मोहनिया सदर : नेशनल हाइवे दो के दक्षिणी सर्विस लेन के किनारे बनाया गया नाला लोगों के लिए परेशानी का सबब बन गया है. नाला बनानेवाली कंपनी जनहित को ध्यान में न रख कर नाला निर्माण करा दिया. इससे सर्विस लेन की सड़क से नाला दो फुट ऊंचाई पर है, जो लोगों के लिए परेशानी का सबब बन गया है. इस सर्विस लेन के बगल छोटे-बड़े दर्जनों अस्पताल व मेडिकल स्टोरेज है. यहां तक कि मोहनिया के लाइफ लाइन कहे जानेवाले वरीय चिकित्सा पदाधिकारी डॉ एके दास का क्लिनिक भी इसी नाला के बगल स्थित है.
यहां प्रतिदिन इलाज के लिए सैकड़ों मरीजों की लंबी कतार लगती है. इसके साथ ही बगल में महिला चिकित्सा पदाधिकारी डॉ बबीता बख्शी का क्लिनिक है. यहां प्रसव सहित अन्य इलाज के लिए महिला मरीज पहुंचती है. इसके साथ ही सर्विस लेन के किनारे स्थित अन्य अस्पतालों में इलाज के लिए आनेवाले खास कर बुजुर्ग व महिला मरीजों को सड़क से लगभग दो फुट ऊंचे नाले को किसी तरह चढ़ कर पार करना काफी परेशानी भरा है. सड़क की तरफ से दो फुट तो नाला के उस पर तीन से चार फुट गहराई का होना खतरे से खाली नहीं है. इस नाला का निर्माण करानेवाली सोमा आइसोलेक्स कंपनी के कर्मचारी भी इस समस्या को नजरअंदाज कर रहे हैं.
कैसे जलजमाव से मुक्त होगी सर्विस लेन : यदि हम सड़क से नाला की ऊंचाई को देखे तो स्पष्ट हो जाता है कि हाल ही में ढलाई की गयी सर्विस लेन से नाला की ऊंचाई लगभग दो फुट अधिक है. ऐसी स्थिति में बरसात के दिनों में सड़क पर लगनेवाला पानी किस तरह नाले में पहुंचेगा कह पाना मुश्किल है. सड़क का पानी नाले में गिराने के लिए ढलाईयुक्त नाला में कहीं-कही होल छोड़ा गया है. लेकिन, इसका साइज इतना छोटा है कि पानी के साथ बहने वाले कचरे से ही वह बंद हो जायेगा और सड़क ही झील बन जायेगी. इतना ही नहीं यदि कुछ दिनों बाद नाला जाम होता है. तो नाले का गंदा पानी सड़क को झील में तब्दील हो जायेगा. उस समय यह नाला लोगों के लिए परेशानी का कारण बन सकता है. यदि इस दृष्टि से देखा जाये तो भले ही नाला निर्माण पर लाखों रुपये खर्च किये जा रहे हैं. लेकिन, इसका कोई खास लाभ लोगों को नहीं मिलता नजर आ रहा है.
नाले को पार करने के लिए हो ढलाई
चिकित्सा पदाधिकारी डॉ एके दास कहते हैं कि कंट्रक्शन कंपनी को अस्पतालों सहित खास-खास जगहों पर नाला को पार करने के लिए स्लोपिंग बनाना चाहिए था. मरीजों को काफी परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है. डॉ खुर्शीद आलम की मानें तो नाले की ऊंचाई अधिक होने और उसको पार करने के लिए कोई विकल्प नहीं बनाये जाने से सभी को परेशानी है. कभी भी लोग गिर कर घायल हो सकते हैं. इसका ध्यान कंपनी को रखना चाहिए था. डॉ रविशंकर शर्मा कहते हैं कि विकास होना अच्छी बात है. नाला से जलजमाव नहीं होगा. लेकिन, उसे पार करने के लिए बनाना चाहिए था. सड़क की तरफ से नाले की ऊंचाई अधिक तो नाले के पार गहराई इतना अधिक है कि पार कर अस्पताल पहुंचना बहुत कठीन है. दवा दुकानदार पारस नाथ सिंह कहते हैं कि इस नाले को पार कर इधर इलाज कराने आनेवाले मरीजों में सबसे अधिक परेशानी वृद्ध व गर्भवती महिलाओं को होती है. इतना ऊंचा नाला को पार करना बहुत ही खतरनाक है. एनएचएआई को नाला को पार करने के लिए ढलाई करवाना चाहिए था.
सड़क से नाले की ऊंचाई है अधिक, कैसे निकलेगा पानी
बोले अधिकारी
इस संबंध में एनएचएआई के रूट इंचार्ज केबी मौर्य ने कहा कि नाला निर्माण सोमा कंपनी करा रही है. उसके अधिकारियों को जनहित का ध्यान रखना चाहिए. स्थानीय लोगों को भी चाहिए कि नाला बनवा रहे इंजीनियर से इस संबंध में बात कर इस समस्या का निदान अभी करा लें. बाद में बहुत परेशानी होगी.