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ताकि प्रदूषणमुक्त रहे होलिका
आइए जलाएं नफरत की होलिका, खतरनाक गैसों से अनभिज्ञ रहते हैं लोग गोपालगंज : इस बार होलिका में न तो हरियाली जलाये और न ही उसमें टायर व प्लास्टिक जैसे विनाशक तत्व. ग्लोबल वार्मिंग, पर्यावरणविदों की चेतावनी के बावजूद शहर और गांव में अनेक स्थानों पर स्थापित होलिका में विनाशक तत्व पड़े दिख रहे हैं. […]
आइए जलाएं नफरत की होलिका, खतरनाक गैसों से अनभिज्ञ रहते हैं लोग
गोपालगंज : इस बार होलिका में न तो हरियाली जलाये और न ही उसमें टायर व प्लास्टिक जैसे विनाशक तत्व. ग्लोबल वार्मिंग, पर्यावरणविदों की चेतावनी के बावजूद शहर और गांव में अनेक स्थानों पर स्थापित होलिका में विनाशक तत्व पड़े दिख रहे हैं. हरियाली तो लगभग सभी होलिका में है.
इसके अलावा कहीं टायर दिख रहे हैं, तो कहीं प्लास्टिक की बोतलें. इनके जलने से निकलनेवाली खतरनाक गैसों से अनभिज्ञ लोग जाने -अनजाने अपने ही लिये एक खतरा उत्पन्न कर लेंगे. होलिका की संख्या में बहुत ज्यादा वृद्धि हो गयी है. चौराहों व गलियों में विनाशक तत्वों के जलने से पूरे नगर का वातावरण प्रभावित हो सकता है.
इसलिए यह संकल्प लेने का समय है कि हम अपने वातावरण को शुद्ध रखें. उसे नुकसान न होने दें, हरियाली ,टायर व प्लास्टिक न खुद जलाये और न दूसरों को जलाने दें.
होली की तैयारी में बाजार सज गया. बच्चों के मनपसंद कार्टून की पिचकारी हो या मोदी पिचकारी की बहार आ गयी है. बाजार में इसका बोलबाला हो गया. पुरानी बाजार आदि बाजारों के मद्देनजर पिचकारी की दुकानें सज गयी हैं. यहां छोटे-छोटे बच्चे अपनी मनपसंद की पिचकारियां लेने बाजार में आने लगे.
पिचकारी बाजार पर कार्टून से लेकर राजनीति तक का रंग चढ़ गया. बच्चों के लिए 35 रुपये से पिचकारी शुरू हुई है. डोरीमान, छोटा भी आदि पिचकारियों की डिमांड बच्चे खूब कर रहे है. वहीं मोदी टोपी आदि से भी बाजार गुलजार है. रंगों की दुकान पर बच्चों का मन ललचा रहा है.थाना रोड के प्रमुख कारोबारी दिनेश बगौडिया ने कहा कि होली की तैयारी शुरू हो गयी है. बाजार में बच्चों के कार्टून की पिचकारी आ गयी है. लोग खरीदारी करने लगे हैं. कुछ पिचकारी आ चुकी हैं. कुछ आ रही है. 35 से लेकर 500 रुपये तक की पिचकारियों का बाजार सजा है. बच्चों की प्लास्टिक, स्टील आदि की पिचकारी भी मौजूद है.
क्या कहते हैं विशेषज्ञ
एक जगह हो होलिकोत्सव कोई भी चीज जब हम जलाते हैं, तो कार्बन डाइआक्साइड व उससे संबंधित गैसें निकलती हैं, जो हानिकारक हैं. ये सभी ग्रीन हाउस गैस वातावरण का तापमान बढ़ा रही है. मेरा अनुरोध है कि आज से 20-25 साल पहले शहर में 15-20 स्थानों पर होलिका दहन होता है
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आज इनकी संख्या बढ़ कर लगभग दो सौ हो गयी है. जैसे विदेशों में होता है कि इस तरह के उत्सव पूरे शहर में एक जगह किये जाते है, उसी तरह यहां भी होना चाहिए. ऐसा करने से निश्चित रूप से जितनी चीजें जलायी जाती हैं, उनके एक चौथाई में ही काम चल जायेगा.
डॉ शशि रंजन,सदर अस्पताल
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