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अभिभावकों की अज्ञानता बिगाड़ रही बच्चों की सेहत
गया : डाॅक्टर के क्लीनिक में पहुंचने वाला हर बच्चा या तो ओवरवेट है या अंडरवेट. यह स्थिति लगभग हर जगह है. दरअसल यह इसलिए है क्योंकि अभिभावक खुद नहीं जानते कि उनके बच्चे का डाइट क्या हो. किसी तरह की स्वास्थ्य समस्या हो, डाॅक्टर के पास पहुंच जाना है. कुछ दवाएं खिला देनी है. […]
गया : डाॅक्टर के क्लीनिक में पहुंचने वाला हर बच्चा या तो ओवरवेट है या अंडरवेट. यह स्थिति लगभग हर जगह है. दरअसल यह इसलिए है क्योंकि अभिभावक खुद नहीं जानते कि उनके बच्चे का डाइट क्या हो. किसी तरह की स्वास्थ्य समस्या हो, डाॅक्टर के पास पहुंच जाना है. कुछ दवाएं खिला देनी है.
इसी मानसिकता के साथ लगभग हर अभिभावक अपने बच्चों का पालन-पोषण कर रहे हैं. जरूरी यह है कि हर अभिभावक डाइट संबंधी जानकारी रखें. उन्हें यह पता होना चाहिए कि वह जो भोजन अपने बच्चों को दे रहे, उससे उनके शरीर को कितना पोषक तत्व मिल रहे हैं. शिशु आहार रोग विशेषज्ञ सैयद मुमताज करीम ने बातचीत के दौरान कैलोरी व हेल्दी डाइट से जुड़ी कई जानकारियां दीं.
उन्होंने बताया कि अभिभावक जब डाॅक्टर के पास जायें तो बच्चे की बीमारी के संबंध में बात तो करें ही, साथ ही बच्चे के हेल्दी डाइट और उसके शरीर की जरूरत पर भी बात करें. उन्होंने बताया कि एक बच्चे में तीन साल तक वजन में पांच गुणा वृद्धि व चार वर्ष की उम्र तक दो गुणा वृद्धि होती है. अगर कम उम्र में शरीर को जरूरत के मुताबिक पोषक तत्व नहीं मिले तो उसके शरीर का विकास नहीं हो पायेगा.
बच्चे के लिए रोज का एक प्रॉपर डाइट :शिशु आहार विशेषज्ञ के मुताबिक एक प्रॉपर डाइट में बहुत कुछ होता है. हर बच्चे के लिए अलग डायट होती है. इसके लिए विशेषज्ञ से परामर्श लेने की जरूरत होती है. लेकिन सामान्य तौर पर कुछ खाद्य पदार्थ लेने से डाइट की जरूरत पूरी हो जाती है. उन्होंने बताया कि सुबह के नाश्ते में एक अंडा या एक गिलास सत्तू जरूर शामिल करें. दोपहर के खाने में दाल जरूर हो. शाम में फास्ट फूड की जगह हरी या लाल सब्जी का सूप व रात में भोजन के साथ 200 एमएल दूध लें.
अज्ञानता ही बीमारी का कारण
विशेषज्ञ के मुताबिक हर 10 में पांच बच्चे का वजन या तो बहुत ज्यादा है या बहुत कम. ओवरवेट बच्चों की बात करें तो उनके शरीर में फैट की मात्रा अधिक होने की वजह से ऐसा होता है. अभिभावक पोषक तत्व के नाम पर केवल दूध देते हैं. बाकि पूरे दिन उसका पेट मार्केट फूड से भर रहा होता है. धीरे-धीरे वह मोटा हो जाता है. इसके बाद कई बीमारियां शुरू हो जाती हैं. अंडरवेट बच्चों की बात करें तो ऐसे बच्चे बहुत कुछ खाते हैं लेकिन उनका वजन नहीं बढ़ता. कारण है शरीर की जरूरत के मुताबिक भोजन नहीं लेना. मतलब साफ है, दोनों ही स्थितियों में जानकारी का नहीं होना ही सामने अाता है.
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