समारोह की अध्यक्षता कॉलेज के प्रिंसिपल डॉ शमसुल इस्लाम ने की. कार्यक्रम का आयोजन स्नाकोत्तर हिंदी व उर्दू विभाग की ओर से किया गया था. समारोह को संबोधित करते हुए वक्ताओं ने कहा कि साहित्यकार मुंशी प्रेमचंद की रचनाओं में आम आदमी व प्रकृति से जुड़ाव मिलता है. हर एक रचना धरातल से जुड़ी हुई है. साथ ही सरकारी तंत्र में पसरी अराजकता व मानवमन के हर पक्ष का बखूबी विश्लेषण मिलता है.
यही वजह है कि उनकी रचनाएं आम आदमियों के बीच भी चर्चित है. यही नहीं उनकी रचनाएं इस बात का प्रमाण भी देती हैं कि प्रेमचंद को न केवल हिंदी बल्कि उर्दू भाषा के पर भी समान पकड़ थी. वक्ताओं ने कहा कि उनकी रचनाओं कई खासियत से लबरेज हैं जिसमें से एक, उन्होंने जीवन को जैसा जिया व जैसा देखा वैसा ही रचनाओं में पिरोने का काम भी किया है. यही नहीं उन्होंने सरकारी तंत्र व समाज में पसरी दकियानूसी पर बड़े ही सलीके और बेबाकी से रचनाओं में चोट करने का काम किया है. समारोह के वक्ताओं में साहित्यकार गोवर्द्धन प्रसाद सदय, प्रो रवि भूषण, प्रो हुसैनुल हक, प्रो बंशीधर लाल, प्रो महफुजुल हसन आदि भी शामिल थे.