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पिछड़ा-अतिपिछड़ा समाज को कमजोर न समझें राजनीतिक दल : राजीव रंजन

गया : पिछड़ा-अति पिछड़ा समाज के विकास के लिए विभिन्न मांगों को रखते हुए पिछड़ा – अति पिछड़ा महासम्मेलन के अध्यक्ष सह पूर्व विधायक राजीव रंजन ने कहा ‘आजादी के 72 वर्षों बाद भी पिछड़ा-अतिपिछड़ा समाज को वोट बैंक समझने वाले राजनीतिक दल यह समझ लें कि हमारा समाज अब विकास की मुख्यधारा से जुड़ने […]

गया : पिछड़ा-अति पिछड़ा समाज के विकास के लिए विभिन्न मांगों को रखते हुए पिछड़ा – अति पिछड़ा महासम्मेलन के अध्यक्ष सह पूर्व विधायक राजीव रंजन ने कहा ‘आजादी के 72 वर्षों बाद भी पिछड़ा-अतिपिछड़ा समाज को वोट बैंक समझने वाले राजनीतिक दल यह समझ लें कि हमारा समाज अब विकास की मुख्यधारा से जुड़ने का मन बना चुका है और अब इन्हें आगे बढ़ने से कोई नहीं रोक सकता’. राजनीतिक पार्टियां यह जान लें कि पिछड़ा-अति पिछड़ा समाज कमज़ोर नहीं है, बल्कि अपने बलबूते यह समाज, राज्य और देश को किसी भी ऊंचाई तक ले जाने में सक्षम है.
हकीकत में कुछ नेता, जो हमारे इसी समाज से आते हैं नहीं चाहते हैं कि यह समाज आगे बढ़े. इसीलिए वह हमेशा ही इस समाज को तोड़े रखने के लिए प्रपंच रचते रहते हैं. इन्हें डर है कि अगर यह समाज आगे बढ़ गया, तो उनकी चालों को समझते हुए उन्हें वोट नहीं देगा. हमारा विरोध उनकी इसी मानसिकता से है.
निजी स्वार्थ के लिए, एक भरे-पूरे समाज को, जिसकी संख्या सबसे ज्यादा है, पिछड़ा बनाए रखना कहीं से सही नहीं कहा जा सकता. इनकी इन्हीं साजिशों का मुंहतोड़ जवाब देने के लिए लगातार राज्यव्यापी अभियान चल रहा है, जिसके तहत आगामी 18 नवंबर को पटना में पिछड़ा-अति पिछड़ा महासम्मेलन का आयोजन किया जाना है, जिसमें राज्य के कोने-कोने से इस समाज की सहभागिता होगी. इस महासम्मेलन में कुछ ख़ास मुद्दों पर चर्चा की जानी है, जो पूरे राज्य के पिछड़ा-अति पिछडा समाज के लोगों से राय करने के बाद तय किये गये हैं.
दूसरी मांग रखते हुए श्री रंजन ने कहा कि पिछले कुछ वर्षों में 35-36 विभिन्न जातियों को अति पिछड़ा समाज में जोड़ दिया गया है, जिसके कारण पहले से इस समाज का हिस्सा रहे विभिन्न जातियों को मिलने वाला लाभ और कम हो गया है. हमारी मांग है कि हमारे समाज की आर्थिक और सामाजिक रूप से काफी कमजोर मानी जाने वाली जातियां जैसे धानुक, चन्द्रवंशी, बिंद व मल्लाह जैसी जातियों को महादलित श्रेणी में रखा जाये.
तीसरी मांग बताते हुए उन्होंने कहा कि पिछड़ा समाज में यादव के अलावा कुर्मी से धानुक जाति को, कुशवाहा से दांगी जाति को पहले अति पिछड़ी जाति में डाला गया है. इन जातियों की तरह यादव जाति का भी एक भाग काफी गरीब है. हमारी मांग है कि पहले की ही तर्ज पर यादव समाज के इन हिस्सों को भी अति पिछड़ी श्रेणी में डाला जाये, जिससे यह भी तेजी से विकसित हो व अन्य की बराबरी में जल्दी आ जाये.
Prabhat Khabar Digital Desk
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