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आखिरी समय में टैक्स वसूली के लिए हाथ-पैर मार रहा निगम

अनदेखी. वर्ष 2017-18 में लक्ष्य से आधा भी नहीं वसूला जा सका होल्डिंग टैक्स पूरे वर्ष में अधिकारियों ने नहीं बनायी निगम की आमदनी बढ़ाने की योजना गया : नगर निगम में समय रहते आमदनी बढ़ाने की कोशिश नहीं की जा सकी. अब वित्तीय वर्ष के आखिरी समय में आमदनी बढ़ाने व बकाया टैक्स वसूली […]

अनदेखी. वर्ष 2017-18 में लक्ष्य से आधा भी नहीं वसूला जा सका होल्डिंग टैक्स

पूरे वर्ष में अधिकारियों ने नहीं बनायी निगम की आमदनी बढ़ाने की योजना
गया : नगर निगम में समय रहते आमदनी बढ़ाने की कोशिश नहीं की जा सकी. अब वित्तीय वर्ष के आखिरी समय में आमदनी बढ़ाने व बकाया टैक्स वसूली की योजना बनायी जा रही है. जानकारों का कहना है कि इस तरह की कवायद हर वर्ष आखिरी समय में ही की जाती है. पूरे वर्ष वेतन आदि का काम सरकार से मिलने वाले अनुदान पर चलाया जाता है. वित्तीय वर्ष 2017-18 में निगम लक्ष्य का आधा भी टैक्स नहीं वसूल पाया है. इसका मुख्य कारण अधिकारियों का लचीलापन माना जा रहा है.
एक भी होल्डिंग टैक्स के बड़े बकायेदार पर कार्रवाई नहीं की गयी है. सूत्रों के अनुसार मीटिंग व बोर्ड की बैठकों में निगम के आय श्रोत बढ़ाने पर बड़ी-बड़ी बातें की जाती है. मीटिंग के बाद सब कुछ पहले जैसा ही चलने लगता है. निगम के पास मुख्य रूप से आय के श्रोत होल्डिंग टैक्स व सैरात हैं. जानकारों का कहना है कि ऐसे निगम के अधिकारी मन बना लें, तो तत्काल की आमदनी में चौगुनी बढ़ोतरी हो सकती है.
होल्डिंग की संख्या में दिख रहा अंतर निगम में 64808 होल्डिंग का रजिस्ट्रेशन है,
जबकि हाल में ही मैप माई इंडिया नामक प्राइवेट कंपनी ने शहर में होल्डिंग सर्वे किया तो यह आंकड़ा एक लाख से पार कर गया. जानकार बताते हैं कि मैप माई इंडिया के होल्डिंग में 20 हजार मंदिर व खाली प्लॉट के लिए भी निकाल दिया जाये, तो 80 हजार होल्डिंग से निगम टैक्स वसूल सकता है. टैक्स वसूली के लिए होल्डिंग संख्या बढ़ाने के लिए कभी कर्मचारियों व अधिकारियों ने पिछले तीन वर्षों में कोई प्रयास नहीं किया. शहर के विभिन्न मुहल्ले में नये मकान बनानेवाले अगर टैक्स निर्धारित कराने के लिए निगम पहुंचते हैं, तो कोई सहयोग करने को तैयार नहीं होता है. दौड़ते-दौड़ते कई चप्पल पुराने हो जाते हैं. फिर भी लोगों का काम नाजायज पैसा देने के बाद ही हो पाता है.
नहीं होती किसी पर कार्रवाई
टैक्स के बकायेदारों पर पिछले तीन वर्ष में कोई कार्रवाई नहीं की गयी है. अधिकारी सिर्फ टैक्स कलेक्टर पर वसूली के लिए दबाव बनाते रहे हैं. पिछले दिनों बैठक में टैक्स कलेक्टरों ने कहा था कि 2008 में निगम विस्तार के समय कुछ ऐसे इलाके को शामिल किया गया है, जहां से अब तक टैक्स की वसूली नहीं हो पा रही है. वहां वसूली के लिए अकेले जाना भी संभव नहीं है. मजिस्ट्रेट व पुलिस बल के साथ ही टैक्स निर्धारण व वसूली की जा सकती है. इसके बाद अधिकारी भी सकते में पड़ गये. टैक्स कलेक्टरों ने ऐसे कई इलाके का नाम भी गिनाया.
कल होगी टैक्स वसूली के मसले पर बैठक
निगम के राजस्व पदाधिकारी विजय कुमार सिन्हा ने कहा कि नगर आयुक्त ने बकाये होल्डिंग टैक्स वसूली व आय बढ़ाने के लिए शनिवार को निगम सभागार में बैठक आयोजित की है. इसके साथ ही समय-समय पर टैक्स कलेक्टर को होल्डिंग टैक्स वसूली के लिए दिशा-निर्देश दिया जाता है. उन्होंने कहा कि प्राइवेट कंपनी द्वारा किये गये सर्वे में खाली जमीन व धार्मिक स्थलों को भी होल्डिंग नंबर दे दिया गया है. कुछ छूटे होल्डिंग को जोड़ने के लिए कार्रवाई की जा रही है.

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