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भागलपुर के एसएम कॉलेज को यूजीसी फंड के उपयोग मामले में कार्रवाई की चेतावनी

भागलपुर : एसएम कॉलेज में यूजीसी फंड से किये गये खर्च का हिसाब अबतक नहीं भेजे जाने पर यूजीसी कार्रवाई करने की चेतावनी दी है. यूजीसी ने कॉलेज को भेजे पत्र में कहा कि क्यों नहीं कॉलेज को ब्लैक लिस्टेड कर दिया जाये. यूजीसी फंड के तहत कॉलेज को रिसर्च प्रोजेक्ट, सेमिनार व कॉलेज के […]

भागलपुर : एसएम कॉलेज में यूजीसी फंड से किये गये खर्च का हिसाब अबतक नहीं भेजे जाने पर यूजीसी कार्रवाई करने की चेतावनी दी है. यूजीसी ने कॉलेज को भेजे पत्र में कहा कि क्यों नहीं कॉलेज को ब्लैक लिस्टेड कर दिया जाये. यूजीसी फंड के तहत कॉलेज को रिसर्च प्रोजेक्ट, सेमिनार व कॉलेज के नैक मूल्यांकन के लिए राशि उपलब्ध करायी गयी थी, लेकिन कई महीना बीतने के बाद भी कॉलेज ने खर्च की गयी राशि का उपयोगिता प्रमाण पत्र यूजीसी को नहीं भेजा है. ऐसे में यूजीसी कॉलेज को ब्लैक लिस्टेड करने के लिए पत्र लिखा है. कॉलेज की प्राचार्या ने कहा कि उपयोगिता प्रमाण पत्र तैयार किया जा रहा है. शीघ्र ही भेज दिया जायेगा.

सेमिनार का अबतक नहीं भेजा उपयोगिता प्रमाण पत्र. कॉलेज की पूर्व प्राचार्या डॉ मीना रानी के कार्यकाल में रसायन विभाग ने यूजीसी की राशि से राष्ट्रीय सेमिनार का आयोजन किया था. सेमिनार का हिसाब अबतक यूजीसी को नहीं भेजा गया है. ऐसे में यूजीसी के द्वारा कॉलेज को सेमिनार के आयोजन को लेकर राशि उपलब्ध नहीं कराया सकता है.

कॉलेज के नैक मूल्यांकन में किये गये खर्च का भी हिसाब नहीं भेजा. कॉलेज के नैक मूल्यांकन काे लेकर यूजीसी ने राशि उपलब्ध करायी थी. कॉलेज का नैक से मूल्यांकन हुए एक साल से अधिक समय बीत रहा है. कॉलेज प्रशासन ने इस दिशा में भी उपयोगिता प्रमाण पत्र यूजीसी को नहीं भेजा. कॉलेज में पूर्व प्राचार्या रही डॉ मीना रानी, पूर्व प्राचार्या रही डॉ अनुभा राय ने यूजीसी फंड से की गयी राशि का उपयोगिता प्रमाण पत्र भेजने में दिलचस्पी नहीं ली.

बॉटनी रिसर्च प्रोजेक्ट की राशि का हिसाब नहीं गया

बॉटनी विभाग को रिसर्च के लिए यूजीसी से फंड उपलब्ध कराया था, लेकिन कॉलेज ने इसका उपयोगिता प्रमाण पत्र यूजीसी को अबतक नहीं भेजा है. बॉटनी विभाग ने कॉलेज को रिसर्च प्रोजेक्ट का हिसाब दे दिया है.

गेस्ट शिक्षक के नाम पर मंगाया रिसर्च प्रोजेक्ट

यूजीसी नियम के अनुसार नियमित शिक्षकों को ही रिसर्च प्रोजेक्ट की राशि उपलब्ध करा सकती है, लेकिन कॉलेज की गड़बड़ी से बीएड में संविदा पर बहाल एक शिक्षक को रिसर्च प्रोजेक्ट के लिए अनुशंसा कर दी. नतीजा रिसर्च के लिए यूजीसी का राशि कॉलेज में आकर पड़ी है. राशि निकालने के लिए नियमित शिक्षक का होना अनिवार्य है.

यूजीसी फंड से खर्च की गयी राशि का उपयोगिता प्रमाण पत्र तैयार किया जा रहा है. कुछ मामला पूर्व की प्राचार्या के समय का है. उस समय के चीजों को भी निकाला जा रहा है. प्रयास किया जा रहा है कि शीघ्र ही यूजीसी को उपयोगिता प्रमाण पत्र भेज दिया जाये.

Prabhat Khabar Digital Desk
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