बिना फाटक की रेलवे क्राॅसिंग पर आये दिन होती हैं दुर्घटनाएं
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ट्रेन आने से पहले लोगों को सतर्क करेगा सायरन
बिना फाटक की रेलवे क्राॅसिंग पर आये दिन होती हैं दुर्घटनाएं आरा : बिना फाटक के रेलवे क्राॅसिंग पर हो रही दुर्घटनाओं को रोकने के लिए रेलवे नयी तकनीक विकसित करने जा रही है. अब बिना फाटक के रेलवे क्राॅसिंग से ट्रेनों के गुजरने से पहले ही सायरन बज उठेगा, जिससे रेलवे लाइन को पार […]
आरा : बिना फाटक के रेलवे क्राॅसिंग पर हो रही दुर्घटनाओं को रोकने के लिए रेलवे नयी तकनीक विकसित करने जा रही है. अब बिना फाटक के रेलवे क्राॅसिंग से ट्रेनों के गुजरने से पहले ही सायरन बज उठेगा, जिससे रेलवे लाइन को पार करनेवाले लोग सतर्क हो जायेंगे और दुर्घटनाएं कम हो जायेंगी. आरा जंकशन पर आरा-सासाराम रेलखंड व पटना-मुगलसराय रेलवे रूट पड़ता है. इसमें सबसे ज्यादा मानव रेलवे क्राॅसिंग आरा-सासाराम रेलखंड पर है.
इसके कारण आये दिन दुर्घटनाएं होती रहती हैं. इसमें दर्जनों लोगों की जान तक चली जाती है, क्योंकि इस रूट पर पटना-मुगलसराय रेलखंड के मुकाबले ज्यादा दुर्घटनाएं होती हैं. ग्रामीणों द्वारा अपनी सुविधानुसार मिट्टी भर कर रेलवे ट्रैक को पार करने की व्यवस्था कर दी जाती है, जिसकी रेलवे के रिकाॅर्ड में कोई जिक्र नहीं रहता है. ऐसे में इस सिस्टम के लग जाने से इन क्रॉसिंग से गुजरनेवाली ट्रेनों के आने से पहले ही लोगों को जानकारी मिल जायेगी. आनेवाले दिनों में इस सिस्टम को आरा-सासाराम रेलखंड से होकर गुजरनेवाली ट्रेनों में भी लगाया जायेगा.
पांच सौ मीटर पहले से ही बज उठेगा सायरन :
इस नये सिस्टम को लगाने की जिम्मेदारी इंडियन रिसर्च आॅर्गनाइजेशन (इसरो) को दी गयी है. इसकी खासियत है कि मानवरहित रेलवे फाटक से पांच सौ मीटर पहले ही ट्रेनों के आने के बाद सायरन बजना शुरू हो जायेगा. मानवरहित रेलवे क्राॅसिंग के पास जैसे-जैसे पहुंचेगा, अपने आप तेज होता जायेगा. ट्रेन पार करते ही सायरन अपने आप यह बंद हो जायेगा, जिससे की रेलवे लाइन को पार करनेवालों को ट्रेन आने की जानकारी मिल जायेगी और वे लोग सतर्क हो जायेंगे.
इंजन में लगेगा चिप
ट्रेनों के इंजन में इंटिग्रेटेड सर्किट चिप लगायी जायेगी. यह सेटेलाइट से कनेक्ट रहेगा. चिप को लगाने से पहले रेलवे द्वारा मानवरहित रेलवे क्राॅसिंग का सर्वे कर फीड किया जायेगा. इस सिस्टम के लग जाने से एक तो दुर्घटनाएं भी कम हो जायेंगी. वहीं ट्रेनों की वास्तविक स्थिति की जानकारी भी लोगों को मिल जायेगी. इससे ज्यादा इसका फायदा जाड़े के दिनों में होगा, क्योंकि ठंड के दिनों में कोहरा पड़ता है. कोहरे की वजह से दूर से आ रही ट्रेनों को लोग देख नहीं पाते हैं. ऐसे में दुर्घटनाएं होती रहती हैं.
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