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शराबबंदी. प्रिंट रेट से कम कीमत पर बिकी शराब, शाम में बारिश से िबक्री प्रभािवत

अंतिम दिन खुले में शराब पीने का मजा, आज से नहीं िमलेगी दारू अंतिम दिन का खूब की मस्ती दिन के पांच बज रहे काली मंदिर चौराहा के समीप एक दुकान पर हम पहुंचे. यहां पर देसी शराब के 72 पाउच रखे थे. वहीं जमीन पर शराब के खाली बोतलें भी फेंकी हुई थी. जो […]

अंतिम दिन खुले में शराब पीने का मजा, आज से नहीं िमलेगी दारू

अंतिम दिन का खूब की मस्ती
दिन के पांच बज रहे काली मंदिर चौराहा के समीप एक दुकान पर हम पहुंचे. यहां पर देसी शराब के 72 पाउच रखे थे. वहीं जमीन पर शराब के खाली बोतलें भी फेंकी हुई थी. जो यह बता रहा था कि आज लोगों ने जमकर शराब पी है. यहां पर करीब 15 लोग शराब के नशे में थे. उनके लिये गुरुवार का दिन सबसे अहम था या सबसे बुरा यह हम नहीं समझ सके. सभी आज अंतिम दिन सार्वजनिक स्थल पर एक साथ अपने दोस्तों के साथ शराब पीने के किसी भी पल को भुलाना नहीं चाहते थे. हो भी क्यों नहीं 1 अप्रैल से सार्वजनिक स्थल पर शराब पीने पर भी मनाही हो गयी थी.
यहां से हम मिथिला टॉकिज के समीप स्थित काउंटर पर पहुंचे. यहां पर यू तो ग्राहकाें की संख्या करीब एक दर्जन थी. शराब का पैग पर पैग चल रहा था. एक दूसरे से बाते करते लोग कह रहे थे कि भले ही शराब की कमी खलेगी पर यह पहल ठीक है. कम से कम अब परिवार में मारपीट और हो हंगामा तो नहीं होगा.
देसी शराब की बिक्री 31 मार्च के रात दस बजे के बाद पूरी तरह बंद कर दिया गया. इसको लेकर हर दुकान पर देसी शराब के बचे स्टॉक को खपाने की होड़ लगी रही. कई दुकानदारों ने तो प्रिंट रेट से कम कीमत तक पर शराब के बेचे जाने की बात सामने आयी.
मधुबनी : दिन के बारह बज रहे हैं. हम माल गोदाम रोड स्थित एक देसी शराब की दुकान के सामने खड़े हैं. इस दुकान पर देसी
शराब बिक रही है. पर हालत कुछ बदले हुए थे. अन्य दिनों काउंटर को बंद कर शराब बेचने की जगह आज दुकानदार खुले परिसर में शराब बेच रहे थे.
शराब के काउंटर के बगल में भूना हुआ चुरा व चना का दुकान भी खुला था. जहां करीब दस लोग आपस में बात चित करते नजर आ रहे थे. एक दूसरे से लोग बात कर रहे थे कि बस आज भर की बात है. कल से यह माहौल नहीं होगा. दुकान में करीब 150 बंद देसी शराब की बोतलें रखी हुई थी. लोग शराब खरीद कर जा रहे थे.
हालांकि दुकानदार ने मुख्यमंत्री के शराब बंदी के पहल की सराहना की है. दुकानदार गुड्डु पंजियार बताया कि यह सराहनीय पहल है. लोगों को बता रहे थे कि गरीब अब उन्नत करेगा. जबकि विक्रेता अपने रोजी रोटी की तलाश में लग गये हैं. श्री पंजियार बताते हैं कि अब उन्हें रोजगार की तलाश करना होगा. यहां बैठे लोग दो घूंट शराब का मजा उठा रहे थे. और एक दूसरे को कुछ दिन तो इसकी कमी खलेगी. पर हम गम भुला देंगे.

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