गोपालगंज : गौरैया हमारे बचपन का साथी है. बचपन में गौरेया के पीछे भागता बालमन आज भी चूं-चूं करती आयी चिड़ियां गीत सुन कर गौरैया के साथ खड़ा हो जाता है. आज हमारे आंगन से इस प्यारी व नन्ही चिड़ियां की चहचहाहट खत्म हो रही है. शहरीकरण का विस्तार, पक्के मकान, बढ़ता प्रदूषण व मोबाइल टावरों से निकलने वाली रेडियो तरंगों के कारण गौरेया का आशियाना उजड़-सा गया है. इसे पूरी दुनिया ने महसूस किया है. इसीलिए 20 मार्च को विश्व गौरैया दिवस मनाया जाता है. बिहार सरकार ने तो गौरेया को राजकीय पक्षी घोषित किया है. अब जिनके घर सबसे ज्यादा गौरैया आयेगी या गौरेया की बेहतर तसवीर दिखाने पर राज्य सरकार पुरस्कृृत करेगी.
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मेरे आंगन फिर आना गौरैया
गोपालगंज : गौरैया हमारे बचपन का साथी है. बचपन में गौरेया के पीछे भागता बालमन आज भी चूं-चूं करती आयी चिड़ियां गीत सुन कर गौरैया के साथ खड़ा हो जाता है. आज हमारे आंगन से इस प्यारी व नन्ही चिड़ियां की चहचहाहट खत्म हो रही है. शहरीकरण का विस्तार, पक्के मकान, बढ़ता प्रदूषण व मोबाइल […]
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