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दौड़ा बगीचा पोखर की जमीन पर भू-माफिया की नजर
गोगरी : प्रखंड के राटन गांव से 2 किमी दूर जलापूर्ति विभाग की ओर से निर्मित दौड़ा बगीचा तालाब उपेक्षा के चलते अपना अस्तित्व खोता जा रहा है. दूसरी तरफ देखरेख के अभाव में भू-माफियाओं की ओर से यहां अतिक्रमण कर करोड़ों रुपये की जमीन पर कब्जा किया जा रहा है. जानकारी के अनुसार वर्षों […]
गोगरी : प्रखंड के राटन गांव से 2 किमी दूर जलापूर्ति विभाग की ओर से निर्मित दौड़ा बगीचा तालाब उपेक्षा के चलते अपना अस्तित्व खोता जा रहा है. दूसरी तरफ देखरेख के अभाव में भू-माफियाओं की ओर से यहां अतिक्रमण कर करोड़ों रुपये की जमीन पर कब्जा किया जा रहा है.
जानकारी के अनुसार वर्षों पूर्व जलापूर्ति विभाग की ओर से गांव से दो किमी दूर दौड़ा बगीचा तालाब का निर्माण करवाया गया था. इसे राटन स्थित दौड़ा बगीचा से जोड़कर कृषि फॉर्म में जलापूर्ति की जा रही थी. इस तालाब से आसपास के ग्रामीण व मवेशी अपनी प्यास बुझाते थे. लेकिन गत कई वर्षों से यह तालाब अपनी उपेक्षा पर आंसू बहा रहा है.
जारी है अतिक्रमण
जलापूर्ति विभाग की ओर से निर्माण करवाये गये इस तालाब से तीन ग्राम पंचायतों के लोग पानी लेकर जाते थे तथा अकाल में यह तालाब उनके व पशुधन के लिए उपयोगी साबित होता था. धीरे-धीरे यह तालाब उपेक्षा का शिकार हो गया तथा देखरेख व संरक्षण के अभाव में यह तालाब आज बेकार पड़ा है.
इस तालाब में समय पर जलापूर्ति नहीं होने से और देखरेख नहीं होने से अधिकांश समय यह सूखा ही रहता है. इसके अलावा यहां लगाई गई पत्थर की के टुकड़े लोग उठाकर ले जा रहे है. इस तालाब किनारे से लोग अवैध खुदाई कर ट्रैक्टरों में भरकर मिट्टी और बालू भी ले जा रहे है. जिससे तालाब का जल संग्रहण क्षेत्र भी प्रभावित हो रहा है. इस तालाब के पास स्थित भूमि पर भू-माफियाओं की नजर पड़ गयी है तथा वे धड़ल्ले से यहां अतिक्रमण कर रहे है. जिन्हें रोकने वाला कोई नहीं है.
उपेक्षा का शिकार
किसी जमाने में लोगों की प्यास बुझाने वाला तालाब आज उपेक्षित पड़ा है. इस तालाब के चारों तरफ बबूल की झाड़ियां लग गयी थी. दूसरी तरफ ग्रामीणों व मवेशी का यहां पहुंच पाना भी मुश्किल हो रहा है तथा यहां भारी मात्रा में रेत जमा हो गयी है. जिससे आमजन को परेशानी का सामना करना पड़ रहा है. बावजूद इसके जलापूर्ति विभाग की ओर से इस तालाब के संरक्षण को लेकर कोई कार्रवाई नहीं की जा रही है.
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