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किसान औने-पौने दामों में धान बेचने को मजबूर

किसान औने-पौने दामों में धान बेचने को मजबूरफोटो संख्या:01- किसान टूना सिंहफोटो संख्या:02-दामोदर यादवफोटो संख्या:03-रामाशीष कुमारफोटो संख्या:04-समीर कुमारप्रतिनिधि, सूर्यगढ़ाराज्य सरकार द्वारा धान अधिप्राप्ति की अधिसूचना जारी किये जाने के एक सप्ताह बाद भी प्रखंड में अब तक धान अधिप्राप्ति की व्यवस्था नहीं की गयी है. न्यूनतम समर्थन मूल्य पर धान की खरीदारी नहीं होने के […]

किसान औने-पौने दामों में धान बेचने को मजबूरफोटो संख्या:01- किसान टूना सिंहफोटो संख्या:02-दामोदर यादवफोटो संख्या:03-रामाशीष कुमारफोटो संख्या:04-समीर कुमारप्रतिनिधि, सूर्यगढ़ाराज्य सरकार द्वारा धान अधिप्राप्ति की अधिसूचना जारी किये जाने के एक सप्ताह बाद भी प्रखंड में अब तक धान अधिप्राप्ति की व्यवस्था नहीं की गयी है. न्यूनतम समर्थन मूल्य पर धान की खरीदारी नहीं होने के कारण किसान अपनी जरूरतों को देखते हुए रबी व मक्का की खेती के लिये व्यापारियों के माध्यम से औने-पौने दामों पर धान बेचने को मजबूर हो रहे हैं. प्रखंड के अधिकतर किसान लघु सीमांत हैं. ऐसे में किसान एक फसल काटकर उसी पूंजी से दूसरी फसल लगाने में जुट जाते हैं. खरीफ फसल के तहत प्रखंड क्षेत्र में करीब सात हजार हेक्टेयर में धान की खेती की गयी थी. इधर तैयार धान को न्यूनतम समर्थन मूल्य भी नहीं मिल पाने के कारण किसान मजबूरी में धान को नौ सौ से एक हजार रुपये प्रति क्विंटल में छोटे कारोबारियों के यहां बेचने को मजबूर हो रहे हैं. किसानों के मुताबिक सरकार ने धान अधिप्राप्ति के लिये न्यूनतम समर्थन मूल्य सामान्य धान के लिये 1410 रुपये प्रति क्विंटल और ग्रेड ए धान के लिये 1450 रुपये प्रति क्विंटल निर्धारित किया है. सरकार द्वारा धान अधिप्राप्ति पर प्रति क्विंटल तीन सौ रुपये बोनस देने की घोषणा की गयी है. यानि किसानों को सामान्य धान की खरीद पर 1710 रुपये प्रति क्विंटल तथा ग्रेड ए धान की खरीद पर 1750 रुपये का भुगतान किया जायेगा. राज्य सरकार के उपभोक्ता संरक्षण विभाग के सचिव पंकज कुमार के पत्रांक 8992 दिनांक एक दिसंबर 2015 से धान अधिप्राप्ति की अधिसूचना जारी की गयी है. खाद्य व उपभोक्ता संरक्षण विभाग द्वारा 30 नवंबर 2015 को जारी अधिसूचना के अनुसार एक दिसंबर 2015 से 31 मार्च 2015 तक धान अधिप्राप्ति की तिथि तय की गयी है.क्या कहते हैं किसानसलेमपुर के किसान टूना सिंह के मुताबिक सरकार द्वारा धान क्रय की व्यवस्था नहीं किये जाने के कारण किसान आर्थिक तंगी का सामना करने को मजबूर हैं. मौलानगर के किसान दामोदर यादव के मुताबिक किसानों को न्यूनतम समर्थन मूल्य के लिये इंतजार करना होगा. लेकिन छोटी पूंजी वाले किसान मजबूरी में अपनी धान व्यापारियों के हाथों कम कीमत पर बेचने को मजबूर हो रहे हैं. सलेमपुर के किसान रामाशीष कुमार के मुताबिक किसानों को रबी फसल की खेती व अपनी निजी आवश्यकताओं के लिये राशि की आवश्यकता है. इसलिये उनकी मजबूरी है कि तैयार धान काे बेचकर अपनी जरूरतों को पूरा करें. इसी गांव के किसान समीर कुमार के मुताबिक जिला प्रशासन को इस दिशा में कदम उठाने की आवश्यकता है. ताकि किसानों को धान का न्यूनतम समर्थन मूल्य प्राप्त हो सके.क्या कहते हैं बीसीओबीसीओ बीसीओबीसीओ गणेश प्रसाद ने बताया कि पैक्सवार किसानों की सूची बनाया जा रहा है. धान में नमी के कारण अभी अधिप्राप्ति नहीं शुरू की गयी है.

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