बक्सर : शनिवार से शुरू हुई रिमझिम बारिश व बादल भरे आकाश से लोग सावन को करीब से देख रहे हैं. सावन को लेकर हर मंदिर व शिवालयों को सजाया गया है. रविवार को दिन भर कांवरियों को जत्था स्थानीय रामरेखा घाट से स्नान करने के बाद विभिन्न जगहों के लिए रवाना हुए. पूरे दिन शहर में बोलबम का नारा गुंजता रहा.
* अंतिम सोमवारी 19 को
इस श्रावण मास में भक्तों को चार सोमवार मिलेंगे. प्रथम सोमवारी कृष्ण पक्ष के चतुर्थदशी 29 जुलाई, द्वितीय सोमवारी कृष्ण पक्ष के 5 अगस्त, तृतीय सोमवारी शुक्ल पक्ष षष्टी 12 अगस्त एवं चतुर्थ सोमवारी त्रयोदशी शुक्ल पक्ष 19 अगस्त को है.
* इन जगहों पर जलाभिषेक
जिला मुख्यालय से शिव धाम जाने के लिए कांवरियों का दल स्थानीय रामरेखा घाट से स्थान कर सासाराम के पास गुप्ताधाम, कोचस के पास सहवलिया, ब्रह्मपुर एवं इटाढ़ी प्रखंड के सोखाधाम के लिए रवाना होता है.
* ऐसे पड़ा श्रावण मास का नाम
शास्त्रों के अनुसार पूर्णिमा के दिन श्रावण नक्षत्र पड़ता है. जो चंद्रमा का नक्षत्र है, जिसके कारण इस मास का नाम श्रावण मास पड़ा है.
* शिव को प्रिय है सावन
पं मुक्तेश्वर शास्त्री ने बताया कि समुंद्र मंथन के समय हलाहल विष को शिव ने विषपान कर लिया था. अग्नि के समान विष पीने से भगवान शिव का कंठ नीला पड़ गया. तब उन्हें शीतलता प्रदान करने के लिए सभी देवताओं ने उन्हें जल अर्पित किया. इस दौरान महादेव ने गंगा को अपने जटाओं में स्थान दिया एवं चंद्रमा को मस्तिष्क पर धारण किया. चूंकि श्रावण मास में सर्वाधिक बारिश होती है. इसलिए भगवान शिव को श्रावण मास प्रिय है. वहीं, दूसरी कथा के अनुसार शिव को पाने के लिए मां पार्वती ने इसी माह निराहार रहकर शिव को प्रसन्न किया था. तब से श्रावण मास शिव भक्ति के लिए समर्पित है.