परेशानी. जहानाबाद स्टेशन पर महिला टिकट काउंटर नहीं
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महिला डिब्बे में पुरुष का कब्जा
परेशानी. जहानाबाद स्टेशन पर महिला टिकट काउंटर नहीं टिकट कटाने के दौरान महिलाओं के साथ होती है धक्का-मुक्की जहानाबाद : दानापुर रेल मंडल का पटना-गया रेल खंड पर महिलाओं व विकलांग यात्रियों को ट्रेनों में सफर करना काफी मुश्किल भरा होता है. बेहद कठिनाई झेलते हुए प्रतिदिन हजारों की संख्या में महिला व विकलांग यात्री […]
टिकट कटाने के दौरान महिलाओं के साथ होती है धक्का-मुक्की
जहानाबाद : दानापुर रेल मंडल का पटना-गया रेल खंड पर महिलाओं व विकलांग यात्रियों को ट्रेनों में सफर करना काफी मुश्किल भरा होता है. बेहद कठिनाई झेलते हुए प्रतिदिन हजारों की संख्या में महिला व विकलांग यात्री सफर करने को विवश हैं. स्टेशन पर टिकट कटाने से लेकर ट्रेनों में सवार होने तक और फिर डिब्बे में सीट के लिए इन्हें काफी जद्दोजहद करनी पड़ती है. यह स्थिति सिर्फ जहानाबाद स्टेशन की ही नहीं, बल्कि पीजी रेलखंड के कोर्ट हॉल्ट, नदौल, तारेगना, नदवां, पोठही, पुनपुन, टेहटा, मखदुमपुर, बेला के अलावा विभिन्न हॉल्टों पर की है. हॉल्टों पर पैसेंजर ट्रेन का ठहराव अत्यंत ही कम समय के लिए होता है.
इस कारण पुरुष तो किसी तरह ट्रेन में सवार हो जाते हैं, लेकिन कई दफा महिला यात्री सवार नहीं हो पाती हैं. खतरे के बीच चलती ट्रेन में महिलाओं को ट्रेन में चढ़ने की विवशता बनी हुई है. इस कारण कई बार छोटी-बड़ी दुर्घटनाएं भी हो चुकी हैं. इतना ही नहीं, रेल पुलिस द्वारा कार्रवाई नहीं किये जाने से डिब्बे के गेट पर लोग बैठ कर या खड़ा होकर जाम किये रहते हैं. इस कारण भी महिलाओं को सवार होने में बेहद कठिनाई होती है.
महिलाओं के लिए नहीं है अलग से काउंटर : जहानाबाद स्टेशन से रोज हजारों की संख्या में दैनिक यात्री, व्यवसायी, सरकारी कर्मी, छात्र-छात्राएं एवं आम लोग सफर करते हैं, जिनमें महिलाओं की अच्छी-खासी संख्या रहती है. सबसे पहली परेशानी तो इन्हें टिकट कटाने को लेकर होती है. महिलाओं के लिए वर्षों से अतिरिक्त काउंटर खोलने की मांग की जा रही है, पर रेलवे द्वारा इस तरफ ध्यान नहीं दिया जा रहा है. दौरे पर आये डीआरएम से भी यात्रियों द्वारा आग्रह किया गया, लेकिन अब तक अलग काउंटर की व्यवस्था नहीं की गयी. इससे महिलाओं को टिकट कटाने के लिए पुरुषों की लगी भीड़ से जूझना पड़ता है तथा धक्का-मुक्की सहनी पड़ती है. स्थिति तो तब और गंभीर हो जाती है, जब ट्रेन के स्टेशन पर आने का समय निकट हो जाता है.
विकलांग बोगी में करते हैं सामान्य लोग सफर : इस रेलखंड में चलने वाली ट्रेनों में महिलाओं व विकलांगों के लिए अलग से डिब्बे की व्यवस्था है, परंतु रेल पुलिस व रेल प्रशासन द्वारा सख्त कदम नहीं उठाये जाने से महिला डिब्बे में बड़ी संख्या में पुरुष सवार रहते हैं. महिलाएं जब उनसे डिब्बे को खाली करने के लिए कहती हैं, तो तो पुरुष उनसे उलझ पड़ते हैं. हालांकि रेल पुलिस द्वारा यदा-कदा इसकी जांच की जाती है, परंतु इसे अभियान के तौर पर नहीं चलाने से पुरुष यात्री महिला डिब्बे में सवार हो जाते हैं.
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