संबोधित करते स्वामी निरंजनानंद व संन्यासी.
Advertisement
सम्मान भाव से मिलती है समृद्धि
संबोधित करते स्वामी निरंजनानंद व संन्यासी. बिहार योग विद्यालय के संन्यास पीठ में चल रहा लक्ष्मी नारायण महायज्ञ मुंगेर : बिहार योग विद्यालय के संन्यास पीठ पादुका दर्शन में चल रहे श्री लक्ष्मी नारायण महायज्ञ एवं नारायण अस्त्र यज्ञ के तृतीय दिन उपस्थित संन्यासी व श्रद्धालुओं को संबोधित करते हुए परमहंस स्वामी निरंजनानंद सरस्वती ने […]
बिहार योग विद्यालय के संन्यास पीठ में चल रहा लक्ष्मी नारायण महायज्ञ
मुंगेर : बिहार योग विद्यालय के संन्यास पीठ पादुका दर्शन में चल रहे श्री लक्ष्मी नारायण महायज्ञ एवं नारायण अस्त्र यज्ञ के तृतीय दिन उपस्थित संन्यासी व श्रद्धालुओं को संबोधित करते हुए परमहंस स्वामी निरंजनानंद सरस्वती ने कहा कि विनम्रता, कृतज्ञता और सम्मान भाव से समृद्धि मिलती है. वास्तव में जब मनुष्य में संतोष का भाव उत्पन्न होता है तो उसे शांति मिलती है और जब असंतोष होता है तो व्याकुलता होती है.
स्वामी निरंजनानंद ने अपने सत्संग में कहा कि साधारणत: यह समझा जाता है कि लक्ष्मी धन की देवी हैं. परंतु क्या इसका अर्थ यह हुआ कि एक भिखारी को उसकी प्राप्त नहीं हो सकती? उन्होंने कहा कि मां लक्ष्मी समृद्धि जरूर प्रदान करती हैं परंतु केवल भौतिक नहीं, बल्कि मानसिक व आध्यात्मिक भी, और इस समृद्धि का स्वरूप है संतोष. मां लक्ष्मी संतोष की शक्ति हैं. इस संदर्भ में उन्होंने ऋषि द्वेवाशा और इंद्र की कहानी सुनाते हुए इंद्र का पतन और श्रीहीन होने के संदर्भ में विस्तारपूर्वक बताया. लक्ष्मी नारायण महायज्ञ के मौके पर बाल योग मित्र मंडल के बच्चों द्वारा भजन, स्त्रोत पाठ, कीर्तन व स्वामी शिवानंद जी महाराज के जीवनी का प्रेरणादायक पठन नृत्य प्रस्तुत किया. बनारस के विद्वान पंडितों ने हवन का कार्यक्रम संपन्न किया तथा महामृत्युंजय जाप का पाठ किया गया. आरती, मंत्र पुष्पांजलि, प्रार्थना और यज्ञ आशीर्वाद के साथ आज का अनुष्ठान संपन्न हुआ.
Prabhat Khabar App :
देश, एजुकेशन, मनोरंजन, बिजनेस अपडेट, धर्म, क्रिकेट, राशिफल की ताजा खबरें पढ़ें यहां. रोजाना की ब्रेकिंग हिंदी न्यूज और लाइव न्यूज कवरेज के लिए डाउनलोड करिए
Advertisement