जहानाबाद : कल तक चुनावी समर में टिकट के लिए हुंकार भरने वाला रालोसपा अब मैदान छोड़ चुकी है. आकाओं से बात के बाद संभावित उम्मीदवार माने जा रहे नेताओं के बोल भी बदल गये हैं. चंद दिनों के अंदर ही इस हॉट बने सीट के लिए खूब ड्रामा हुआ. खासकर एनडीए के तमाम घटक दल अखाड़े में कुश्ती लड़ने के बजाय पैंतरा मारते नजर आये.
दलों की पल-पल बदलती पैंतरेबाजी से आम-आवाम भी धर्मसंकट में थी. खैर! देर-सबेर ही सही एनडीए में उम्मीदवारी पर पुख्ता मुहर लग गयी है. जदयू अपने वादे से एक कदम पीछे हटकर जहानाबाद सीट से अभिराम शर्मा को अपना उम्मीदवार बनायी है. वर्ष 2010 में भी जदयू के टिकट से वे विधायक रहे हैं. एनडीए से जद यू का नाता टूटने के बाद जहानाबाद की सीट राजद के खाते में चली गयी थी और वर्ष 2015 के चुनाव में मुंद्रिका सिंह यादव विधायक बने. बावजूद अभिराम ने जहानाबाद की जनता को नहीं छोड़ा. लोगों से मिलने-जुलने का सिलसिला जारी रखा. सूत्र कहते हैं कि कमोबेश जद यू उम्मीदवार का सभी जातियों पर पकड़ है,
फिर भी जीत की राह आसान नहीं होगी. राजद और जद यू के बीच उपचुनाव में सीधा मुकाबला होने के आसार हैं. एनडीए में खींचतान का दौर अब खत्म हो गया है. सोमवार को अभिराम शर्मा और रालोसपा (उपेंद्र गुट) के संभावित उम्मीदवार गोपाल शर्मा का मिलन हुआ जहां एनडीए को जिताने का संकल्प लिया गया. सोशल मीडिया पर पूरे दिन रूठे भाजपाइयों के दर्द की दास्तान देखने और सुनने को मिला. कई भाजपाइयों ने फेसबुक के जरिये अपनी नाराजगी का इजहार किया है. रूठे भाजपाइयों को मनाना इस दफा आसान नहीं होगा. मंगलवार को जदयू के उम्मीदवार अपना नामांकन करेंगे, जहां एनडीए के घटक दलों के महत्वपूर्ण लोगों पर आम-आवाम की नजर होगी. नामांकन का नजारा ही सबकुछ बयां कर देगा. लोग-बाग कह रहे कि टिकट मिलने में देर होने से कई दलों में नाराजगी है जिसका असर चुनाव पर पड़ सकता है.