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सूख रही गंगा व सहायक नदियां

मुंगेर : चिलचिलाती धूप व भीषण गरमी के कारण जिले में बहने वाली नदियां सूखती जा रही है. गंगा का जलस्तर जहां नीचे जा रहा वहीं इसकी सहायक नदियां भी सूख रही है. फलत: जिले में भू-गर्भ जलस्तर भी नीचे जा रहा और धीरे-धीरे पानी का संकट गहराने लगा है. मुंगेर में गंगा उत्तरवाहिनी बहती […]

मुंगेर : चिलचिलाती धूप व भीषण गरमी के कारण जिले में बहने वाली नदियां सूखती जा रही है. गंगा का जलस्तर जहां नीचे जा रहा वहीं इसकी सहायक नदियां भी सूख रही है. फलत: जिले में भू-गर्भ जलस्तर भी नीचे जा रहा और धीरे-धीरे पानी का संकट गहराने लगा है.

मुंगेर में गंगा उत्तरवाहिनी बहती है. इस वर्ष मार्च के अंतिम सप्ताह से ही गरमी पड़ने लगी और अप्रैल के शुरुआती सप्ताह से तो गरमी ने प्रचंड रूप धारण कर लिया. जिसके कारण गंगा का जलस्तर लगातार घटता जा रहा है.
नदियों में रेत की परते दिखायी देने लगी है. गंगा के जल स्तर भागने के कारण सहायक नदियों को पानी मिलना बंद हो गया है. फलत: वह भी सूखती जा रही है. घोरघट बरियारपुर में गंगा नदी से जुड़ी मणी नदी में पानी नहीं है. वहीं असरगंज, तारापुर एवं संग्रामपुर में बहने वाली बदुआ नदी भी सूख चुकी है. जिस होकर पानी का बहाव बहता था आज वहां सिर्फ रेत ही रेत दिखाई पड़ रही है.
क्यों सूख रही नदियां . गंगा से दूर भागती पानी एवं सुखती नदिया खतरे की घंटी बजा रही है. कारगर जल प्रबंधन नीति के नहीं रहने एवं गंगा नदी में गाद की सफाई समय पर नहीं हो पा रहा है. जबकि नदियों के संरक्षण पर नियम तो बने लेकिन वह कारगर नहीं हो पाया. इस क्षेत्र में फरक्का बांध के कारण गंगा में गाद बढ़ता जा रहा है और पानी का जलस्तर नीचे जा रहा.
प्रतिवर्ष कम हो रहा जलस्तर . पिछले वर्ष की तुलना में इस वर्ष कुछ ज्यादा तेजी से जिले में जलस्तर नीचे चला गया है. बताया जाता है कि 5 से 8 फिट पानी नीचे चला गया है. मुंगेर में हेमजापुर-हेरूदियारा से लेकर लाल दरवाजा तथा बरियारपुर तक गंगा के दोनों किनारे बालू का रेत का टील्हा बन गया है.
जबकि गंगा का जल क्षेत्र सिमटती चली जा रही है. फलत: भूगर्भ जल में गिरावट हो रही. गंगा किनारे बसे गांव व शहर में जल स्तर घटने के कारण इस बार जेट बोरिंग फेल हो रहा और कुआ एवं चापाकल का स्तर पर भी गिर रहा है. साथ ही बेतरकीब लगाये गये समरसेबल भी जलस्तर को गिराने में काफी सहायक सिद्ध हो रहा है.

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