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शहर के 28 शौचालयों से निगम की आय जीरो, लेकिन ठेकेदारों की भर रही जेब

2008 के बाद नहीं हुआ पुराने शौचालयों का एग्रीमेंट, पुराने ठेकेदार अवैध रूप से चला रहे कारोबार कब्जा बरकरार रखने के लिए कुछ ठेकेदार कोर्ट तक पहुंचे गया : शहर के 28 शौचलायों से निगम को कोई आय नहीं है. न ही इन शौचालयों का रखरखाव ही सही से हो पा रहा है. ऐसे में […]

2008 के बाद नहीं हुआ पुराने शौचालयों का एग्रीमेंट, पुराने ठेकेदार अवैध रूप से चला रहे कारोबार
कब्जा बरकरार रखने के लिए कुछ ठेकेदार कोर्ट तक पहुंचे
गया : शहर के 28 शौचलायों से निगम को कोई आय नहीं है. न ही इन शौचालयों का रखरखाव ही सही से हो पा रहा है. ऐसे में इनके ठेकेदारों की चांदी कट रही और वे अपनी जेब भरने में लगे हैं. जी हां, ऐसी स्थिति एक या दो नहीं, बल्कि 17 साल से है. निगम की बोर्ड की बैठक में कई बार इस मसले पर चर्चा हुई. कई वर्षों से पार्षद भी इस अनदेखी के खिलाफ आवाज उठा रहे, फिर भी नतीजा सिफर है. बेपरवाही यहां तक है कि इन शौचालयों पर ठेकेदारों ने अवैध कब्जा कर रखा है और निगम ने अब तक नोटिस तक नहीं भेजा है.
इतना ही नहीं, सिकरिया मोड़ व शहीद रोड (टिकारी रोड) में बने डीलक्स शौचालयों से भी होनेवाली आमदनी ठेकेदार अपने ही पास रखते हैं, जबकि 2013 में डीलक्स शौचालयों का एग्रीमेंट करते समय ठेकेदार द्वारा साल में एक निश्चित पैसा जमा करना तय था.
गौरतलब है कि शुलभ इंटरनेशनल की ओर से शहर में शौचालय बनने के बाद चलाने के लिए एग्रीमेंट 1998 तक किया गया था. इसके बाद एक अन्य ठेकेदार को उस वक्त के नगर आयुक्त तारकेश्वर प्रसाद ने 10 वर्षों के लिए एग्रीमेंट कर दिया. 2008 में ही एग्रीमेंट पूरा हो चुका है, पर ठेकेदार अवैध रूप से बिना एग्रीमेंट के ही शौचालय चला रहे हैं और इससे होनेवाली आमदनी से अपनी जेब भर रहे हैं. शौचालय चलानेवाले कई ठेकेदार तो कब्जा बरकरार रखने के लिए कोर्ट तक जा पहुंचे हैं.
न पानी टंकी सही और न टॉयलेट सीट ही दुरुस्त
शहर में चल रहे इन शौचालयों की स्थिति बेहद खराब है. इनकी न टंकी सही है व न ही टॉयलेट सीट. रखरखाव के अभाव में काफी बदहाल हो चुके हैं. गंदगी तो इतनी की सांस लेना भी दूभर.
टॉयलेट का सारा कचरा सीधे नाले में गिरता है. कुछ ऐसी ही स्थिति के कारण पिछले दिनों जयप्रकाश नारायण अस्पताल के बाहर बने शौचालय को तोड़ा गया था. इसके अलावा नारायण चुआं स्थित शौचालय को पितृपक्ष मेले के दौरान बंद कर दिया गया. नादरागंज का शौचालय अब लोगों के लिए अवैध पार्किंग स्पेस बन गया है. पुरानी गोदाम स्थित शौचालय को भी रखरखाव की दरकार है. यहां की गंदगी बगल के एक कुएं में गिरती है.
निगम बोर्ड की पिछली बैठक में उठा था मामला
14 दिसंबर को स्टैंडिंग की बैठक में शहर के इन 28 शौचालयों को छुड़ाने का मामला उठा था. मेयर वीरेंद्र कुमार ने कहा था कि इन 28 शौचालयों से निगम को कोई फायदा नहीं मिल रहा है. ठेकेदार का एग्रीमेंट भी खत्म हो चुका है. सभी का टेंडर रद्द कर शौचालयों का जीर्णोद्धार कर नये सिरे से टेंडर किया जायेगा.

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