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कटाव रोकने के िलए डाले जा रहे जियो और सैंड बैग

गोपालगंज : गंडक की कटावी धारा से हाइटेंशन बिजली टावर पर खतरा अभी भी बना हुआ है. नदी की कटावी धारा के चपेट में आये टावरों को बचाने के लिये प्रशासन की ओर से युद्ध स्तर पर प्रयास शुरू किया गया है. कटाव को रोकने के लिये जियो बैग और सैंड बैग कटाव स्थल पर […]

गोपालगंज : गंडक की कटावी धारा से हाइटेंशन बिजली टावर पर खतरा अभी भी बना हुआ है. नदी की कटावी धारा के चपेट में आये टावरों को बचाने के लिये प्रशासन की ओर से युद्ध स्तर पर प्रयास शुरू किया गया है.

कटाव को रोकने के लिये जियो बैग और सैंड बैग कटाव स्थल पर डाले जा रहे हैं, इसके बावजूद टावर पर खतरा बरकरार है. बता दें कि सोमवार को 400 मेगावाट बिजली लाइन का टावर गिरने के बाद से अन्य टावरों पर कटावी धारा का खतरा उत्पन्न हो गया है. इधर, गुरुवार को नदी की उग्र धारा के सामने गिरे हुए टावर को रिस्टोर करने का काम जहां बंद हो गया, वहीं खतरे की जद में टावर को बचाने में भी निरोधात्मक टीम तेज धारा के सामने विवश रही.
गुरुवार को कटाव का निरीक्षण करने पहुंचे डीएम अनिमेष कुमार पराशर नदी के बीच टावर को बचाने के लिए रणनीति बनाते हुए 10 बजे रात तक कैंप करते रहे. नयी रणनीति के तहत कटाव स्थल के पास मजदूर और इंजीनियरों का कैंप बनाया गया है तथा कटाव पर अंकुश लगाने का काम शुक्रवार को शुरू किया गया.
इसके लिए पूर्व से काम कर रहे 200 मजदूरों के अलावा और 50 से अधिक मजदूर लगाये गये हैं. जियो और सैंड बैग पहुंचाने के लिए दो बड़ी नावों की तैनाती की गयी है तथा भगवानपुर से जियो बैग और सैंड बैग तैयार कर भेजा जा रहा है. जियो बैग भेजने का जिम्मा सदर सीओ विजय कुमार सिंह को दिया गया है.
वहीं, कटाव स्थल पर युद्धस्तर पर टावर को बचाने का काम जारी है. शुक्रवार को भी अधिकारियों की टीम कटाव स्थल पर स्थिति का जायजा लेती रही. इसके लिए सलेमपुर के पास नदी किनारे कैंप बनाया गया है. हालांकि, गिरे हुए टावर को रिस्टोर करने करने का काम शुक्रवार को भी नहीं हो सका. काम कर रहे मजदूरों की सुरक्षा में एनडीआरएफ की टीम भी तैनात है. टावर गिरने के बाद अब तक इस रूट में बिजली आपूर्ति अब भी बाधित है.
सोनपुर से मंगाये जा रहे 10 बड़े नाव
कटाव स्थल पर आवश्यक सामग्री पहुंचाने के लिए सोनपुर से 10 नाव मंगाने की बात अधिकारियों ने कही है. बड़ी नाव आने के बाद कटाव स्थल तक निरोधक सामग्री जहां आसानी से पहुंचाया जायेगा, वहीं नदी के बीच गिरे टावर को रिस्टोर करने का काम भी शुरू किया जायेगा. गिरे टावर को रिस्टोर करने के लिए अत्याधुनिक तकनीक और सामग्री का भी उपयोग करने की बतायी गयी है. फिलहाल निरोधात्मक कार्य के बीच नदी का उग्र रूप अभी कम होने का नाम नहीं ले रहा है.

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