर के लिए कांटी थाने में रख एसटीएफ ने विकास से पूछताछ की. इसमें उसने अजीत कुमार पांडे के साथ नेपाल में मुकेश पाठक काम देखने की बात स्वीकारी. इसके बाद एसटीएफ विकास को लेकर दरभंगा के बहेड़ी लेकर चली गयी. हालांकि पुलिस विकास के बारे में कुछ भी बताने से परहेज कर रही है.
पुलिस सूत्रों की मानें तो अजीत पांडे के साथ विकास कई घटनाओं में शामिल रहा है. साथ ही विकास मुकेश पाठक के कहने पर नेपाल जाकर वहां के फोन से रंगदारी की मांग करता था. पूछताछ में विकास ने एसटीएफ को यह भी खुलासा किया कि मुकेश पाठक का नेपाल में रेशम के कारोबार में भी पैसा लगा हुआ है.
नेपाल के रमनगरा का सोनू उपलब्ध कराता था सिम कार्ड
पूछताछ में विकास ने बताया कि नेपाल के रमनगरा गांव निवासी सोनू रंगदारी मांगने के लिए सिम कार्ड उपलब्ध कराया करता था. उपलब्ध सिम कार्ड से मुकेश के कहने पर उमेश और विकास रंगदारी की मांग करते थे. रंगदारी की मांग करने के बाद सिम कार्ड को नष्ट कर दिया जाता था. विकास ने यह भी खुलासा किया कि नेपाल में जो पैसा मुकेश पाठक भेजता था, उस पैसे को कहां और किसे देना है, उसकी जिम्मेदारी सोनू की थी. मुकेश पाठक सोनू से संपर्क करने के लिए उमेश व विकास का सहारा लिया करता था. सोनू सीधे मुकेश पाठक से फोन पर बातचीत नहीं करता था.
सूत्रों के अनुसार, बहेड़ी में पूछताछ के बाद शनिवार को एसटीएफ विकास को लेकर पटना रवाना हो गयी.
नेपाल में रहने का इंतजाम सोनू करता था
घटना को अंजाम देने के बाद मुकेश पाठक और उसके गुर्गे नेपाल चले जाते थे. नेपाल पहुंचने के बाद उनके रहने का इंतजाम सोनू किया करता था. सोनू वहां जिस जगह पर इन्हें ठहराता था, उसके आसपास के लोगों को यह कहता था कि ये व्यापारी हैं.
सोनू एक जगह पर इन लोगों को दस दिन से अधिक नहीं रखता था. दस दिन के बाद उन्हें दूसरी जगहों पर शिफ्ट कर देता था. वहां के स्थानीय आइडी का इंतजाम भी सोनू ही किया करता था.

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