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hajipur news. रक्षाबंधन आज, प्यार की डोर से सजेगी भाइयों की कलाई

भाई-बहनों के त्योहार रक्षाबंधन को लेकर हर तरफ उमंग और उल्लास का वातावरण बना हुआ है

हाजीपुर. भाई-बहनों के त्योहार रक्षाबंधन को लेकर हर तरफ उमंग और उल्लास का वातावरण बना हुआ है. रक्षाबंधन का त्योहार सावन माह की पूर्णिमा को मनाया जाता है. इस बार पूर्णिमा तिथि शुक्रवार की दोपहर 2.12 बजे से शुरू होकर शनिवार को 1.24 बजे दिन तक रहेगी. इस बार रक्षाबंधन पर भद्रा काल का साया नहीं रहेगा. इसलिए राखी बांधने का शुभ मुहूर्त सुबह से शुरू होकर दोपहर 1.24 बजे तक रहेगा. इस अवधि में बहनें अपने भाइयों की कलाई पर राखी बांध सकेंगीं. पर्व की तैयारी में शुक्रवार को शहर का हर बाजार ग्राहकों की भीड़ से गुलजार रहा.रक्षाबंधन को लेकर पिछले कई दिनों से बाजारों में रंग-बिरंगी राखियों की दुकानें सजी हैं. शुक्रवार को शहर के राजेंद्र चौक, गुदरी बाजार, कचहरी रोड, थाना चौक, गांधी चौक, सिनेमा रोड, स्टेशन रोड, रामअशीष चौक, पासवान चौक, जढुआ समेत अन्य स्थानों पर राखी खरीदती महिलाओं और बच्चियों की भीड़ देखी गयी. साथ-साथ मिठाई की दुकानों पर भी ग्राहकों की लाइन लगी रही.

भाई-बहन के अटूट प्यार का पर्व

सावन माह की पूर्णिमा को मनाया जाने वाला रक्षाबंधन का त्योहार भाई का बहन के प्रति प्यार का प्रतीक है. रक्षाबंधन पर बहनें अपने भाइयों की कलाई में राखी बांधती हैं और उन्हें तिलक लगा अपनी रक्षा का संकल्प लेती हैं. रक्षाबंधन का यह त्योहार अब भाई-बहनों के दायरे से निकलकर देश और पर्यावरण की रक्षा से जुड़ गया है. पौराणिक और ऐतिहासिक काल में राखी के महत्व के अनेक प्रसंग मिलते हैं. कहते हैं कि मेवाड़ की महारानी कर्मावती ने मुगल राजा हुमायूं को राखी भेजकर रक्षा याचना की थी. हुमायूं ने मुसलमान होते हुए भी राखी की लाज रखी. एक वाकया यह है कि सिकंदर की पत्नी ने अपने पति के हिंदू शत्रु पुरू को राखी बांधकर उसे अपना भाई बनाया था और युद्ध के समय सिकंदर को न मारने का वचन लिया था. पुरू ने युद्ध के दौरान हाथ में बंधी राखी और बहन को दिये वचन का सम्मान करते हुए सिकंदर को जीवनदान दिया था. ऐसी अनेक नजीरें इतिहास के पन्नों में दर्ज बतायी जाती हैं.

आज दोपहर तक रक्षाबंधन का शुभ मुहूर्त

शनिवार को सूर्योदय से पहले ही भद्रा काल समाप्त हो जाने के कारण इस बार रक्षाबंधन भद्रा से पूरी तरह मुक्त रहेगा. भद्राकाल में राखी नहीं बांधने की परंपरा रही है. पौराणिक मान्यता है कि लंकापति रावण की बहन ने भद्राकाल में ही उनकी कलाई पर राखी बांधी थी. अगले एक साल के अंदर ही उनका विनाश हो गया था. इस तरह की और भी कई मान्यताएं हैं. आचार्य आशुतोष त्रिपाठी ने बताया कि इस साल रक्षाबंधन पर कई शुभ योगों का विशेष संयोग बन रहा है. सर्वार्थ सिद्धि योग, सौभाग्य योग, बुधादित्य योग के अलावे वृहस्पति और शुक्र की युति एवं चंद्रमा के श्रवण नक्षत्र में गोचर से यह दिन विशेष फलदायक होगा. रक्षाबंधन पर इस बार भद्रा तो नहीं, लेकिन कुछ समय के लिए राहुकाल का साया रहेगा. शनिवार की सुबह 9.07 से 10.47 बजे तक राहुकाल रहेगा. ज्योतिष शास्त्र में राहुकाल को मांगलिक कार्यों के लिए शुभ नहीं माना जाता है.

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