फोटो है 17 मेंकैप्सन- प्रवचन करते संत चौथम. मानव के अंत:करण में ही देव-दानव की प्रवृतियां बसती हैं. जीवन पाप-पुण्य के क्रियाकलापों में प्रत्यक्ष अनुभव होता है. शास्त्रों में देव दानव के बीच युद्ध का वर्णन मिलता है. राम-रावण, कौरव-पांडव का युद्ध धर्म अधर्म के बीच का युद्ध हुआ है. इसे देव-दानव के बीच युद्ध माना जाता है. आज भी यह मानव शरीर कुरूक्षेत्र है. इस शरीर रूपी कुरूक्षेत्र में देव पांडव व दानव रूप में दुयार्ेधन का युद्ध नित्य होता है, जिसे ज्ञानी पुुरुष ही परख पाते हैं. यथा आप अपने जीवन जो भी बुरे काम की ओर अग्रसर होते हैं तो शरीर में विराजमान देवत्व शक्ति आपका पाप युद्ध काम करने से रोकता है. यह चेतन शक्ति का उदय शरीर में स्थित देवत्व शक्ति की पहचान है. वहीं दानव शक्ति पाप कर्म में मन को अग्रसर हो की प्रेरित करता है. देव दानव का यह युद्ध मानव शरीर में हर किया कलाप के दौरान होते रहता हे. वह पाप रुपी दानव शक्ति का दमन कर देता है. पुण्य की ओर अग्रसर कर देता ही नहीं यदि शरीर में दानव शक्ति प्रबल होता है तो पुण्य कर्म को पराजय कर पाप की ओर प्रेरित कर देता है. उक्त मानव जीवन में जुड़े आध्यात्मिक दर्शन राष्ट्रीय संत कृष्णा बिहारी महाराज ने प्रखंड के मालपा में आयोजित नौ दिवसीय ज्ञान यज्ञ भागवत कथा वाचन के दौरान कहीं. महाराज जी के द्वारा संगीतमय भागवत कथा वाचन ही सुनने के लिये पंडाल में लोगों की अपार भीड़ जुटती है.
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देव-दानव का युद्ध रोज मानव शरीर में होता है
फोटो है 17 मेंकैप्सन- प्रवचन करते संत चौथम. मानव के अंत:करण में ही देव-दानव की प्रवृतियां बसती हैं. जीवन पाप-पुण्य के क्रियाकलापों में प्रत्यक्ष अनुभव होता है. शास्त्रों में देव दानव के बीच युद्ध का वर्णन मिलता है. राम-रावण, कौरव-पांडव का युद्ध धर्म अधर्म के बीच का युद्ध हुआ है. इसे देव-दानव के बीच युद्ध […]
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