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मान्यता नहीं मिलने से गरीब बच्चे राइट टू एजुकेशन से वंचित : अध्यक्ष

मधेपुरा : बिहार में 25 हजार से ज्यादा स्कूल प्राइवेट स्कूल एसोसिएशन से जुड़े हुए हैं और पूरे देश में दो लाख से ज्यादा स्कूल, प्राइवेट स्कूल एसोसिएशन से जुड़े हुए हैं. वर्ष 2011 में एसोसिएशन की शुरुआत हुई थी. राज्य के सभी स्कूलों को राज्य सरकार से मान्यता मिल जानी चाहिए थी. राज्य के […]

मधेपुरा : बिहार में 25 हजार से ज्यादा स्कूल प्राइवेट स्कूल एसोसिएशन से जुड़े हुए हैं और पूरे देश में दो लाख से ज्यादा स्कूल, प्राइवेट स्कूल एसोसिएशन से जुड़े हुए हैं. वर्ष 2011 में एसोसिएशन की शुरुआत हुई थी.

राज्य के सभी स्कूलों को राज्य सरकार से मान्यता मिल जानी चाहिए थी. राज्य के कई स्कूलों को मान्यता मिल भी गयी है और कई स्कूलों को अभी तक मान्यता नहीं मिल पायी है. जिन विद्यालयों को मान्यता नहीं मिली है उनको मान्यता दिलाने के लिए एसोसिएशन प्रतिबद्ध है.
जिन विद्यालयों को मान्यता नहीं मिली है, उन विद्यालयों में 25 प्रतिशत गरीब बच्चों को लाभ नहीं मिल पाता है. जिला शिक्षा पदाधिकारी ऐसे विद्यालयों को मान्यता दिलाने आगे की कार्रवाई करें. जिससे 25 प्रतिशत गरीब बच्चों को उसका लाभ मिल सके. वर्ष 2011 में राइट टू एजुकेशन के माध्यम से नई शिक्षा नीति लागू हुई थी. जिसमें छह साल से लेकर 14 साल के बच्चों को अनिवार्य शिक्षा देने की बात हुई थी.
इसके लिए पूरे प्रदेश व देश में एसोसिएशन में बच्चों को शिक्षा देने का कार्य किया, लेकिन सरकार के द्वारा जो राशि दी जानी थी, वह राशि कई विद्यालयों में नहीं मिली है. इसके लिए शिक्षा विभाग आगे की कार्यवाही करें. उक्त बातें जिला मुख्यालय स्थित अतिथि गृह में गुरुवार को प्राइवेट स्कूल एसोसिएशन के राष्ट्रीय अध्यक्ष शमायल अहमद ने प्रेसवार्ता के दौरान कही.
उन्होंने कहा कि अभी कई नए कानून बने हैं खासकर के भारत सरकार के द्वारा नई शिक्षा नीति बनायी गयी है, जिस पर एसोसिएशन ने बेंगलुरु में 9, 10 व 11 जून को राष्ट्रीय सम्मेलन कर निर्णय लिया था कि अगर सरकार चाहती है कि देश का शिक्षा का स्तर ऊंचा हो तो प्राइवेट स्कूलों पर ज्यादा दबाव ना दें. अगर प्राइवेट स्कूलों पर ज्यादा नकेल कसेंगे तो शिक्षा का स्तर और गिरता ही जाएगा और देश के बच्चों को नुकसान पहुंचेगा.
उन्होंने कहा कि आज देश का जो शिक्षा का स्तर ऊंचा हो रहा है वह प्राइवेट स्कूल की वजह से हो रहा है. सरकारी विभागों के बड़े अधिकारी से लेकर सबसे नीचे चपरासी तक के बच्चे भी प्राइवेट स्कूलों में पढ़ते हैं सरकारी स्कूल में पढ़ाने वाले शिक्षक की बच्ची भी प्राइवेट स्कूलों में पढ़ते हैं सरकारी स्कूल के शिक्षकों को भी सरकारी स्कूल के शिक्षा पर विश्वास नहीं है.
राष्ट्रीय अध्यक्ष ने कहा कि लगातार दिखा जा रहा है कि शिक्षा विभाग के अधिकारी या सरकार के अन्य अधिकारी प्राइवेट स्कूल के कामकाज में दखल दे रहे हैं. इससे बच्चों की शिक्षा बाधित हो रही है. आए दिन विभाग के द्वारा नए नए नियम थमा दिए जाते हैं. ऐसे में स्कूल के निदेशक व प्राचार्य परेशान होते है.
राष्ट्रीय अध्यक्ष ने कहा कि अभी बिहार सरकार के द्वारा यह निर्देश दिया गया है कि कोई भी प्राइवेट स्कूल सिर्फ सात प्रतिशत ही शुल्क में बढ़ोतरी कर सकती है ऐसे में हम बिहार सरकार से जानना चाहते हैं कि ऐसे में शिक्षा का स्तर कैसे ऊंचा हो सकता है. क्योंकि प्राइवेट स्कूल में हर वर्ष नहीं वर्गों का निर्माण करना तथा शिक्षकों के वेतन में हर वर्ष बढ़ोतरी हो रही है. मौके पर एसोसिएशन के जिलाध्यक्ष किशोर कुमार,प्रवक्ता मानव कुमार सिंह, मो शब्बू आदि उपस्थित थे.

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