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मुद्दों पर भरमा रही सरकार
गया : महंगाई, बेराेजगारी व जलसंकट जैसे मुद्दाें पर आज काेई बड़ा आंदाेलन नहीं हाेता है. सरकार, जनता काे भरमा रही है आैर बुनियादी सवालाें या मुद्दों से उसका ध्यान हटा रही है. लेखकाें व लेखक संगठनाें के लिए केवल साहित्य के शास्त्रीय विषय ही काफी नहीं हैं, उन्हें जनसमस्याआें पर भी साेचना चाहिए. इन […]
गया : महंगाई, बेराेजगारी व जलसंकट जैसे मुद्दाें पर आज काेई बड़ा आंदाेलन नहीं हाेता है. सरकार, जनता काे भरमा रही है आैर बुनियादी सवालाें या मुद्दों से उसका ध्यान हटा रही है. लेखकाें व लेखक संगठनाें के लिए केवल साहित्य के शास्त्रीय विषय ही काफी नहीं हैं, उन्हें जनसमस्याआें पर भी साेचना चाहिए. इन पर जनता काे संघर्ष के लिए प्रेरित करना चाहिए. उक्त बातें हादी हाशमी स्कूल के सभागार में शनिवार की शाम गया जिला प्रगतिशील लेखक संघ व जनवादी लेखक संघ के संयुक्त तत्वावधान में आयाेजित संवाद गाेष्ठी में वरिष्ठ कवि अरुण कमल ने कहीं.
श्री कमल ने देश-दुनिया में संस्कृतिकर्मियाें के दायित्वों पर भी अपने विचार व्यक्त किये. उन्हाेंने कहा कि पिछले दिनाें बेंगलुरु में इपीएफ पर सरकार की श्रमिक विराेधी नीतियाें के खिलाफ हुए मजदूर आंदाेलन में बहुमत भागीदारी महिलाआें की थी. उन्हाेंने कहा कि आज जनशक्ति काे संगठित व आंदाेलित करने की जरूरत बढ़ गयी है.
छाेटे-छाेटे आंदाेलन जुड़ कर आज एक व्यापक आंदाेलन का रूप ले सकते हैं. श्री कमल ने समाज से दिनाें-दिन खत्म हाेती समरसता पर भी चिंता जतायी. उन्हाेंने कहा कि सार्वजनिक जीवन में भाइचारे काे बचाने व बढ़ाने से ही जाति व धर्म के भेद कमजाेर पड़ेंगे. विजय माल्या व सुब्रत राय जैसे लाेगाें के कारनामाें की आेर इशारा करते हुए उन्हाेंने व्यवस्था की विडंबनाआें काे भी उद्घाटित किया. उन्हाेंने कुछेक प्रतिनिधि कविताआें में अपनी केवल धार, घाेषणा व अच्छा आदि का पाठ भी किया.
उन्हाेंने कन्हैया कुमार जैसे क्रांतधर्मी युवाआें की सक्रियता में आशा की किरण लक्षित की. गोष्ठी की अध्यक्षता प्रलेस के जिलाध्यक्ष कृष्ण कुमार ने की, जबकि संचालन सचिव परमाणु कुमार ने किया. इस दौरान साहित्यकाराें व बुद्धिजीवियाें में फैयाज हॉली, सत्येंद्र कुमार, सुरेंद्र सिंह सुरेंद्र, कवि कर्मानंद आर्य, पूनम कुमार, प्रिंस कुमार व अंजलि झा ने सामयिक प्रश्नाें पर अरुण कमल से संवाद भी किया. इस अवसर पर प्रलेस के उपाध्यक्ष अरुण हरलीवाल व प्रभात रंजन आदि माैजूद थे.
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