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हर पखवाड़ा तालाब में चलायें जाल

हर पखवाड़ा तालाब में चलायें जाल ठंड के मौसम में मछली पालक बरतें सावधानी जाले. स्थानीय कृषि विज्ञान केन्द्र में शुक्रवार को विभिन्न गांवों से आये मछली पालकों को केन्द्र के मत्स्य वैज्ञानिक मुकेश कुमार ने ठंड के मौसम में मछलियों की उचित देखभाल के संबंध में जानकारी दी. उन्होंने कहा कि प्रत्येक पखवाड़े में […]

हर पखवाड़ा तालाब में चलायें जाल ठंड के मौसम में मछली पालक बरतें सावधानी जाले. स्थानीय कृषि विज्ञान केन्द्र में शुक्रवार को विभिन्न गांवों से आये मछली पालकों को केन्द्र के मत्स्य वैज्ञानिक मुकेश कुमार ने ठंड के मौसम में मछलियों की उचित देखभाल के संबंध में जानकारी दी. उन्होंने कहा कि प्रत्येक पखवाड़े में कम से कम एक बार तालाब में जाल चलायें. उन्हाेंने जाल चलाकर अपने पाले हुए मछलियों के स्वास्थ्य को देखना आवश्यक बताया़ उन्होंने मछली पालकों को बताया कि ठंड के मौसम में अक्सर मछलियां सुस्त पड़ जाती हैं. सुस्त होने के कारण वह खाना भी कम खाने लगती हैं, जिससे उनकी वृद्धि दर में कमी देखी जाती है़ उनका कहना था कि जाल चलाने से तालाब में हलचल पैदा होती है और सुस्त पड़ी मछलियों में तेजी आती है़ ऐसा करने से मछलियों का खुराक बढ़ता है जिससे उनमें वृद्ध होती है़ उन्होंने आगे बताया कि जाल चलाने से पानी में घुलनशील आक्सीजन आदि पोषक तवों की उपलब्धता बढ़ जाती है़ इस दौरान मछली के शरीर पर लाल अलसरनुमा घाव देखते ही तालाब में चूना का प्रयोग करने को कहा तथा सीफैक्स नामक दवा एक लीटर प्रति हेक्टेयर प्रति मीटर पानी की दर से प्रयोग करने को कहा़ उन्होंने बताया कि लाल घाव (इपिजूरिक अलसरेटिभ सिन्ड्रोम) का सबसे उपयुक्त दवा है़

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