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आज का कार्यक्रम शेरघाटी के गुरुकुल स्कूल में

गया : प्रभात खबर के बचपन बचाओ अभियान के तहत शनिवार को शेरघाटी स्थित गुरुकुल स्कूल में बच्चों से बातचीत होगी. इसमें गया कॉलेज के शिक्षा विभाग के अध्यक्ष डॉ धनंजय धीरज सहित अन्य शिक्षाविद शिरकत करेंगे. सोनाली का सवाल-देर रात तक पढ़ना चाहते हैं, लेकिन मम्मी-पापा देर रात तक पढ़ने नहीं देना चाहते हैं. […]

गया : प्रभात खबर के बचपन बचाओ अभियान के तहत शनिवार को शेरघाटी स्थित गुरुकुल स्कूल में बच्चों से बातचीत होगी. इसमें गया कॉलेज के शिक्षा विभाग के अध्यक्ष डॉ धनंजय धीरज सहित अन्य शिक्षाविद शिरकत करेंगे.

सोनाली का सवाल-देर रात तक पढ़ना चाहते हैं, लेकिन मम्मी-पापा देर रात तक पढ़ने नहीं देना चाहते हैं. क्या करें?
बच्चों लक्ष्य के अनुरूप आपको कड़ी मेहनत करनी चाहिए और यदि आवश्यकता पड़े, तो देर रात तक भी पढ़ना चाहिए. लेकिन, दिन में विद्यालय से आने के उपरांत एक छोटे समय अंतराल के लिए आपको एक हल्की नींद भी लेनी चाहिए. आपका स्वास्थ्य न बिगड़े, इस कारण से आपको मम्मी-पापा देर रात तक पढ़ने से मना करते हैं. सामंजस्य स्थापित कर आगे की पढ़ाई जारी रखिये. कभी-कभी ऐसा भी होता है कि आप पढ़ने के लिए बैठते तो हैं, लेकिन एकाग्रता के अभाव में दो घंटे का काम तीन घंटे या चार घंटे में पूरा करते हैं. एकाग्रता को बढ़ा कर स्पीड एवं सटिकता (एक्यूरेसी) के साथ अपने काम को पूरा करें और समय प्रबंधन का ध्यान रखें.
खुशी आनंद का सवाल-पढ़ाई में मन लगता है, लेकिन मन डायवर्ट हो जाता है. क्या करें?
आपके ध्यान विकर्षण के कई कारण हो सकते हैं. किसी विषय को लगातार लंबे समय तक पढ़ना. किसी विषय में आपकी रुचि नहीं होना. जीवन की कोई घटना या परिस्थिति का बारबार अापके मन मस्तिष्क पर उभर आना. इससे बचने के लिए आप सर्वप्रथम पढ़ाई शुरू करने से पहले उस विषय पर मंथन करें और धीरे-धीरे विचार करते हुए उस प्रकरण पर आयें, जो आपको पढ़ना है. फिर अपनी पाठ्य पुस्तक या नोट बुक की सहायता से आगे की पढ़ाई आरंभ करें. एकाग्रता के लिए आप योग व मेडिटेशन का भी सहारा ले सकते हैं.
कशिश का सवाल-पढ़ने के लिए कौन सा समय सही है?
पढ़ने के लिए उचित समय का निर्धारण आपको अपने शरीर, स्वास्थ्य एवं पारिवारिक परिस्थितियों के अनुरूप स्वयं तय करना चाहिए. कोई विद्यार्थी रात में अत्यधिक देर तक पढ़ते हैं, तो उन्हें ज्यादा समझ में आता है. जबकि, इसके विपरीत कुछ विद्यार्थी सुबह उठ कर पढ़ते हैं, तो उन्हें ज्यादा समझ में आता है. नींद का भी पूरा होना, एक आवश्यक तत्व है. आप अपने पढ़ाई के समय के अलावा एक नियमित एवं अच्छी नींद भी लें. वैसे प्रकृति के अनुरूप जल्दी सोना और जल्द उठना अत्यधिक हितकारी है.
अविनाश का सवाल-कम समय तक पढ़ने पर मम्मी-पापा बोलते हैं. ज्यादा समय तक पढ़िये तो मम्मी-पापा कुछ नहीं बोलते. ज्यादा समय तक खेलते हैं तो बोलते हैं. ऐसा क्यों?
बच्चों ऐसा है, माता-पिता व अभिभावक सदैव चाहते हैं कि आपकी पढ़ाई में कहीं से भी व्यवधान उत्पन्न नहीं हो और ज्यादा से ज्यादा आपका पढ़ाई पर जाता है, तो आपकी सफलता की संभावना अधिक रहती है. लेकिन हमें यह समझना होगा कि पढ़ाई-लिखाई के साथ-साथ खेल-कूद व मनोरंजन का भी हमारे जीवन में महत्वपूर्ण स्थान है. एक अच्छी पढ़ाई के लिए निश्चित समय अंतराल पर ब्रेक लेकर खेलना या मनोरंजन करना भी जरूरी है. इससे मस्तिष्क को विश्राम मिलता है और माइंड भी फ्रेस हो जाता है.
अजीत का सवाल-क्रिकेट खेलना चाहते हैं, पर मम्मी-पापा खेलने नहीं देना चाहते हैं. खेलने के लिए पर्याप्त मैदान भी नहीं है. कैसे खेलें?
किसी भी गतिविधि का आवश्यकता से अधिक जीवन में प्रयोग होने पर दूसरी गतिविधियों के ऊपर नकारात्मक प्रभाव पड़ता है. इसको हमें ऐसे समझना चाहिए कि क्रिकेट व पढ़ाई दोनों के बीच एक समन्वय स्थापित करना होगा और दोनों के लिए समय निर्धारित करना होगा. फिर क्रिकेट के समय क्रिकेट और पढ़ाई के समय पढ़ाई. बच्चों, दुर्भाग्यवश आज शहरों में घनी आबादी के बसाव के कारण खेल-कूद के मैदान विलुप्त हो रहे हैं. ऐसे में कभी-कभी अाप बच्चे सड़कों पर ही क्रिकेट खेलना शुरू कर देते हैं. इससे राहगीरों को भी परेशानी होती है और अापके साथ दुर्घटना की भी संभावना बनी रहती है.
रीतूराज का सवाल-थोड़े समय तक मोबाइल फोन का प्रयोग करते हैं तो मम्मी-पापा क्यों डांटते हैं?
मोबाइल फोन के प्रयोग से आपको वंचित करना, आपके अभिभावक का उद्देश्य नहीं है. लेकिन वे उसके नकारात्मक प्रभावों से आपको रोकना चाहते हैं. आप अपने माता-पिता को विश्वास में लेकर यदि मोबाइल फोन का प्रयोग मनाेरंजन के लिए कम और पढ़ाई के लिए ज्यादा करते हैं, वैसे उत्तरों को ढूंढ़ने का प्रयास करते हैं, जिसका उतर पाठ्य पुस्तक या परिवेश में सहजता से उपलब्ध न हो. ऐसे में आपके माता-पिता आपके द्वारा मोबाइल फोन के प्रयोग के लिए प्रोत्साहित भी कर सकते हैं. बशर्ते कि इसका प्रयाेग अधिगम एवं ज्ञानवर्द्धन के लिए होना चाहिए.

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