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हिंदी के शिक्षक बना रहे बजट, इतिहास के संभाल रहे लीगल मामले

मुंगेर विश्वविद्यालय अपने 6 सालों में अबतक कार्य के अनुरूप अधिकारी तक नहीं बना पाया है.

मुंगेर विश्वविद्यालय. 6 सालों में एमयू अपने लिये योग्यता के अनुसार अधिकारी तक नहीं कर पाया है चयनित, प्रतिनिधि, मुंगेर. मुंगेर विश्वविद्यालय अपने 6 सालों में अबतक कार्य के अनुरूप अधिकारी तक नहीं बना पाया है. इस कारण ही विश्वविद्यालय में जहां हिंदी के शिक्षक विश्वविद्यालय और कॉलेजों का बजट बना रहे हैं. वहीं इतिहास के शिक्षक विश्वविद्यालय के लीगल मामले संभाल रहे हैं. अब ऐसे में जहां विश्वविद्यालय का वित्तीय वर्ष 2024-25 का बजट बिना अनुमोदन के ही रह गया, वहीं अब विश्वविद्यालय वित्तीय वर्ष 2025-26 के लिये बजट बनाने की तैयारी कर रहा है.

हिंदी के शिक्षक बना रहे बजट

बता दें कि एमयू द्वारा अपने वित्तीय वर्ष 2025-26 के लिये बजट बनाने की तैयारी आरंभ कर चुका है. जिसके लिये कॉलेजों से बजट भी मंगाया जा रहा है, लेकिन विश्वविद्यालय के पास इकोनॉमिक्स और अर्थशास्त्र के शिक्षक होने के बावजूद हिंदी के शिक्षक बजट बना रहे हैं. हालांकि उनके साथ गणित और अर्थशास्त्र के दो शिक्षकों को दिया गया है, लेकिन बजट बनाने के लिये बनी कमेटी में हिंदी और पॉलिटिकल साइंस के शिक्षक को ही मुख्य जिम्मेदारी दी गयी है. एमयू में यह हाल तब है, जब एमयू का वित्तीय वर्ष 2024-25 का बजट अबतक बिना सक्षम प्राधिकार सिंडिकेट व सीनेट के अनुमोदन के ही है.

इतिहास के शिक्षक संभाल रहे लीगल मामले

एमयू के बदहाली का आलम यह है कि जहां इन 6 सालों में विश्वविद्यालय के पास लीगल मामलों की फाइल काफी लंबी हो गयी है. वहीं विश्वविद्यालय के लीगल मामले इतिहास के शिक्षक संभाल रहे हैं. जो पीजी विभाग के विभागाध्यक्ष भी है. अब ऐसे में विश्वविद्यालय के लीगल मामलों पर निर्णय की स्थिति को खुद समझा जा सकता है. बता दें कि विश्वविद्यालय में बढ़ रहे काम के बोझ के कारण कई अधिकारी अपने पद से इस्तीफा भी दे चुके हैं. जो स्वीकृति के इंतजार में बैठे हैं.

कहते हैं कुलसचिव

एमयू के कुलसचिव कर्नल विजय कुमार ठाकुर ने बताया कि बजट कमेटी पूर्व से बनी है. जिनके द्वारा ही बजट बनाया जाता है. इसके अतिरिक्त लीगल मामले के लिये भी अधिकारी पूर्व कुलपति के समय ही बनाया गया है.

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Prabhat Khabar News Desk
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