गोपालगंज : बिहार में गोपालगंजके थावे थाने में पदस्थापित आशिक मिजाज के दारोगा निशिकांत उपाध्याय को पुलिस ने आधी रात को बल प्रयोग कर ग्रामीणों के कब्जे से मुक्त कराया. ग्रामीणों ने घर में ही दारोगा को बंधक बनाकर जमकर पिटाई की थी. उधर, घटना के बाद पुलिस अधीक्षक मनोज कुमार तिवारी ने तत्काल कार्रवाई करते हुए दारोगा निशिकांत को जिले से विरमित कर दिया है. एसपी का कहना है कि इस मामले में किसी तरह की लिखित शिकायत थाने में नहीं की गयी. उचकागांव और थावे थाने की पुलिस ने कड़ी मशक्कत के बाद दारोगा को घर से मुक्त कराकर थाने लायी.
पुलिस अधिकारियों की माने तो दारोगा का तबादला सीवान जिले में हो गया था. बावजूद थावे थाने में डेरा डाल रखा था. उधर, दारोगा पर आशिक मिजाज होने का आरोप लगाकर ग्रामीणों ने पिटाई की, बाद में वीडियो बनाकर सोशल मीडिया पर वायरल कर दी. ग्रामीणों का आरोप था कि दरोगा निशिकांत उपाध्याय अंधेरे का लाभ उठाकर आये दिन गांव में एक लड़की मिलने आता था. शुक्रवार की देर शाम में दारोगा जैसे ही उचकागांव थाने के वृंदावन मौजे गांव में पहुंचा, ग्रामीणों ने उसे देख लिया और घर में ही बंधक बना ली. बंधक बनाने के बाद दारोगा की जमकर पिटाई की गयी. गांव में सैकड़ों की संख्या में जुटे लोग पुलिस अधीक्षक को मौके पर बुलाने की मांग कर रहे थे.
मामला संज्ञान में आने के बाद पुलिस अधीक्षक ने पुलिस पदाधिकारियों को भेज दिया. रात के 10.30 बजे के आसपास दारोगा को मुक्त कराया गया. पुलिस ने दारोगा को मुक्त कराने के बाद वरीय अधिकारियों को इसकी सूचना दी. शनिवार को मामले की जांच शुरू की गयी तो पता चला कि दारोगा का तबादला सीवान में कुछ दिन पहले ही हो गया था. फिलहाल विरमित होने के बाद अन्य पुलिस पदाधिकारियों को ऐसे करतूत से बचने की हिदायत दी गयी है.
16 महीने बची है दारोगा की नौकरी
जिस दारोगा को लोगों ने बंधक बनाकर पिटाई की, उसकी नौकरी महज 16 माह की बची है. रिटायरमेंट के कगार पर पहुंचे दारोगा की इस करतूत से गांव के लोग परेशान थे. पुलिस डिपार्टमेंट भी घटना को लेकर हतप्रभ है. दारोगा से जब संपर्क किया गया, तो उसने कुछ भी बोलने से इन्कार किया. वहीं स्थानीय थाने की पुलिस भी मामले में कुछ बोलने से परहेज करती रही.