आबादपुर माह-ए-रमजान का तीसरा अशरा जहन्नुम से निजात पा लेने का बड़ा ही माकूल जरिया है. इस दरमियान मोमिनों को चाहिए कि वे इबादतों में मशगुल रह कर पाक- परवर-दिगार से अपने गुनाहों की बख्शायिश करा लें साथ ही जहन्नुम से निजात पा लें. उक्त बातें मुफ्ति लतीफुर रहमान ने बारसोई प्रखंड के आबादपुर पंचायत स्थित नूरी जामे मस्जिद प्रमाणिक टोला में रमजान के तीसरे जुमे के दौरान तकरीर के क्रम में कही. यह अंतिम अशरा अल्लाह-ता-आला के बेहद करीब पहुंचने का एक बेहतर मौका है. मोमिनों से इस तीसरे अशरे व शेष बचे रोजे के दरमियान बढ-चढ़ कर इबादत करने की बात कही. इसके साथ ही मुफ्ति साहब ने ईद से पहले सामर्थ्यवान लोगों से दिल खोल कर जकात-फितरा व हदिया निकालने की अपील की. इसे जरूरमंदों में बराबर-बराबर तकसीम करने की बात कही. मुफ्ति साहब ने बताया कि इस तीसरे अशरे के दरमियान एक रात ऐसी आती है जिसे सब-ए-कद्र कहा जाता है. इस रात में इबादत करने का शबाब एक हजार महीने की इबादत से बढकर है. बाद-ए-नमाज-ए-जुमा नमाजियों ने पाक परवर दिगार की बारगाह में हाथ उठाकर मुल्क की तरक्की एवं अमन चैन की दुआएं मांगी.
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