राजेश कुमार ओझा
Bihar Assembly Elections 2025: बिहार विधान सभा का चुनाव अक्तूबर- नवंबर में होना है.लेकिन, चुनाव की तैयारी को लेकर पार्टी के संभावित प्रत्याशी मैदान में उतर गए हैं.अपने लोगों से मिल कर अपने पक्ष में गोलबंदी भी शुरू कर दी है.बिहार विधानसभा चुनाव से पहले ग्राउंड जीरो का क्या महौल है. इसकी जानकारी लेने प्रभात खबर की टीम बिहार के इमामगंज विधान सभा पहुंची.
यह विधान सभा केंद्रीय मंत्री जीतन राम मांझी की कर्म भूमि है. 2024 में लोक चुनाव में विजयी होने के बाद उन्होंने इस सीट से त्यागपत्र दे दिया था. इसके बाद इस सीट पर हुए उपचुनाव में एक रोचक मुकाबले में केंद्रीय मंत्री जीतन राम मांझी की बहु दीपा मांझी ने आरजेडी प्रत्याशी रौशन मांझी को पराजित कर अपनी परंपरागत सीट पर विजयी हुई.
एनडीए और महागठबंधन में होगी कड़ी टक्कर
2025 के विधानसभा चुनाव में भी एक बार फिर इस सीट पर दीपा मांझी का मुकाबला महागठबंधन के प्रत्याशी से होना है. इसको लेकर इनकी ओर से तैयारी चल रही है. लेकिन, महागठबंधन में इस सीट को लेकर घमासान मचा है. आरजेडी में इस सीट पर तीन नामों की चर्चा हो रही है. उपचुनाव में दीपा मांझी को कड़ी टक्कर देने वाले रौशन मांझी के साथ साथ रितु प्रिया चौधरी और तनुश्री के नामों की भी चर्चा है. रौशन मांझी और तनुश्री मांझी समाज से आते हैं.
टिकट को लेकर आरजेडी में मारामारी
तनुश्री को विरासत में राजनीति मिली है. तनुश्री की मां समता देवी पूर्व विधायक हैं. 2020 के विधानसभा चुनाव में वो बाराचट्टी विधानसभा सीट से चुनाव लड़ी थी. लेकिन इस चुनाव में उनको हार का सामना करना पड़ा. समता देवी पूर्व सांसद भगवती देवी की बेटी हैं. समता देवी के भाई भी सांसद रहे हैं. इन सब के बावजूद तनुश्री अपने स्तर से अपनी सक्रियता बढ़ा रही हैं. लोगों से मिलकर उनकी समस्या का निराकरण करने के साथ साथ वे उनको सुख दु:ख में भी शामिल हो रही है. इनकी सक्रियता के कारण काफी कम समय में वे चर्चा में आ गई हैं.
मांझी वोटर पर सबकी नजर
इधर, रौशन मांझी का रानीतिक पृष्टभूमि तो नहीं है. लेकिन, इन्होंने राजनीति को अपना कैरियर बनाते हुए इसमें आगे बढ़ रहे हैं. शहरी क्षेत्र के साथ साथ ग्रामीण क्षेत्र के लोगों को जोड़ने के साथ साथ अपने समाज के लोगों से भी संपर्क में हैं. उनके साथ उठने- बैठने के साथ साथ ये भी इमामगंज की समस्याओं को लेकर मुखर रहते हैं. रौशन मांझी का दावा है कि जो गलती पिछले बार हुई थी वह इस बार नहीं होगी.
महागठबंधन अगर हमें अवसर देता है तो यह सीट इस दफा मैं पक्का जीतकर महागठबंधन की झोली में डालने का काम करेंगे. बता दें कि इमामगंज विधान सभा सबसे ज्यादा मांझी समाज का ही वोट है. जो कि अभी तक एक मुश्त जीतन राम मांझी को मिलता रहा है. रौशन मांझी भी मांझी समाज से ही आते हैं. इनका दावा है कि समाज के लोगों का इस दफा हमें ज्यादा समर्थन मिलेगा.
महागठबंधन में तीन दावेदार
लेकिन, टिकट के दौर में रौशन मांझी और तनुश्री के साथ साथ रितु प्रिया चौधरी भी है. रितु प्रिया चौधरी भी इस सीट पर सक्रिय है. यहां के लोग कहते हैं कि पिछले उपचुनाव में आरजेडी से टिकट नहीं मिलने पर वे शांत होकर घर में बैठक गई थी. इस दफा वे इस सीट पर अपनी दावेदारी पेश कर रही हैं. रितु प्रिया चौधरी पासी समाज से आती है. दांगी समाज के युवक से इन्होंने लव मैरेज किया. स्थानीय लोगों का कहना है कि वे अपने इस सीकरण के सहारे दीपा मांझी को टक्कर देना चाहती है.
रितु प्रिया चौधरी के समर्थकों का कहना है कि करीब तीन लाख के वोटर वाले इमामगंज विधान सभा में पासी और दांगी के 50 हजार से ज्यादा वोटर हैं. जबकि मांझी समाज का 70 हजार वोटर हैं. जो कि जीतन राम मांझी के परंपरागत वोटर हैं. इसमें सेंघमारी करना संभव नहीं है.
इमामगंज विधान सभा से दीपा मांझी को हम अपने वोटरों को गोलबंद कर ही सकते हैं. इसमें रितु प्रिया चौधरी पूरी तरह से फीट बैठती है. रितु प्रिया चौधरी के समर्थकों के दावे को खारिज करते हुए रौशन मांझी के समर्थकों का कहना है कि उपचुनाव में बड़ी संख्या में मांझी वोटर रौशन मांझी को अपना वोट दिए थे. इसलिए रौशन मांझी ज्यादा प्रबल दावेदार हैं.
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