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निलंबित नप कर्मी को आननफानन में 16 लाख का भुगतान

निलंबित नप कर्मी को आननफानन में 16 लाख का भुगतान —- प्रथम पेज के ध्यानार्थ — – मधेपुरा नगर परिषद में लगातार आदेश की अवहेलना के लिए निलंबित किये गये थे कर्मी – प्रभारी कार्यपालक पदाधिकारी ने रातों रात निलंबन खत्म कर किया भुगतान प्रतिनिधिमधेपुरा. नगर परिषद में अपने वरीय पदाधिकारी के आदेश की विगत […]

निलंबित नप कर्मी को आननफानन में 16 लाख का भुगतान —- प्रथम पेज के ध्यानार्थ — – मधेपुरा नगर परिषद में लगातार आदेश की अवहेलना के लिए निलंबित किये गये थे कर्मी – प्रभारी कार्यपालक पदाधिकारी ने रातों रात निलंबन खत्म कर किया भुगतान प्रतिनिधिमधेपुरा. नगर परिषद में अपने वरीय पदाधिकारी के आदेश की विगत एक वर्षों से लगातार कर रहे अवहेलना के कारण निलंबित किये गये कर संग्रहण कर्मचारी अशोक कुमार यादव का निलंबन समाप्त कर आनन फानन में सोलह लाख का भुगतान किये जाने से पूरे प्रशासनिक महकमे में सनसनी फैल गयी है. वहीं नगर परिषद प्रभारी कार्यपालक पदाधिकारी की कार्यप्रणाली पर सवाल खड़ा हो गया है. गौरतलब है कि अशोक कुमार के खिलाफ न केवल नगर परिषद की सामान्य बोर्ड ने बरखास्तगी का निर्देश पारित किया है बल्कि सशक्त स्थायी समिति भी इस संबंध में निर्णय दे चुकी है. — क्या है मामला — नगर परिषद में कार्यरत अशोक कुमार यादव कर संग्रहक के पद पर कार्यरत थे. उन पर अपनी सेवा पुस्तिका एवं संचिका कार्यालय से गायब कर अपने पास रखने का आरोप है. इसके अलावा कर्त्तव्यहीनता, सरकारी कर्मचारी के आचरण के विरूद्ध कार्य करने, नगर परिषद द्वारा भेजे गये किसी भी नोटिस को ग्रहण नहीं करने, कर संग्रहण वसूली कार्य में नागरिकों को परेशान करने, बिना सूचना के कार्यालय से अनुपस्थित रहने सहित अन्य आरोपों की लंबी फेहरिस्त है. ये आरोप नगर प्रशासन एवं पूर्व कार्यपालक पदाधिकारी ही लगाये गये थे.– अशोक पर लगे थे गंभीर आरोप– अशोक यादव से 05 मई 2014 को नगर परिषद ने सेवा पुस्तिका एवं संचिका कार्यालय में जमा करने का निर्देश दिया. इस बाबत 22 अगस्त 2014 को पुन: नोटिस जारी की गयी. इसे अशोक यादव ने लेने से इनकार कर दिया. तत्कालीन कार्यपालक पदाधिकारी ने 18 सितंबर 2014 को अशोक कुमार के आचरण को सरकारी कर्मी के आचार नियमावली के विरुद्ध पाते हुए अनुशासन हीन करार देते हुए प्रपत्र क गठित करने का निर्देश देते हुए बरखास्तगी की कार्रवाई शुरू करने संबंधी कारणपृच्छा की. अशोक कुमार यादव द्वारा 08 अक्टूबर 2014 को प्रपत्र क लेने से इनकार करने तथा पुराने आचरण को दोहराने पर अशोक यादव को निलंबित करने के लिए मुख्य पार्षद से आदेश प्राप्त करने के लिए तत्कालीन कार्यपालक पदाधिकारी ने प्रस्तावित किया. तत्कालीन कार्यपालक पदाधिकारी ने अशोक पर वित्तीय अनियमितता जैसे गंभीर आरोप की भी चर्चा की. — बरखास्तगी का था बोर्ड का आदेश– अशोक कुमार पर लगातार लगाये गये गंभीर आरोपों के आलोक में उन्हें एक अप्रैल 2014 को निलंबित करने तथा बरखास्तगी की प्रक्रिया नियमानुसार अपनाने की सहमति मुख्य पार्षद ने दी. वहीं दो दिसंबर 2014 को सशक्त स्थायी समिति की बैठक में जहां अशोक यादव पर विधि सम्मत कार्रवाई का निर्णय लिया गया है. वहीं 12 अगस्त 2015 को नप बोर्ड की सामान्य बैठक में अशोक यादव के कार्यकलाप एवं बोर्ड के आदेश की अवहेलना तथा संचिका में उपलब्ध साक्ष्य के आलोक में सर्वसम्मति से निर्णय लिया गया कि अशोक कुमार को सेवा से बरखास्त कर नगर विकास एवं आवास विभाग पटना को कार्रवाई के लिए लिखा जाये. कार्यपालक पदाधिकारी इस संबंध में आवश्यक कार्रवाई कर अनुपालन प्रतिवेदन मुख्य पार्षद को प्रस्तुत करेंगे.— 11 दिसंबर को मिला वित्तीय अधिकार – नगर परिषद के कार्यपालक पदाधिकारी मनोज कुमार पवन के स्लिप डिस्क बीमारी के कारण लंबी छुट्टी पर जाने के कारण कार्य का प्रभार 27 नवंबर 2015 को उदाकिशुनगंज के डीसीएलआर विनय कुमार सिंह को दिया गया. 11 दिसंबर के करीब उन्हें वित्तीय अधिकार भी प्राप्त हुआ. — आननफानन में हुआ भुगतान — वित्तीय अधिकार मिलते ही प्रभारी कार्यपालक पदाधिकारी ने 14 दिसंबर को आनन फानन में अशोक कुमार का निलंबन यह कहते हुए वापस लेने की प्रक्रिया शुरू कर दी कि प्रपत्र की विधिवत सुनवायी नहीं हुई. अशोक कुमार यादव को नोटिस का तामिला नहीं कराया गया. और अशोक कुमार 21 अगस्त से लगातार उपस्थिति पंजी पर हस्ताक्षर कर रहे हैं. जबकि अशोक यादव पर लगाये गये गंभीर आरोपों की लिस्ट में जबरन कार्यालय में घुस कर हाजिरी बनाना भी शामिल है. — जीपी से सलाह लेने का सुझाव नहीं माना– गौरतलब है कि नगर परिषद की संपूर्ण प्रक्रिया या नियमों के पालन के लिए कार्यपालक ही जिम्मेदार होते हैं. नगर पालिका अधिनियम 2011 की कंडिका 11 स्पष्ट करता है कि कार्यपालक पदाधिकारी मुख्य पार्षद के पर्यवेक्षण में कार्य करेंगे और सशक्त स्थायी समिति और बोर्ड द्वारा पारित निर्णय ही मान्य होगा. इसके बावजूद सबकी अवहेलना करते हुए मुख्य पार्षद द्वारा जीपी अर्थात सरकारी वकील से विधि परामर्श प्राप्त करने के मंतव्य को दरकिनार करते हुए प्रभारी कार्यपालक पदाधिकारी ने केवल 26 दिसंबर को अशोक कुमार का निलंबन रद किया बल्कि उन्हें वेतन तथा अन्य मदों में भारी भरकम 16 लाख रूपये का चेक भी निर्गत कर दिया.—– वर्जन —– मुख्य पार्षद द्वारा इस मामले की जानकारी दी गयी है. इस मामले की जांच स्थापना उपसमाहर्ता को सौंपी गयी है. कानूनसम्मत कार्रवाई की जायेगी. – मो सोहैल, जिलाधिकारी, मधेपुरा —— ‘अगर आपको सूचना चाहिए तो सूचना के अधिकार के जरिये आइये. ऐसे मैं किसी को कुछ नहीं बताता हूं. अगर भुगतान हुआ भी है तो आपको क्या परेशानी है. ‘ – विनय कुमार सिंह, प्रभारी कार्यपालक पदाधिकारी, नगर परिषद

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