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दुखद. पोषण पुनर्वास केंद्र के नाम पर खानापूिर्त, कुपोषित बच्चों को लाभ नहीं

दो महीने में मात्र नौ बच्चों का इलाज सदर अस्पताल परिसर में चल रहे पोषण पुनर्वास केंद्र में इन दिनों सेवा के नाम पर महज खानापूर्ति की जा रही है. जिसके कारण जिले के कुपोषित बच्चों को इसका लाभ नहीं मिल पा रहा है. यूं तो स्वास्थ्य विभाग द्वारा पोषण पुनर्वास केंद्र में काफी सुविधाएं […]

दो महीने में मात्र नौ बच्चों का इलाज

सदर अस्पताल परिसर में चल रहे पोषण पुनर्वास केंद्र में इन दिनों सेवा के नाम पर महज खानापूर्ति की जा रही है. जिसके कारण जिले के कुपोषित बच्चों को इसका लाभ नहीं मिल पा रहा है. यूं तो स्वास्थ्य विभाग द्वारा पोषण पुनर्वास केंद्र में काफी सुविधाएं दिये जान का प्रावधान है.
मुंगेर : जिला स्वास्थ्य समिति के द्वारा सदर अस्पताल परिसर में चल रहे पोषण पुनर्वास केंद्र में इन दिनों सेवा के नाम पर महज खानापूर्ति की जा रही है. जिसके कारण जिले के कुपोषित बच्चों को इसका लाभ नहीं मिल पा रहा है.
यूं तो स्वास्थ्य विभाग द्वारा पोषण पुनर्वास केंद्र में काफी सुविधाएं दिये जान का प्रावधान निर्देशित किया गया है. यहां सारी व्यवस्थाएं सिर्फ हाथी का दांत बन कर रह गयी है. जबकि यहां जिले भर के विभिन्न प्रखंडों के 7 माह से 5 साल तक के वैसे बच्चे जो गंभीर रूप से कुपोषित हो. उसका चयन आंगनबाड़ी स्तर से चुन कर उनकी माताओं के साथ 21 दिनों के लिए भरती किया जाना है.
बेडों की साफ-सफाई नहीं
पोषण पुनर्वास केंद्र में कुपोषित बच्चों के लिए कुल 20 बेड की व्यवस्था है. किंतु सारे के सारे बेडों पर धूल की चादर फैली हुई है.
ऐसा प्रतीत होता है कि बेडों को काफी दिन से साफ न किया गया हो. वहीं बच्चे व उनकी माताओं के मनोरंजन के लिए मंगायी गयी टीवी कबाड़खाना जैसे एक छोटे से कमरे में बंद पड़ी हुई है. जिस पर अब तक न तो स्वास्थ्य समिति का ध्यान केंद्रित हो पायी है और न ही जिला प्रशासन की ही.
उपलब्ध करायी जाने वाली सुविधाएं
Àभरती के उपरांत बच्चों का अनिवार्य रूप से संक्रमण एवं अन्य जरूरी जांच चिकित्सक के परामर्श से कराया जाना
जांच रिपोर्ट के आधार पर शिशु रोग विशेषज्ञ द्वारा बच्चों का संभव उपचार किया जाना. साथ ही किसी गंभीर बीमारी का लक्षण पाये जाने पर चिकित्सक द्वारा बच्चों मेडिकल कॉलेज संबंधित विभाग में रेफर किया जाना.
21 दिनों तक रखे जाने वाले बच्चों को पदस्थापित नियमित शिशु रोग विशेषज्ञ के निर्देश पर प्रशिक्षित ए ग्रेड नर्स द्वारा कृमिनाशक की दवा, टीकाकरण, आयरन/आईएफए, विटामिन ए, जिंक व मैग्नीशियम देना शुरू कर देना.
शुरुआती दिनों में 6- 8 बार तथा अंतिम दिनों में 5- 6 बार प्रतिदिन के हिसाब से घरेलू खाद्य पदार्थों से तैयार आहार बच्चों को खिलाने का आदत विकसित किया जाना.
माता को सुबह का नाश्ता, दोपहर एवं रात का भोजन दिया जाना.
मां को स्वयं एवं बच्चे की संपूर्ण सफाई के लिए प्रेरित किया जाना.
पोषण पुनर्वास केंद्र में चिकित्सा सुविधा प्राप्त बच्चे का 15- 15 दिनों के अंतराल पर 4 बार एनआरसी में फॉलोअप किया जाना.
एनआरसी में भरती किये जाने का क्या है मापदंड :
ऐसे बच्चे जिनकी उम्र सीमा 7 माह से 5 वर्ष के भीतर हो तथा उनका उपरि बाह्य मध्य परिधि का माप 11.5 सेमी से कम हो.
बच्चे के शरीर में सूजन होना तथा डब्लूएचओ के मानक के अनुरूप डब्लू/एच का माप जरूरत के अनुसार कम हो.
कहते हैं सिविल सर्जन
सिविल सर्जन डॉ श्रीनाथ ने बताया कि वर्तमान समय में जिले की सभी आशा कार्यकर्ता पोलियो, कुष्ठ रोगी के पहचान एवं और अन्य चिकित्सकीय कार्य में व्यस्त हैं. इन कार्यों से छुटकारा मिलते ही वे विभिन्न प्रखंडों से कुपोषित बच्चे को चिह्नित कर केंद्र पर पहुंचायेंगी.

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