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नीलगाय से परेशान किसान वन विभाग से पकड़ने की कर रहे मांग

ग्रामीण नीलगाय को पकड़ने में असफल साबित हो रहे हैं.

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किसानों को राहत पहुंचाने की दिशा में आज तक कोई पहल नहीं उदाकिशुनगंज,मधेपुरा. प्रखंड क्षेत्र में इन दिनों जंगली नीलगाय के आतंक से किसान परेशान हो गए हैं. झूंडों में आकर नीलगाय फसलों को नुकसान पहुंचाते रहते हैं. ठंड के कारण किसान जहां रखवाली करने में मुस्तैद नहीं रह पा रहे हैं जिसका लाभ नीलगाय उठाने में लगे हैं. प्रखंड क्षेत्र के सिंगारपुर, नयानगर, शहजादपुर, खाड़ा, बुधमा, खोड़ागंज खोकसी,रामगंज सहित अन्य गांव में नीलगाय का झुंड पहुंच गया है जो लगातार क्षेत्र में मकई फसल को बर्बाद कर रहा है. जिसके कारण किसान परेशान और मजबूर है. रोजाना नीलगाय कुछ ना कुछ फसल को बर्बाद कर ही दे रहा है. लेकिन हफ्ते दिन बीत जाने के बावजूद भी जहां ग्रामीण नीलगाय को पकड़ने में असफल साबित हो रहे हैं. किसानों ने बताया कि खेतों में लगी फसलों को नीलगाय के द्वारा प्रतिदिन नष्ट कर दी जा रही है. एक साथ 10 से 12 नीलगाय खेतों में प्रवेश करते है जिस खेत में झुंड जाता है उस खेत की फसल को चरने के अलावे बर्बाद भी कर देते है. बताया जाता है कि निलगायों के तांडव से मुक्ति के लिए किसानों ने वन विभाग के अधिकारियों को कई बार आवेदन भी दिया, लेकिन किसानों को राहत पहुंचाने की दिशा में आज तक कोई पहल नहीं किया जा सका है. जिससे किसानों में काफी आक्रोश व्याप्त है. नीलगायों से त्रस्त किसानों की माने तो झूंड के झूंड नीलगाएं को भगाने के लिए कई बार प्रयास किया गया. इनके झूंड को खदेड़कर कई बार दूसरे जगह ले जाया गया. लेकिन पुन: लौट आते है. ऐसे में समझ में नहीं आ रहा है, क्या उपाय किया जाए. वही कुछ किसानों का कहना है कि नीलगाय जंगली जीव है,इसलिए इन्हें छूने एवं मारने पर वन्य प्राणी अधिनियम के तहत कार्रवाई की जाती है, जिसके कारण नीलगाय को ग्रामीण मारने से बेहद डरते है. – नीलगायों का आतंक हर दिन बढ़ रहा है – नीलगायों का आतंक दिनों-दिन बढ़ते जा रहा है. अनुमंडल के ज्यातर गांवों के बहियार में दर्जनों नीलगायों के झूंड को फसल बर्बाद करते हुए देखा जा सकता है. कृषि के लिए घातक सबित हो रहे नीलगायों से मुक्ति के लिए न जिला प्रशासन कुछ पहल कर रहीं है,न वन विभाग हीं कुछ करने के मुड में है. ऐसी स्थिति में किसान भगवान भरोसे खेती करने को मजबूर है. किसान आफताब आलम,पुल्हट पासवान,अहमद आलम,सनोज राम आदि बताते है कि नीलगायों के खाने से ज्यादा नुकसान फसल को बर्बाद करने से है. 24 घंटे खेत की रखवाली संभव नहीं है. सरकार और प्रशासन को किसान हित में ठोस कदम उठाना होगा. इस परेशानी से निजात पाने के लिए किसानों ने जिला वन विभाग के टीम को लिखित आवेदन दे रहे हैं. इस संबंध में वन विभाग कर्मी कहते है कि फसल बर्बाद होने की स्थिति में मुआवजे का प्रवधान है. किसान संबंधित अंचलाधिकारी के पास आवेदन देकर मुआवजे की मांग कर सकते है.

डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है

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