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राजपुर हाइस्कूल में बनेगा स्टेडियम
स्कूल के खेल मैदान को विकसित करने के लिए विभाग से मिली 67 लाख की राशि डुमरांव : राज हाइस्कूल के खेल मैदान में स्टेडियम बनाने की विभागीय कवायद शुरू हो गयी है. इसको लेकर खेल, कला व सांस्कृतिक विभाग ने पहली किस्त के रूप में 67 लाख रुपये की राशि का आवंटन किया है. […]
स्कूल के खेल मैदान को विकसित करने के लिए विभाग से मिली 67 लाख की राशि
डुमरांव : राज हाइस्कूल के खेल मैदान में स्टेडियम बनाने की विभागीय कवायद शुरू हो गयी है. इसको लेकर खेल, कला व सांस्कृतिक विभाग ने पहली किस्त के रूप में 67 लाख रुपये की राशि का आवंटन किया है. खेल मैदान के दिन बहुरने की सूचना पा खेल प्रेमियों के बीच खुशी की लहर दौड़ गयी है. हालांकि यह अनुमंडल का एकमात्र खेल मैदान है, जहां जिला व अनुमंडल स्तर के खेल प्रतियोगिता का आयोजन होता है. यह मैदान स्टेडियम के हर माप दंडों को पूरा करता है.
सीएम ने की थी घोषणा : 20 मई 2012 को सेवा यात्रा के दौरान खेल प्रेमियों की मांग पर मुख्यमंत्री नीतीश कुमार व पूर्व विभागीय मंत्री सुखदा पांडेय ने हाइ स्कूल खेल मैदान में स्टेडियम बनाने की घोषणा की थी, लेकिन राजनीतिक दांव-पेंच में फंस कर हाइस्कूल मैदान को स्टेडियम के रूप में विकसित करने की योजना खटाई में पड़ गयी थी.
विधायक ने की पहल : स्थानीय विधायक सह विधानसभा सचेतक डॉ दाउद अली ने खेल मैदान में स्टेडियम की मांग को लेकर विधानसभा में जोरदार आवाज उठायी थी. इनकी पहल पर जांचोपरांत विभाग ने 67 लाख रुपये की पहली किस्त विद्यालय प्रशासन को भेजा है. जीर्ण-शीर्ण हो चुके खेल मैदान के कारण खेल प्रेमियों के सपने बिखर रहे थे. राशि आवंटन के बाद टाउन स्र्पोटिंग क्लब के सचिव रामजी शर्मा, संघ के अध्यक्ष भगवती प्रसाद, वफा अंसारी, कैलाश प्रसाद आदि ने खुशी जाहिर करते हुए विधायक डॉ अली को साधुवाद दिया है.
राज परिवार ने ली थी शिक्षा : लंबे चौडे भू-भाग में बसे राज हाइस्कूल की स्थापना महाराजा सर महेश्वर बक्स सिंह ने सात जुलाई 1856 में किया था. राज परिवार के वंशज महाराजा राम रणविजय सिंह, केशव प्रसाद सिंह, पूर्व सांसद कमल सिंह आदि की प्रारंभिक शिक्षा इसी विद्यालय में हुई थी. इस विद्यालय में देशरत्न डॉ राजेंद्र प्रसाद भी एक माह तक शिक्षक के रूप में योगदान दिये थे.
1962 में बना था पवेलियन : खेल प्रेमियों को देखते हुए वर्ष 1962 में पवेलियन का निर्माण कराया गया था. उसके बाद वर्ष 1992 में पूर्व राज्यसभा सांसद नगेंद्र नाथ ओझा ने अपने कोष से पांच लाख 58 हजार की राशि खर्च कर 14 दर्शक दीर्घा बनवाने की पहल की थी.
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