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अबतक वाहन में नहीं लग पाया जीपीएस

मुंगेर : कूड़ा उठाव में अनियमितता पर रोक लगाने के लिए प्रधान सचिव अमृत लाल मीणा ने मुंगेर नगर आयुक्त को निर्देश दिया था कि 1 अप्रैल से कूड़ा उठाव में उपयुक्त होने वाले वाहनों का मॉनीटरिंग जीपीएस के माध्यम से हो. लेकिन प्रधान सचिव के आदेशों की धज्जियां उड़ाते हुए नगर निगम ने अबतक […]

मुंगेर : कूड़ा उठाव में अनियमितता पर रोक लगाने के लिए प्रधान सचिव अमृत लाल मीणा ने मुंगेर नगर आयुक्त को निर्देश दिया था कि 1 अप्रैल से कूड़ा उठाव में उपयुक्त होने वाले वाहनों का मॉनीटरिंग जीपीएस के माध्यम से हो. लेकिन प्रधान सचिव के आदेशों की धज्जियां उड़ाते हुए नगर निगम ने अबतक अपने वाहनों में जीपीएस नहीं लगाया है.

ताकि कूड़ा उठाव करने वाले वाहनों का सही मॉनीटरिंग नहीं हो सके. प्रधान सचिव ने यह स्पष्ट निर्देशित किया था कि जीपीएस नहीं लगाने वाले नगर आयुक्त पर कार्रवाई होगी. इस संदर्भ में नगर आयुक्त का कहना है कि यह मामला भी निविदा की प्रक्रिया में है.

आमदनी 70 हजार
खर्च 45 लाख
निगम द्वारा एनजीओ को प्रतिदिन प्रति ट्रैक्टर 400 रुपये भाड़ा पर दिया जाता है. जबकि 800 रुपये प्रति घंटा जेसीबी का दर निर्धारित है.
वर्तमान में सफल वेलफेयर सोसाइटी द्वारा शहर में कूड़ा उठाव किया जा रहा. जिसे निगम छह ट्रैक्टर उपलब्ध कराया है. अर्थात ट्रैक्टर भाड़ा के रूप में निगम को प्रतिदिन 2400 व प्रतिमाह लगभग 72 हजार रुपये प्राप्त होता है. जबकि इसी छह ट्रैक्टर से कूड़ा उठाव कर संबंधित एनजीओ प्रतिमाह लगभग 45 लाख रुपये नगर निगम से प्राप्त कर रहा.
क्योंकि छह ट्रैक्टर से प्रतिदिन एनजीओ 70-80 ट्रैक्टर कूड़ा उठाव करता है और प्रति ट्रैक्टर कूड़ा उठाव के एवज में निगम द्वारा 400 रुपये का भुगतान किया जा रहा है. अर्थात प्रतिदिन निगम द्वारा लगभग 1.70 लाख की राशि भुगतान की जाती है.
कूड़ा उठाव में लागू नहीं हुई नयी व्यवस्था
शहर में कूड़ा उठाव के लिए पहली जनवरी 2016 से शहर को तीन भागों में विभक्त कर अलग-अलग एनजीओ के माध्यम से कूड़ा उठाव किया जाना था. किंतु यह व्यवस्था लागू नहीं हो पायी और पूर्व से कार्यरत सफल वेलफेयर सोसाइटी को ही नगर निगम के 45 वार्डों में कूड़ा उठाव की जिम्मेदारी सौंप दी गयी.
लाखों खर्च के बावजूद क्लीन शहर का सपना साकार नहीं हो पा रहा. अलबत्ता कूड़ा उठाव के नाम पर भले ही लूट मची है. पूर्व में भी यहां कूड़ा घोटाला का मामला उजागर हुआ था. जिसमें ट्रैक्टर के बदले स्कूटर का नंबर डाल कर कूड़ा उठाव का बिल पास किया गया था. मामले की जांच में यह सच्चाई तो उजागर हुआ. किंतु भ्रष्टाचार की गर्त में यह मामला फाइलों में ही दम तोड़ दिया.

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